विरेचन कर्म एक आयुर्वेदिक थेरेपी है. इसकी मदद से शरीर की कई समस्याएं जैसे- कब्ज, बवासीर, एनीमिया, लिवर डिजीज, थायराइड, दाद, अस्थमा व मोटापा जैसी कई बीमारियों को कम किया जा सकता है. इस थेरेपी में हर्बल औषधियों से गुदा के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है. खासतौर से शरीर में पित्त दोष को कम करने के लिए इस थेरेपी को करने की सलाह दी जाती है. साथ ही डायबिटीज जैसी समस्याओं को भी विरेचन कर्म से ठीक किया जा सकता है. पंचकर्म के तहत इसे दूसरी प्रक्रिया माना गया है.
आज हम इस लेख में विरेचन थेरेपी और इसके फायदों के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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- विरेचन कर्म क्या है?
- विरेचन कर्म के फायदे
- विरेचन कर्म कैसे करते हैं?
- विरेचन थेरेपी के बाद सावधानी
- सारांश
विरेचन कर्म क्या है?
विरेचन कर्म एक आयुर्वेदिक थेरेपी है. इस थेरेपी में व्यक्ति को 7 दिन तक औषधि से युक्त घी या तेल पिलाया जाता है. इस थेरेपी के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को गुदा के जरिए बाहर निकाला जाता है. इस थेरेपी के दौरान मरीज को पीने के लिए गर्म पानी और भूख लगने पर हल्का आहार लेने की सलाह दी जाती है. शरीर में पित्त दोष को दूर करने के लिए आयुर्वेद में इस थेरेपी को लेने की सलाह दी जाती है. साथ ही इस थेरेपी की मदद से सभी तरह की स्किन डिजीज को कम किया जा सकता है.
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विरेचन कर्म के फायदे
विरेचन थेरेपी की मदद से शरीर की कई तरह की समस्याएं, जैसे - कब्ज, मोटापा व थायराइड इत्यादि को दूर किया जा सकता है. इसके अलावा, इस थेरेपी के कई अन्य फायदे हैं. आइए, इन फायदों के बारे में जानते हैं -
कब्ज के लिए विरेचन कर्म के फायदे
रिसर्च में देखा गया है कि विरेचन थेरेपी लेने से मल त्याग करने में आसानी होती है. इसका प्रभाव सिर्फ 4 घंट के अंदर नजर आ सकता है. मल त्याग में किसी भी तरह की समस्या होने पर शाम के समय विरेचन कर्म लेने से अच्छा रिजल्ट मिल सकता है.
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मोटापे के लिए विरेचन कर्म के फायदे
एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक, विरेचन थेरेपी की मदद से शरीर के बढ़ते मोटापे को कंट्रोल किया जा सकता है. नियमित रूप से विरेचन कर्म लेने से शरीर में काफी हल्का महसूस होता है. साथ ही यह मोटापे की वजह से होने वाली कई अन्य समस्याओं को दूर करने में असरदार हो सकता है.
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त्वचा रोग के लिए विरेचन कर्म के फायदे
विरेचन थेरेपी की मदद से स्किन से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है. रिसर्च में देखा गया है कि विरेचन थेरेपी लेने से स्किन में होने वाली खुजली, जलन, लालिमा, सोरायसिस व एक्जिमा को कम किया जा सकता है. स्किन की समस्याओं को कम करने के लिए इस थेरेपी को ले सकते हैं. स्किन पर इस थेरेपी का असर 3 से 15 दिन में नजर आने लग सकता है. वहीं, बेहतर रिजल्ट के लिए मरीज को 2 से 3 महीने तक विरेचन कर्म लेने की सलाह दी जाती है.
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हाइपोथायरायडिज्म के लिए विरेचन कर्म के फायदे
विरेचन कर्म से हाइपोथायरायडिज्म का इलाज किया जा सकता है. यह हाइपोथायरायडिज्म में होने वाली समस्याओं को कम करने का गुण रखता है. रिसर्च में देखा गया है कि विरेचन थेरेपी हाइपोथायरायडिज्म रोगियों के लिए काफी असरदार साबित हो सकती है.
