मेलास्मा त्वचा से जुड़ी एक स्थिति है जिसमें चेहरे पर भूरे या हल्के भूरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं- खासकर नाक, गाल और माथे के हिस्से पर। इसके अलावा ये भूरे धब्बे गर्दन, कंधे और हाथ से लेकर कोहनी के हिस्से तक। मेलास्मा स्किन पिग्मेंटेशन यानी त्वचा रंजकता से जुड़ा विकार है। हालांकि वैज्ञानिकों को इस विकार के होने के सटीक कारण का पता नहीं है, लेकिन उन्हें संदेह है कि मेलेनोसाइट्स या वे कोशिकाएं जो मेलेनिन का निर्माण करती हैं उसकी गतिविधियां मेलास्मा के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। मेलेनिन, वह पिग्मेंट या रंजक है जो हमारी त्वचा और बालों को उनका रंग देता है।

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कोई भी व्यक्ति फिर चाहे वह किसी भी उम्र का क्यों न हो उसे मेलास्मा हो सकता है। बावजूद इसके कुछ लोग हैं जिन्हें मेलास्मा होने का खतरा अधिक होता है जैसे- गर्भवती महिलाएं और वे लोग जिनकी त्वचा का रंग गहरा होता है। सामान्यतया पुरुषों की तुलना में महिलाओं को मेलास्मा होने का जोखिम अधिक होता है।

रिसर्च से यह पता चलता है कि सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने पर मेलास्मा के धब्बों की समस्या ट्रिगर हो सकती है या फिर और बदतर हो सकती है। इसलिए अपनी जलवायु और जरूरतों के हिसाब से सही सनस्क्रीन का चुनाव करें क्योंकि मेलास्मा के धब्बों से बचने या उन्हें रोकने का एक तरीका सनस्क्रीन भी है।

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अब तक जितनी भी रिसर्च हुई है उसमें ऐसे कोई सबूत सामने नहीं आए हैं जो यह सुझाव दें कि मेलास्मा हानिकारक हो सकता है, हालांकि कुछ लोगों को सौंदर्य की दृष्टि से अपने चेहरे और शरीर के ऊपरी हिस्सों पर मौजूद ये धब्बे पसंद नहीं आते हैं। कुछ मामलों में, मेलास्मा के धब्बे अपने आप चले जाते हैं। उदाहरण के लिए- ज्यादातर मामलों में, गर्भावस्था के दौरान होने वाला मेलास्मा डिलिवरी के बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है। 

लेकिन ऐसे मामलों में जहां मेलास्मा पिग्मेंटेशन बीमारी बनी रहती है उसमें मरीज चेहरे पर मौजूद इन झाइयों और धब्बों को कम करने या हटाने के लिए हाइड्रोक्विनोन, केमिकल पील और माइक्रोडर्माब्रेजन का उपयोग कर सकते हैं। भारत में मेलास्मा काफी सामान्य समस्या है और सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि एशिया में भी। मेलास्मा के लक्षण, कारण और जोखिम कारक, रोकथाम, डायग्नोसिस और उपचार के बारे में अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल में आगे पढ़ें।

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मेलाज़मा के कारणों के लिए अध्ययन 

यह अध्ययन "Melasma: A Clinico-Epidemiological Study of 312 Cases" भारत में मेलास्मा (त्वचा पर भूरे-ग्रे रंग के धब्बे) से प्रभावित 312 लोगों पर किया गया है । इस अध्ययन का उद्देश्य मेलास्मा के ट्रीटमेंट , महामारी विज्ञान संबंधी पैटर्न और इसके कारणों की जांच करना है।  

इस अध्ययन को जनवरी 2009 से दिसंबर 2009 के बीच किया गया जिस में कुल 312 लोग शामिल किये गए ।  जिनकी उम्र सीमा: 14 से 54 वर्ष के बीच थी। इस अध्ययन में ये देखा गया कि सूर्य के संपर्क में आने से 55.12% रोगियों का मेलास्मा बढ़ता है।

250 महिला रोगियों में से 56 (22.4%) ने गर्भावस्था के दौरान मेलास्मा की शुरुआत की सूचना दी। 46 महिलाओं ने बताया कि मौखिक गर्भनिरोधक गोलियां लेने से उनको मेलास्मा शुरू हुआ , और 104 रोगियों (33.33%) ने परिवार में मेलास्मा का इतिहास बताया।

इस अध्ययन से ये निष्कर्ष निकाला गया कि मेलास्मा का सटीक कारण अभी पता नहीं है, लेकिन यह अध्ययन संकेत देता है कि सूर्य के संपर्क में आने से , हार्मोनल परिवर्तन से , गर्भावस्था होने पर, मौखिक गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने पर और परिवारिक इतिहास इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं। यह अध्ययन मेलास्मा के कारणों और पैटर्न को समझने में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जिससे इसके प्रबंधन और ट्रीटमेंट में सहायता मिल सकती है।

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC3178998/#:~:text=Results:,20%20of%20them%20had%20hypothyroidism.

