एंथ्रेक्स एक गंभीर रोग है जो मनुष्यों और जानवरों दोनों को हो सकता है। यह रोग "बैसिलस एंथ्रेसीस" (Bacillus anthracis: एक तरह का बैक्टीरिया) के कारण होती है। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैल सकता है। त्वचा के संपर्क (cutaneous), संक्रमित भोजन के खाने (gastrointestinal: by ingestion) और संक्रमित व्यक्ति की सांस (inhalation) से एंथ्रेरक्स का बैक्टीरिया किसी स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित करता है। इस रोग से बचाव के लिए ही एंथ्रेक्स के टीके का इस्तेमाल किया जाता है।

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एंथ्रेक्स रोग की गंभीरता को देखते हुए आपको इस लेख में एंथ्रेक्स के टीके यानी एंथ्रेक्स वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इस लेख में आपको एंथ्रेक्स के टीके की खुराक, एंथ्रेक्स के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट और एंथ्रेक्स का टीका किसे नहीं लगाना चाहिए आदि को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है। 

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  1. एंथ्रेक्स का टीका क्या है? - Anthrax ka tika kya hai
  2. एंथ्रेक्स के टीके की खुराक - Anthrax ke tike ki khurak
  3. एंथ्रेक्स के टीके के साइड इफेक्ट - Anthrax vaccine side effects
  4. एंथ्रेक्स का टीका किसे नहीं लगाना चाहिए? - Anthrax ka tika kise nahi lagana chahiye
  5. सारांश

एंथ्रेक्स रोग से बचाव के लिए व्यक्ति को एंथ्रेक्स वैक्सीन दी जाती है। बाहरी कुछ देशों में इस्तेमाल होने वाले एंथ्रेक्स के टीके में बैसिलस एंथ्रेसीस कोशिकाओं को नहीं शामिल किया जाता है, इसकी वजह से टीके के कारण आपको एंथ्रेक्स होने का खतरा कम हो जाता है। कुछ विकासशील देशों में एंथ्रेक्स के टीके को 1970 में प्रमाणित किया गया, जिसको दोबारा से जांच कर लोगों के इस्तेमाल के लिए वर्ष 2008 में फिर से प्रमाणित किया गया।

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इस वैक्सीन के पुख्ता तथ्यों के आधार यह कहा जाता सकता है कि ये वैक्सीन संक्रमित व्यक्ति के त्वचा और सांस के जरिए होने वाले एंथ्रेक्स से आपका बचाव करती है। 

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एंथ्रेक्स के टीके की खुराक 18 से 65 वर्ष के लोगों को दी जा सकती है। मुख्य रूप से निम्न व्यक्तियों को एंथ्रेक्स होने की संभावना अधिक होती है।

एंथ्रेक्स का टीका की लगाने का समय-  

  • उपर्युक्त जिन लोगों को एंथ्रेक्स होने की संभावना होती है उनको एंथ्रेक्स वैक्सीन पांच खुराक में दी जाती है। पहली खुराक एंथ्रेक्स होने की संभावना होते ही व्यक्ति को जल्द से जल्द देने की सलाह दी जाती है।  
    इसके बाद दूसरी खुराक 4 सप्ताह बाद, तीसरी खुराक 6 सप्ताह, चौथी खुराक 12 सप्ताह बाद और अंतिम खुराक 18वें महिने में दी जाती है। इसके बाद एंथ्रेक्स से नियमित बचाव के लिए व्यक्ति को हर साल बूस्टर डोज लगाने की आवश्यकता होती है। अगर आप एंथ्रेक्स के टीके की किसी खुराक को लेना भूल जाएं, तो ऐसे में इस टीके दोबारा से शुरू न करके इसकी अगली खुराक को जल्द से जल्द ले लें। (और पढ़ें - पोलियो का टीका क्यों लगवाना चाहिए)
     
  • सामान्य व्यक्ति को एंथ्रेक्स के टीके की तीन खुराक दी जाती है। पहली खुराक जल्द से जल्द देनी होती है, इसके बाद दूसरी खुराक 2 सप्ताह बाद और तीसरी खुराक चार सप्ताह में दी जाती है।   

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सामान्यतः एंथ्रेक्स के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इस वैक्सीन को लगाना सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें इस वैक्सीन की प्रतिक्रियाएं गंभीर हो सकती हैं।

एंथ्रेक्स के टीके से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है-

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कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों में एंथ्रेक्स के टीका को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को शिशु या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते हैं। आगे जानते हैं कि किन लोगों को एंथ्रेक्स का टीका नहीं दिया चाहिए।

  • यदि किसी व्यक्ति को एंथ्रेक्स के टीके की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हो, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें)
     
  • वैक्सीन लेते समय यदि किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो तो ऐसे में वैक्सीन की खुराक लेने से पहले ठीक होने तक का इंतजार करना चाहिए। साथ ही इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। (और पढ़ें - टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए)
     
  • एंथ्रेक्स के टीके में मौजूद तत्व से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)
     
  • जीबीएस (GBS: Guillain-Barre Syndrome: रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी विकार) होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह के बाद ही एंथ्रेक्स का टीका लगाना चाहिए। 

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एंथ्रेक्स वैक्सीन एक विशेष टीका है जो Bacillus anthracis नामक बैक्टीरिया से होने वाले एंथ्रेक्स संक्रमण से बचाव के लिए विकसित किया गया है। यह संक्रमण मुख्य रूप से त्वचा, फेफड़ों और पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है और कभी-कभी जानलेवा भी हो सकता है। एंथ्रेक्स वैक्सीन आमतौर पर उन व्यक्तियों को दिया जाता है जो जोखिम वाले समूह में आते हैं, जैसे लैब तकनीशियन, जानवरों के उत्पादों से जुड़े काम करने वाले लोग, और सैन्य कर्मी। इस टीके का उद्देश्य शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना और संक्रमण के प्रभाव को रोकना है। इसे डॉक्टर की निगरानी में और निर्धारित अंतराल पर लगाया जाता है। वैक्सीन के साथ स्वच्छता और सुरक्षा उपाय अपनाना संक्रमण से बचाव के लिए आवश्यक है।

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