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स्ट्रोक के लिए विरेचन कर्म के फायदे
विरेचन थेरेपी की मदद से स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है. रिसर्च में बताया गया है कि इस थेरेपी की मदद से शरीर में मौजूद गंदगी को साफ किया जा सकता है, जिसका प्रभाव मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है. यह शरीर की प्रक्रियाओं को पूरा करने में असरदार हो सकती है. हालांकि, इस थेरेपी से आप स्ट्रोक की बीमारी को पूरी तरह से कम नहीं कर सकते हैं, लेकिन इससे काफी हद तक बीमारियों से बच सकते हैं.
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डायबिटीज के लिए विरेचन कर्म के फायदे
रिसर्च के मुताबिक, विरेचन थेरेपी से डायबिटीज में होने वाली परेशानियों को कम किया जा सकता है. यह शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है. साथ ही इससे डायबिटीज होने के खतरे को भी कम किया जा सकता है.
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विरेचन कर्म कैसे करते हैं?
विरेचन कर्म की प्रक्रिया आसान है. इस प्रक्रिया में स्नेहन के लिए औषधीय जड़ी-बूटियों से युक्त घी या तेल का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, रेचन के लिए आयुर्वेदिक औषधि जैसे - त्रिवृत व त्रिफला इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है. आइए, विरेचन कर्म की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानते हैं -
थेरेपी से पहले विरेचन कर्म
विरेचन थेरेपी करने से पहले कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी होता है -
- यह थेरेपी लेने वाले मरीज को सबसे पहले वमन थेरेपी दी जाती है.
- इसके बाद मरीज को कुछ खास प्रकार के खाद्य पदार्थ लेने को कहा जाता है.
- फिर 3 से 7 दिन तक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से युक्त घी या तेल व्यक्ति के शारीरिक क्षमता के अनुसार पिलाया जाता है.
- इस थेरेपी के दौरान व्यक्ति को गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है. साथ ही भूख लगने पर हल्के-फुल्के आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है.
- थेरेपी के दौरान शारीरिक गतिविधि कम करने की सलाह दी जाती है.
- इस थेरेपी में प्रतिदिन तेल से मसाज और भाप से स्वेदन किया जाता है.
- इसके बाद करीब 1 से 2 दिन के लिए व्यक्ति को आराम करने की सलाह दी जाती है, ताकि सभी विषाक्त पदार्थ पाचन तंत्र में एकत्र हो सकें.
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विरेचन थेरेपी विधि
विरेचन के दिन सुबह के समय व्यक्ति को रेचक औषधि की डोज दी जाती है. डोज लेने के करीब 1 घंटे के अंदर व्यक्ति को दस्त शुरू हो जाते हैं. पेट की अच्छे से सफाई करने के लिए इस दौरान बीच-बीच में मरीज को गर्म पानी पीने के लिए कहा जाता है.
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विरेचन थेरेपी के बाद सावधानी
यह थेरेपी लेने के बाद मरीज को निम्न बातों को ध्यान में जरूर रखना चाहिए -
- थेरेपी लेने के बाद जब दस्त पूरी तरह से बंद हो जाए, तो व्यक्ति को अगले कुछ दिनों तक हल्के-फुल्के आहार लेने की सलाह दी जाती है. जब धीरे-धीरे पाचन तंत्र की क्षमता में सुधार आता है, तो व्यक्ति सामान्य दिनचर्या में वापस आ सकता है.
- विरेचन थेरेपी से बेहतर रिजल्ट पाने के लिए एक्सपर्ट द्वारा दिए निर्देश को अच्छे से फॉलो करें.
- इस थेरेपी के बाद डिहाइड्रेशन से बचने के लिए औषधि युक्त तेल या घी की डोज सीमित मात्रा में लें.
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सारांश
विरेचन थेरेपी की मदद से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है. इससे मोटापा व डायबिटीज जैसी कई तरह की समस्याओं को दूर कर सकते हैं. यह लंबी प्रक्रिया है, जिसमें 7 दिन या उससे ज्यादा समय भी लग सकता है. बस ध्यान रखें कि थेरेपी लेने के बाद विशेषज्ञ के निर्देशों का अच्छी तरह से पालन जरूर करें, ताकि इससे होने वाली परेशानियों को रोका जा सके.
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