(और पढ़ें - मेलेनिन की कमी के कारण, लक्षण, इलाज)

  1. मेलास्मा किसकी कमी से होता है?
  2. मेलास्मा के लक्षण - Melasma ke lakshan
  3. मेलास्मा का कारण और नुकसान - Melasma ka karan aur jokhim karak
  4. मेलास्मा के दौरान शरीर में क्या होता है? - Melasma me body me kya hota hai
  5. मेलास्मा कितने समय तक रहता है?
  6. मेलास्मा की जांच कैसे करते हैं?
  7. क्या हम मेलास्मा को पूरी तरह से हटा सकते हैं?
  8. कौन सा विटामिन मेलास्मा को कम करता है?
  9. मेलास्मा के लिए कौन सा फेस सीरम अच्छा है?
  10. मेलास्मा की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
  11. मेलास्मा का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?
  12. मेलास्मा का मेडिकल ट्रीटमेंट क्या है?
  13. मेलास्मा का घरेलू उपचार क्या है?
  14. सारांश
मेलास्मा क्या है? कारण, लक्षण और इलाज जानिए विस्तार से के डॉक्टर

मेलास्मा चेहरे की त्वचा पर पड़ने वाले भूरें, काले या स्लेटी रंग के चपटे दाग होते हैं, जो खासकर गालों, माथे, नाक और ऊपरी होंठ पर दिखाई देते हैं। यह एक नॉर्मल  स्किन कंडीशन है, विशेषकर महिलाओं में, और इसका संबंध शरीर के अंदर होने वाले हार्मोनल बदलावों और बाहरी वातावरण, खासकर धूप से होता है। मेलास्मा सीधे तौर पर किसी एक पोषक तत्व की कमी के कारण नहीं होता, लेकिन कुछ विटामिन्स जैसे विटामिन B12, फोलिक एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स की कमी के कारण ये हो सकता है । इसकी सबसे आम वजह हार्मोनल असंतुलन है, जैसे गर्भावस्था, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन या थायरॉयड की समस्या, जिससे स्किन में मेलेनिन बढ़ जाता है। इसके अलावा सूर्य की UV किरणें भी मेलेनिन को एक्टिव कर देती हैं, जिससे दाग और गहरे हो जाते हैं। कुछ लोगों में यह जनेटिक्स रूप से भी हो सकता है। इसलिए मेलास्मा के इलाज में सिर्फ विटामिन की गोलियां पर्याप्त नहीं होतीं, बल्कि एक पूरा स्किन केयर रूटीन, सनस्क्रीन का नियमित उपयोग, और त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूरी होती है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो डर्मेटोलॉजिस्ट से भी जरूर मिलें।

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मेलेनिन, जैसा कि हम जानते हैं, हमारी त्वचा का एक पिंगमेंट या रंजक है। यह सूर्य की हानिकारक यूवी किरणों को रोकने का सबसे महत्वपूर्ण कार्य करता है। मेलास्मा तब होता है जब कोशिकाएं जो मेलेनिन- मेलेनोसाइट्स- बनाते हैं उसमें खराबी आ जाती है। मेलास्मा का सबसे स्पष्ट लक्षण हाइपरपिग्मेंटेशन या चेहरे पर मौजूद धब्बे हैं, हालांकि ये धब्बे गर्दन, कंधे और फोरआर्म्स पर भी हो सकते हैं।

मेलास्मा के धब्बे भूरे या ग्रे और भूरे रंग के हो सकते हैं: यदि हाइपरपिग्मेंटेशन की समस्या त्वचा (डर्मिस) की गहरी परतों में हो, तो धब्बे ग्रे और भूरे रंग के दिखाई देते हैं और कम परिभाषित होते हैं या उनकी सीमा कम स्पष्ट होती है उन धब्बों की तुलना में जो एपिडर्मिस या त्वचा की ऊपरी परत पर होते हैं। मेलास्मा स्पॉट्स आमतौर पर इधर-उधर बिखरे हुए और संतुलित रूप से फैले होते हैं: नाक के ब्रिज के आरपार और दोनों गालों पर, आदि। यह एक महत्वपूर्ण सुराग है जो मेलास्मा को त्वचा रंजकता से जुड़े अन्य विकारों से अलग करता है जैसे - आंखों के काले घेरे

मेलास्मा के चेहरे के धब्बे आमतौर पर तीन पैटर्न में पाए जाते हैं:

  • सेंट्रोफेशियल जिसमें माथे पर, नाक पर, चीकबोन्स पर और ठुड्डी पर धब्बे होते हैं
  • दोनों गालों पर धब्बे
  • जबड़े के आसपास केन्द्रित धब्बे

शरीर के अन्य हिस्सों में धब्बे उन क्षेत्रों में स्थित होते हैं, जहां सूर्य की रोशनी का एक्सपोजर ज्यादा होता है जैसे कि नेकलाइन या गले की रेखा और फोरआर्म्स।

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मेलास्मा एक प्रकार की स्किन पिग्मेंटेशन की समस्या है। हालांकि डॉक्टर अब तक यह नहीं जान पाए हैं कि मेलास्मा होने का क्या कारण है, इसके मेकानिज्म या तंत्र पर कई रिसर्च हुई हैं यह जानने के लिए कि मेलास्मा के दौरान शरीर के अंदर आखिर क्या होता है और मेलास्मा के जोखिम कारक क्या हैं। मेलास्मा के जोखिम कारकों में शामिल हैं:

  • महिलाओं को ये ज्यादा होता है 
  • त्वचा का गहरा रंग लेकिन त्वचा का प्रकार VI का न होना जहां मेलेनिन पहले से ही "अधिकतम क्षमता" में उत्पन्न होता है
  • गर्भावस्था
  • गर्भनिरोधक गोली का सेवन करना (संयुक्त गर्भनिरोधक गोली)
  • सूरज की यूवी किरणों के संपर्क में बहुत अधिक होना
  • मेलास्मा का पारिवारिक इतिहास

इनमें से, गर्भावस्था के दौरान मेलास्मा की समस्या होना और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के कारण मेलास्मा होने की समस्या डिलिवरी के बाद और गोलियां लेना बंद कर देने के बाद क्रमशः खत्म हो जाती है।

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हमारी त्वचा विटामिन डी बनाने के लिए सूर्य की कुछ पराबैंगनी (यूवी) किरणों को सोख लेती है। हालांकि, हानिकारक यूवी किरणों से त्वचा की निचली परतों (हाइपोडर्मिस) की सुरक्षा करने के लिए हमारी त्वचा मेलेनिन नामक एक काले रंग का पिगमेंट या रंजक बनाती है। त्वचा का वह हिस्सा जो मेलेनिन बनाता है, उसे मेलानोसाइट्स कहा जाता है और इस प्रक्रिया को मेलेनोजेनेसिस कहा जाता है। एक बार बनने के बाद, मेलेनिन को मेलेनोसोम्स नामक अंगों में संग्रहित किया जाता है। ये मेलानोसोम मेलेनिन को केराटिनोसाइट्स नामक त्वचा कोशिकाओं में जब जैसी जरूरत होती है वैसे रिलीज करते हैं। 

इस जटिल प्रक्रिया के साथ एक समस्या भी है- मेलानोसाइट-उत्तेजक हार्मोन और एड्रिनोकोर्टिकोट्रोपिक हार्मोन जैसे हार्मोन शामिल हैं- जिससे मेलेनिन बहुत ज्यादा बढ़ सकता है, जो बदले में, मेलास्मा का कारण बन सकता है।

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मेलास्मा कोई वायरल बुखार नहीं है जो 3 दिन में ठीक हो जाए, और ना ही ये हमेशा के लिए रहने वाली स्किन प्रॉबलम है। इसका समय व्यक्ति के शरीर, स्किन टाइप , कारण और इलाज पर निर्भर करता है। यानी ये सवाल कि "मेलास्मा कितने समय तक रहेगा?  इसका कोई एक ही जवाब नहीं है। 

अगर मेलास्मा हार्मोनल बदलाव (जैसे प्रेग्नेंसी या गर्भनिरोधक गोलियों के कारण) से हुआ है, तो जब कारण समाप्त होता है, मेलास्मा भी धीरे-धीरे हल्का होने लगता है। कुछ महिलाओं में डिलीवरी के बाद कुछ महीनों में दाग हल्के हो जाते हैं, जबकि कुछ में सालों तक बने रहते हैं।

अगर आप मेलास्मा का इलाज करवा रहे हैं — जैसे टॉपिकल क्रीम्स (हाइड्रोक्विनोन, ट्रेटिनॉइन), केमिकल पील, लेज़र ट्रीटमेंट, और साथ ही धूप से बचाव कर रहे हैं तो 3 से 6 महीने में सुधार दिखने लगता है। यदि मेलास्मा लंबे समय से है, गहरा है, या बार-बार ट्रिगर होता है (जैसे बिना सनस्क्रीन के धूप में रहना), तो यह लंबे समय तक हो सकता है। ऐसे मामलों में इसे पूरी तरह हटाना मुश्किल होता है, लेकिन कंट्रोल में रखा जा सकता है।

जिन लोगों ने नियमित स्किन केयर अपनाया है, जैसे सनस्क्रीन का इस्तेमाल, सही मॉइश्चराइज़र और डॉक्टर की बताई दवाएं, उनमें मेलास्मा जल्दी कंट्रोल में आ जाता है। वहीं जिनकी लाइफस्टाइल में लापरवाही है, उनमें मेलास्मा लंबे समय तक बना रह सकता है।

मेलास्मा कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों या सालों तक रह सकता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि उसका कारण क्या है, स्किन टाइप क्या है, और इलाज व देखभाल कितनी सही तरीके से हो रही है। यह एक जिद्दी स्किन कंडीशन जरूर है, लेकिन सही इलाज से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए अगर मेलास्मा लंबे समय से बना हुआ है, तो खुद से इलाज करने के बजाय किसी त्वचा रोग विशेषज्ञ (Dermatologist) की सलाह जरूर लें।

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मेलास्मा स्पॉट को आमतौर पर उपस्थिति द्वारा पहचानना आसान होता है: भूरे या ग्रे-भूरे रंग के धब्बे जो दोनों तरफ एक समान और बराबर होते हैं और इनकी सीमाएं अपरिभाषित होती हैं। विभिन्न प्रकार के स्किन हाइपरपिग्मेंटेशन बीमारियों में से एक मेलास्मा है, इसके अलावा कई और विकार निम्नलिखित हैं:

  • मैट्यूरेशनल डिस्क्रोमिया, जिसमें गाल और माथे का हिस्सा बाकी चेहरे की तुलना में गहरे रंग का दिखाई देता है
  • पेरिओरिबिटल हाइपरपिग्मेंटेशन या आंखों के नीचे काले घेरे -रियेल मेलानोसिस, एक प्रकार का पिगमेंटेड कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस है जिसमें चेहरे पर ग्रे और भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं, आमतौर पर किसी सौंदर्य प्रसाधन की प्रतिक्रिया के रूप में
  • एक्सोजेनोस ऑक्रोनोसिस, लंबे समय तक हाइड्रोक्विनोन के इस्तेमाल के कारण होता है- यह एक दवा है जो मेलास्मा के उपचार के लिए प्रिस्क्राइब की जाती है। यह त्वचा के नीचे केले के आकार के पीले धब्बों के रूप में दिखाई देता है
  • एकैनथोसिस निग्रीकैन्स के कारण आमतौर पर मखमली, काले रंग का पैच बन जाता है जो अंडरआर्म्स में, जांघ के अंदरूनी हिस्सों में और गर्दन पर दिखाई देता है। डायबिटीज और मोटापे से पीड़ित लोगों में इस समस्या के होने की आशंका अधिक होती है।
  • लेन्टिजिन्स स्किन पर बनने वाले छोटे (2-3 मिमी) के गोल या अंडाकार पैच होते हैं जो गहरे भूरे रंग के होते हैं
  • लाइकेन प्लेनस पिगमेंटोसस ग्रे-भूरे रंग के पैच होते हैं जो शरीर के उन हिस्सों में दिखाई देते हैं जो सूर्य की किरणों के संपर्क में ज्यादा आते हैं

जनसाधारण व्यक्ति को इनमें से कुछ पैच एक समान ही दिख सकते हैं, लेकिन डर्मेटॉलजिस्ट या त्वचा विशेषज्ञ आमतौर पर इन सभी पैचेज के बीच अंतर बता सकते हैं। डायग्नोसिस करने के लिए, डॉक्टर आपसे आपकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में, त्वचा की स्थिति के पारिवारिक इतिहास के बारे में और जीवनशैली के कुछ कारकों के बारे में जैसे कि आप कितना समय घर के बाहर बिताते हैं जैसे कुछ सवाल पूछ सकते हैं।

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आपकी उम्र भी इसमें एक अहम कारक हो सकती है: झाईं या चित्ती पड़ना और एज स्पॉट्स भी मेलास्मा की तरह दिख सकते हैं, लेकिन झाईयां किशोरावस्था और किशोरावस्था से पहले वाली उम्र के बच्चों को प्रभावित करती हैं और समय के साथ फीकी पड़ जाती हैं और उम्र के धब्बे बुजुर्गों को प्रभावित करते हैं। मेलास्मा 20 से 50 वर्ष की आयु के लोगों में भूरे रंग के धब्बे के रूप में नजर आता है। अपने त्वचा विशेषज्ञ को इस बारे में जरूर बताएं अगर आप गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन कर रही हों या फिर अगर आप गर्भवती हों क्योंकि ये दोनों ही फैक्टर मेलास्मा का कारण बन सकते हैं। बेहद दुर्लभ स्थितियों में किसी और तरह की बीमारी की आशंका को दूर करने के मद्देनजर डॉक्टर स्किन बायोप्सी करवाने की भी सलाह दे सकते हैं।

मेलास्मा यानी चेहरे पर पड़ने वाले भूरें, स्लेटी या गहरे रंग के पैच। ये आमतौर पर गाल, माथे, नाक और ऊपरी होंठ पर दिखते हैं। खासकर ये महिलाओं को ज्यादा होते हैं , और इसकी सबसे कॉमन वजह होती है हार्मोनल बदलाव और धूप में ज्यादा रहना । अब सवाल उठता है – क्या ये मेलास्मा पूरी तरह से हट सकता है? तो इसका जवाब है: “ कभी-कभी हां, लेकिन ज़्यादातर मामलों में नहीं, इसलिए इसे पूरी तरह से ठीक करने की बजाय इसे कंट्रोल करने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए । यह एक “chronic pigmentary condition” हैं – यानी यह लंबे समय तक रहने वाली समस्या है, जो एक बार ठीक होने के बाद भी दोबारा हो सकती है।

कुछ केस में जब मेलास्मा प्रेग्नेंसी के दौरान होता है , वह डिलीवरी के बाद धीरे-धीरे अपने आप हल्का हो सकता है। लेकिन अगर मेलास्मा हार्मोनल गोलियों, जेनेटिक्स या सूरज की किरणों के कारण हुआ है तो , इसे पूरी तरह मिटाना मुश्किल हो सकता है।

मेलास्मा का इलाज संभव है, लेकिन इसे पूरी तरह मिटा देना हर केस में संभव नहीं होता। सही देखभाल, धूप से बचाव और डॉक्टर की सलाह से इसे काफी हद तक हल्का किया जा सकता है, और लंबे समय तक कंट्रोल में रखा जा सकता है।

मेलास्मा यानी चेहरे की त्वचा पर काले या भूरे रंग के चपटे धब्बे। इसके पीछे हार्मोनल बदलाव, धूप में ज़्यादा रहना और स्किन की सेन्सिटिविटी जैसे कई कारण हो सकते हैं। लेकिन अब बात करते हैं उस सवाल की जो अक्सर मरीज डॉक्टर से पूछते हैं — “डॉक्टर साहब, कौन-सा विटामिन खाएं जिससे ये मेलास्मा ठीक हो जाए?” इसके लिए कोई एक विटामिन नहीं है , बल्कि कई विटामिनों की टीम है जो स्किन की रंगत को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।

  • 1. विटामिन C (Ascorbic Acid): ये विटामिन स्किन के लिए सुपरस्टार है। ये एक पावरफुल एंटीऑक्सिडेंट होता है जो मेलेनिन (pigment) के बनने की प्रोसेस को धीमा करता है। साथ ही, ये त्वचा को धूप की हानिकारक किरणों से भी बचाता है।
  • 2. फोलिक एसिड (Vitamin B9): कुछ स्टडीज़ बताती हैं कि जिन महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी होती है, उनमें मेलास्मा ज़्यादा होता है। फोलिक एसिड त्वचा की कोशिकाओं को दोबारा बनाने में मदद करता है और हॉर्मोनल बैलेंस को भी सपोर्ट करता है।
  • 3. विटामिन B12: इसकी कमी से स्किन में pigmentation के पैटर्न बदल सकते हैं। विटामिन B12 त्वचा की हेल्दी फंक्शनिंग के लिए ज़रूरी है।
  • 4. विटामिन E: ये विटामिन स्किन को UV damage से बचाने में मदद करता है और विटामिन C के साथ मिलकर pigmentation को कम करता है।
  • 5. ग्लूटाथियोन (Glutathione): हालांकि ये विटामिन नहीं, बल्कि एक एंटीऑक्सिडेंट है, लेकिन स्किन वाइटनिंग और pigmentation को हल्का करने के लिए ये बहुत फेमस है । इसके ओरल सप्लीमेंट या इंजेक्शन भी मिलते हैं, लेकिन इनका उपयोग सावधानी से डॉक्टर की देखरेख में करना चाहिए।

मेलास्मा सिर्फ एक विटामिन से नहीं जाता — ये एक “multi-modal” ट्रीटमेंट है। विटामिन्स ज़रूर मदद करते हैं, लेकिन साथ में सनस्क्रीन, टॉपिकल क्रीम्स और लाइफस्टाइल बदलाव भी ज़रूरी हैं।

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जब मेलास्मा की बात आती है, तो सिर्फ दवा खाकर या सनस्क्रीन लगाकर ही काम नहीं चलता। चेहरे पर लगने वाली चीज़ें – खासकर सीरम (Serum) – एक अहम रोल निभाते हैं। तो चलिए, आपको बताते हैं उन टॉप एक्टिव इंग्रेडिएंट्स के बारे में जो मेलास्मा के इलाज में कारगर माने जाते हैं।

 1. विटामिन C सीरम: विटामिन C मेलास्मा की pigmentation को हल्का करता है, मेलेनिन की मात्रा कम करता है, और स्किन को ब्राइट बनाता है। 10–20% वाला एल-एस्कॉर्बिक एसिड वाला सीरम चुनें। इसमें फेरुलिक ऐसिड और विटामिन E भी हो तो और अच्छा। और सुबह चेहरे को धोकर, टोनर के बाद, 3–4 बूंदें चेहरे पर लगाएं। फिर मॉइस्चराइज़र और सनस्क्रीन ज़रूर लगाएं।

2. नायसिनामाइड सीरम (Niacinamide - Vitamin B3):  ये स्किन को सॉफ्ट करता है, डार्क स्पॉट्स कम करता है और स्किन बैरियर को मजबूत बनाता है। जिन लोगों कि स्किन सेंसेटिव होती है उनके लिए ये बहुत बढ़िया है । 

3. अर्बुटिन (Alpha Arbutin) सीरम: ये टाइरोसिनेज एंजाइम को ब्लॉक करता है जो स्किन में मेलेनिन बनाता है। इससे धीरे-धीरे दाग हल्के होते हैं।

4. कोजिक ऐसिड सीरम (Kojic Acid):  ये भी पिगमेंट को कम करता है, लेकिन थोड़ी तेज़ होता है। सेंसीटिव स्किन वालों को हल्की जलन हो सकती है, इसलिए डॉक्टर की सलाह जरूरी।

5. ट्रानेक्सामिक ऐसिड सीरम (Tranexamic Acid):  नए रिसर्च बताते हैं कि ये सीरम मेलास्मा की गहराई को कम करने में बहुत असरदार है – खासकर अगर हॉर्मोनल मेलास्मा है।

  • कभी भी दो एक्टिव इंग्रेडिएंट वाले सीरम एक साथ न मिलाएं (जैसे विटामिन C और कोजिक ऐसिड), क्योंकि इससे स्किन में इरिटेशन हो सकता है।
  • हमेशा सीरम लगाने के बाद सनस्क्रीन ज़रूर लगाएं। वरना असर उल्टा भी हो सकता है।
  • नया सीरम शुरू करते समय ‘patch test’ ज़रूर करें।

लेकिन कौन-सा सीरम आपके लिए सही है – ये आपकी स्किन टाइप, मेलास्मा की स्थिति और सेन्सिटिविटी पर निर्भर करता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह जरूर लें। 

जब चेहरे पर मेलास्मा यानी भूरे-से धब्बे उभर आते हैं, तो मरीज का पहला सवाल यही होता है – "डॉक्टर साहब, कोई दवाई बताइए जिससे ये दाग झट से गायब हो जाएं!" लेकिन अफसोस… मेलास्मा का इलाज इतना आसान नहीं है। तो मेलास्मा की सही और असरदार दवाइयाँ कौन-सी हैं — और कैसे काम करती हैं। चलिए जानते हैं - 

1. ट्रिपल कंबिनेशन क्रीम (Triple Combination Cream): ये डॉक्टरों की सबसे पहली पसंद होती है। इसमें तीन चीज़ें होती हैं:

  • हाइड्रोक्विनोन (Hydroquinone): मेलेनिन बनने से रोकता है।
  • ट्रेटिनॉइन (Tretinoin): स्किन सेल्स को रिपेयर करता है।
  • मॉमेटासोन / फ्लूसिनोलोन (Mometasone): सूजन और जलन को कम करता है।

इसका इस्तेमाल रात में, सिर्फ प्रभावित हिस्से पर लगाएँ ।

2. टोपिकल दवाएं (Topical creams) – जो धीरे काम करते हैं मगर सेफ हैं । जैसे - कोजिक ऐसिड क्रीम , अल्फा अर्बुटिन क्रीम , नायसिनामाइड क्रीम और आज़ेलाइक एसिड क्रीम (Azelaic acid) ।  ये सभी क्रीम ओवर-द-काउंटर भी मिल सकती हैं, और स्किन को हल्का करने में मदद करती हैं – बिना ज़्यादा साइड इफेक्ट्स के।

3. ओरल दवाइयाँ (खाने वाली दवाएं):

  • ट्रानेक्सामिक एसिड टैबलेट:
    नई स्टडीज़ बताती हैं कि ये गोली मेलास्मा को अंदर से कंट्रोल कर सकती है – खासकर जब मेलास्मा हार्मोनल हो

  • विटामिन C, E, फोलिक ऐसिड सप्लीमेंट्स:ये स्किन की मरम्मत और धूप से सुरक्षा में सहायक होते हैं। ये इलाज में अकेले काफी नहीं, लेकिन सपोर्टिव रोल निभाते हैं।

मेलास्मा की कोई "मैजिक पिल" नहीं होती। इलाज में समय लगता है – कम से कम 3 से 6 महीने। दवा के साथ सनस्क्रीन का रोज़ इस्तेमाल अनिवार्य है, वरना सारी मेहनत बेकार। मेलास्मा की सबसे असरदार दवा वही होती है जो आपकी स्किन टाइप और पिग्मेंटेशन की गंभीरता के अनुसार डॉक्टर तय करे।  ट्रिपल कंबिनेशन क्रीम, ट्रानेक्सामिक एसिड टैबलेट और कुछ सप्लीमेंट्स – ये कॉम्बिनेशन मिलकर अच्छा रिज़ल्ट देते हैं।

और पढ़ें - (स्किन टोन को हल्का करने के घरेलू उपाय, तरीके)

मेलास्मा की समस्या से बचने या उसका इलाज करने के लिए आजकल लोग आयुर्वेद की ओर बहुत ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। आयुर्वेद का फोकस होता है शरीर के अंदर संतुलन बनाए रखना, ताकि त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनी रहे। तो चलिए जानते हैं, मेलास्मा के लिए आयुर्वेद में क्या-क्या उपाय और इलाज हैं।

  • 1. तिल का तेल और नीम का इस्तेमाल: तिल का तेल त्वचा को पोषण देता है और मेलेनिन को संतुलित करने में मदद करता है , वहीं नीम का पेस्ट या तेल लगाने से स्किन साफ होती है और दाग-धब्बे कम होते हैं क्योंकि नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं।
  • 2. हल्दी का प्रयोग: हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व होता है, जो सूजन कम करता है और स्किन को साफ करता है।  आप हल्दी और बेसन का फेस पैक बना कर हफ्ते में 2-3 बार लगा सकते हैं। यह मेलास्मा के दाग हल्के करने में मदद करता है।
  • 3. एलोवेरा का जेल: एलोवेरा जेल में कई औषधीय गुण होते हैं जो स्किन को रिपेयर करते हैं और पिगमेंटेशन को कम करने में मदद करते हैं। इसे दिन में दो बार साफ त्वचा पर लगाएं।
  • 4. अश्वगंधा और तुलसी : अश्वगंधा स्ट्रेस को कम करती है, जो हार्मोनल असंतुलन को सुधारने में मददगार हो सकता है। तुलसी में भी त्वचा साफ करने वाले तत्व होते हैं।
  • 5. चंद्रप्रभा वटी और त्वचा के लिए आयुर्वेदिक हर्बल सप्लीमेंट्स: इन दवाओं का सेवन भी त्वचा की सूजन कम करने और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करता है, जो मेलास्मा के इलाज में सहायक होते हैं।

आयुर्वेदिक इलाज में थोड़ा पेशन्स रखना जरूरी है क्योंकि यह धीरे-धीरे असर करता है। साथ ही धूप से बचाव और नियमित स्किन केयर आयुर्वेदिक इलाज के साथ ज़रूरी है।  अगर मेलास्मा गंभीर है तो इसे केवल आयुर्वेद पर निर्भर न करें, बल्कि स्किन के डॉक्टर से जरूर मिलें ।

मेलास्मा, यानी चेहरे पर काले या भूरे दाग, जो खासकर महिलाओं में हार्मोनल बदलाव या धूप के कारण होते हैं, इसका मेडिकल ट्रीटमेंट काफी प्रभावी हो सकता है। डॉक्टर की देखरेख में जो इलाज होता है, वह दाग-धब्बों को कम करने और त्वचा की रंगत सुधारने में मदद करता है। आइए जानते हैं मेडिकल ट्रीटमेंट के मुख्य विकल्प।

1. टॉपिकल मेडिकेशन:

  • हाइड्रोक्विनोन: मेलेनिन के उत्पादन को रोकता है। यह सबसे लोकप्रिय और प्रभावी क्रीम है।
  • ट्रेटिनॉइन: त्वचा की सेल रीजेनरेशन बढ़ाता है, जिससे दाग हल्के होते हैं।
  • कोजिक एसिड और अर्बुटिन: ये मेलेनिन कम करते हैं और त्वचा को निखारते हैं।
  • नायसिनामाइड: सूजन कम करता है और त्वचा की रंगत सुधारता है।

इन दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से ही करें क्योंकि इनका सही मात्रा और समय पर इस्तेमाल ज़रूरी है।

2. केमिकल पील्स: यह एक प्रोसीजर है जिसमें त्वचा की ऊपरी परत पर हल्के एसिड लगाए जाते हैं, जैसे ग्लाइकोलिक एसिड या सालिसिलिक एसिड।  इससे डेड स्किन हटती है और नई त्वचा बनती है, जो दागों को कम करने में मदद करती है।  केमिकल पील्स कई सेशन में करवाना पड़ता है और यह डॉक्टर के क्लिनिक में ही होता है।

3. लेजर थेरेपी:

  • लेजर किरणों का उपयोग कर मेलेनिन को तोड़ा जाता है जिससे दाग हल्के होते हैं।
  • इस प्रक्रिया को विशेषज्ञ डॉक्टर से ही करवाएं।
  • लेजर थेरेपी महंगी हो सकती है, लेकिन लंबे समय में प्रभावी साबित होती है।
  • इसके बाद भी धूप से बचाव जरूरी होता है।

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मेलाज़मा के इलाज के लिए लेजर थेरेपी का अध्ययन 

यह अध्ययन "मेलास्मा का प्रबंधन: लेज़र और अन्य उपचारों की समीक्षा" मेलास्मा के उपचार में लेज़र और लाइट थेरेपी के प्रभाव और सुरक्षा का मूल्यांकन करता है।

इस अध्ययन की मुख्य बातें ये हैं कि मेलास्मा एक सामान्य त्वचा विकार है, जो मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है, विशेषकर उन लोगों को जिनकी त्वचा का फोटोटाइप III से V के बीच होता है। ये किस कारण से होता है , इसे पूरी तरह से अभी नहीं पता है, लेकिन यह माना जाता है कि यूवी विकिरण, हार्मोनल परिवर्तन (जैसे गर्भावस्था, गर्भनिरोधक), और जनेटिक्स के कारण मेलाज़मा होता है। मेलास्मा का ट्रीटमेंट कठिन होता है क्योंकि इसके लिए जो ट्रीटमेंट है वो लिमिटेड हैं और कुछ ट्रीटमेंट्स से कुछ नुकसान भी देखे गए हैं।  

इसके उपचार के लिए सूरज की यूवी किरणों से सुरक्षा करना जरूरी है ।  टॉपिकल उपचार में हाइड्रोक्विनोन, ट्रेटिनॉइन, और स्टेरॉयड युक्त क्रीम्स का उपयोग किया जाता है। केमिकल पील्स में ग्लाइकोलिक एसिड और अन्य एजेंट्स का उपयोग करके त्वचा की ऊपरी परतों को हटाया जाता है। माइक्रोनिडलिंग में त्वचा में सूक्ष्म छेद करके ट्रीटमेंट किया जाता है और , लेज़र और लाइट थेरेपी में कई प्रकार के लेज़र और लाइट थेरेपी का उपयोग किया जाता है, जैसे कि Q-switched Nd :YAG लेज़र, पिकोसेकंड लेज़र, और फ्रैक्शनल लेज़र।

लेकिन लेज़र थेरेपी की सीमाएँ हैं जैसे केवल हाइपरपिग्मेंटेशन का उपचार पर्याप्त नहीं होता जब तक कि इसे आगे रोकने के लिए और भी साथ वाले उपचार न किया जाए तो क्यूँकि सूरज के संपर्क में आने से मेलाज़मा फिर से वापस आ सकता है। इस के अलावा लेज़र उपचार से पोस्ट-इन्फ्लेमेटरी हाइपरपिग्मेंटेशन, जलन, और त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ सकती है, विशेषकर जिन लोगों कि स्किन का रंग गहरा है। 

इस अध्ययन में ये निष्कर्ष निकाल गया कि मेलास्मा का ट्रीटमेंट एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की मांग करता है, जिसमें सूरज से बचाव , टॉपिकल एजेंट्स, और उपयुक्त लेज़र या लाइट थेरेपी सब एक साथ हैं। ट्रीटमेंट की योजना बनाते समय स्किन टाइप, रोग की अवधि, और नुकसान संभावित पर विचार करना भी जरूरी है।

https://www.mdpi.com/2077-0383/13/5/1468#:~:text=The%20combination%20of%20hydroquinone%20with,action%20of%20its%20individual%20components.

4. माइक्रोडर्माब्रेशन: यह एक स्किन एक्सफोलिएशन तकनीक है जिसमें त्वचा की ऊपरी परत को हल्के से हटाया जाता है।  इससे नई त्वचा आती है और मेलास्मा के दाग हल्के होते हैं। यह ट्रीटमेंट भी डॉक्टर की निगरानी में करवाएं।

5. ओरल मेडिसिन्स: कई बार हार्मोनल इम्बैलेंस को सुधारने के लिए डॉक्टर ट्रानेक्सामिक एसिड जैसी गोलियां देते हैं, जो मेलास्मा के लिए काफी मददगार होती हैं।  लेकिन बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें।

मेलास्मा का मेडिकल ट्रीटमेंट मुख्य रूप से टॉपिकल क्रीम्स, केमिकल पील्स, लेजर थेरेपी, माइक्रोडर्माब्रेशन और कभी-कभी ओरल मेडिसिन्स से होता है। सही इलाज के लिए त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि आपका ट्रीटमेंट सुरक्षित और प्रभावी हो।

और पढ़ें - (बढ़ती उम्र के कारण होने वाले स्किन प्रॉब्लम और उनका उपाय)

मेलास्मा ग्रे और भूरे रंग के और गहरे भूरे रंग के पैचेज या धब्बे के रूप में नजर आते हैं जो चेहरे के दोनों ओर एक समान रूप से दिखते हैं, गर्दन या दोनों कंधों और फोरआर्म्स पर हो सकते हैं। गर्भावस्था या गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन करने के कारण अगर मेलास्मा की समस्या हुई हो तो यह आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाती है। ऐसे मामलों में जहां मेलास्मा की समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, धब्बों को हल्का करने या हटाने के लिए डर्मेटोलॉजिकल इलाज किया जाता है- हालांकि कुछ मरीजों में कुछ समय के बाद ये धब्बे वापस भी आ सकते हैं।

मेलास्मा से बचने या इसे सीमित करने के लिए जो सबसे अच्छी चीज आप कर सकते हैं वह है सूर्य की किरणों से सुरक्षा- एक अच्छी सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें और दिन के समय जितनी बार जरूरत हो, जितनी बार आप धूप में बाहर जाएं उतनी बार इस सनस्क्रीन को दोबारा स्किन पर लगाना न भूलें। रिसर्च के अनुसार, भारतीय पुरुषों और महिलाओं में मेलास्मा के शीर्ष कारणों में से एक सूर्य की किरणों के संपर्क में ज्यादा आना भी है।

मेलास्मा के धब्बों से निपटने का अगला और सबसे आसान तरीका मेकअप लगाना है (कॉस्मेटिक छलावरण), इसमें आप अपने चेहरे के लिए एक अच्छे कंसीलर का इस्तेमाल कर सकती हैं। डॉक्टर आपकी त्वचा के प्रकार और मेलास्मा के फैलाव के आधार पर आपको त्वचा का रंग हल्का करने वाले एजेंट्स, केमिकल पील या लेजर थेरेपी करवाने की सलाह भी दे सकते हैं। 

अन्य उपचारों में डर्माब्रेजन, CO2 लेजर और ग्लाइकोलिक एसिड पीलिंग जैसी चीजें शामिल हैं। इनमें से किसी भी प्रक्रिया को करवाने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें और उनकी परमिशन मिलने के बाद ही इनमें से किसी ट्रीटमेंट को करवाएं।

(और पढ़ें - रोज मेकअप करना सेहत के लिए हो सकता है हानिकारक)

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मेलास्मा के इलाज के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट में सबसे ज़रूरी है डॉक्टर की सलाह के तहत टॉपिकल क्रीम्स जैसे हाइड्रोक्विनोन, ट्रेटिनॉइन, कोजिक एसिड आदि का इस्तेमाल। इसके अलावा केमिकल पील्स, लेजर थेरेपी और माइक्रोडर्माब्रेशन जैसी प्रक्रियाएं दाग़ कम करने में मदद करती हैं। हार्मोनल असंतुलन की स्थिति में ओरल मेडिसिन्स भी दी जा सकती हैं। इलाज में धैर्य और धूप से बचाव बेहद आवश्यक है ताकि स्किन बेहतर और साफ़ बनी रहे। सही इलाज और देखभाल से मेलास्मा को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

Shahnaz Husain

Shahnaz Husain

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