मल में रक्त आना जिसे हम आम भाषा में खूनी दस्त के रूप में भी जानते हैं। मल में रक्त आना आपके पाचन तंत्र में चोट लगने या खून बहने का संकेत हो सकता है।

यदि आपके मल में ब्राइट रेड ब्लड आ रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपको जठरांत्र मार्ग, बृहदान्त्र, मलाशय या बवासीर की समस्या है।

यदि आपके मल का रंग काला है तो इसका मतलब यह है कि मल में खून आने का कारण ऊपरी पाचन तंत्र यानि घेघा या पेट से सम्बंधित समस्या हो सकती है। जिसे चिकित्सकीय भाषा में मेलेना भी कहा जाता है। यह लक्षण कुछ रोगों जैसे कि बवासीर, एनल फिशर, पेट का अल्सर, इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि में बहुत आम हैं। कुछ आहार परिवर्तन इस लक्षण को रोकने में मदद कर सकते हैं, वहीं कुछ इस स्थिति को और खराब कर सकते हैं। इस लेख में हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे और तेजी से ठीक होने के लिए एक भारतीय डाइट प्लान भी आपके साथ शेयर करेंगे :

(और पढ़ें - मल में खून आने के घरेलू उपाय)

  1. मल में खून आने पर क्या खाना चाहिए - What to eat during blood in stool in Hindi
  2. मल में खून आने पर परहेज और क्या न खाएं - Food to avoid when you see blood in stool in Hindi
  3. किन भोजनों से होती है मल में खून की शिकायत - What food can cause blood in stool in Hindi
  4. मल में खून की समस्या को ठीक करने के लिए भारतीय डाइट प्लान - Indian diet plan for blood in stool in Hindi
मल में खून आने पर क्या खाना चाहिए, क्या न खाएं और डाइट प्लान के डॉक्टर

आहार में किए गए कुछ परिवर्तन, इस स्थिति को नियंत्रित करने में मददगार हो साबित सकते हैं, वे इस प्रकार हैं :

नरम आहार - A soft diet can be beneficial to control blood in stool in Hindi

सॉफ्ट डाइट इस स्थिति से तुरंत राहत दे सकती है और आपके पाचन तंत्र को इस प्रकार की बीमारियों से आराम देने और उबरने में मदद करती है। इस डाइट में अच्छे से पके हुए, नरम आहार रोगी को दिए जाते हैं, जिन्हे चबाने एवं निगलने में तकलीफ न हों। इस डाइट में मसालेदार खाना, तले हुए या वसायुक्त खाने का उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए जब आप अपने भोजन की योजना बना रहे हों, तो रक्तस्राव को रोकने और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए चावल का दलिया, सूजी की खीर, साबूदाने की खीर, मसला हुआ आलू आदि का उपयोग कर सकते हैं।

(और पढ़ें - साबूदाना खिचड़ी बनाने का तरीका)

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ओलिगोएनटीजेनिक डाइट - Oligoantigenic diet can be helpful in Hindi

कुछ शोध अध्ययन हैं जो कहते हैं कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग को रोकने के लिए ओलिगोएनटीजेनिक डाइट लेना सहायक साबित हो सकता है। ओलिगोएनटीजेनिक आहार का मूल विचार आपकी डाइट से उन सभी खाद्य पदार्थों को निकाल देना है, जो आपके शरीर में संभावित रूप से एलर्जी को बढ़ाने का कार्य करते हैं। इसमें कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल हैं, जिनकी आप उम्मीद भी नहीं कर सकते हैं। हो सकता है आपको गाय का दूध, पनीर, गेहूं, अंडे, चॉकलेट, नट्स और खट्टे फल आदि से एलर्जी हो और आपको इनका सेवन बंद करना पड़े। यदि आप अपने एलर्जी पैदा करने वाले भोजन के बारे में जानना चाहते हैं, तो पहले अपने पोषण विशेषज्ञ और डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।

(और पढ़ें - एलर्जी के लिए क्या करना चाहिए)

प्रोबायोटिक आहार - Probiotics help with blood in stool in Hindi

प्रोबायोटिक्स से समृद्ध आहार कब्ज और इर्रिटेबल बॉउल सिंड्रोम जैसी पेट के समस्याओं में काफी राहत दिलाता है। प्रोबायोटिक्स दही, खमीरीकृत खाद्य पदार्थ, इडली, ढोकला, केफिर, अचार आदि में काफी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो कि पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखने, पोषक तत्वों को पचाने और अवशोषित करने में मदद करते हैं। मल में खून आने के दौरान, यह पेट के लिए हीलिंग एजेंट की तरह काम करते हैं।

(और पढ़ें - कब्ज का घरेलू उपाय)

फाइबर डाइट - Fiber good for blood in stool in Hindi

कई अलग-अलग स्थितियों के कारण मल में खून हो सकता है। उन सभी स्थितियों में, फाइबर एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व के रूप में कार्य करता है। यह आपके मल को बल्की बनाता है और पेट से आसानी से निकालने में मदद करता है। ऐसे में अपने भोजन में ताजे फल, सब्जियों और साबूत व मोटे अनाज आदि को शामिल करें। जब आप डाइट में फाइबर की खुराक बढ़ाते हैं, तो साथ में खूब सारा पानी पीने की भी आदत डालें। यदि आप पुरानी कब्ज से ग्रसित हैं, तो भोजन संबंधित आदतों में अचानक से परिवर्तन, पेट में दर्द एवं असुविधा दे सकता है। इसलिए किसी भी फाइबर सप्लीमेंट को शुरू करने से पहले, आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। अन्यथा, उन्हें प्राकृतिक स्रोतों से लेने का प्रयास करना चाहिए।

(और पढ़ें - मल में खून आने की होम्योपैथिक दवा)

पानी - Drink plenty of water for blood in stool in Hindi

पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन शरीर को पोषण देने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह पुरानी से पुरानी कब्ज को खत्म करने में मदद करता है, जो इस स्थिति की एक बड़ी समस्या है। मल में खून आने से बचने के लिए अच्छा हाइड्रेशन बनाए रखना मददगार साबित हो सकता है। हर दिन 2-3 लीटर या 10-12 गिलास पानी पीने की कोशिश करें। यदि आप सादा पानी पीने में सक्षम नहीं हैं, तो छाछ, नींबू पानी या डिटॉक्स वाटर से इस आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं।

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एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड - Anti inflammatory food for blood in stool in Hindi

सूजन आमतौर पर कुछ पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोन्स डिजीज आदि में देखी जाती है। यदि इस दौरान सूजन का इलाज नहीं किया जाए, तो यह स्थिति को और खराब कर सकता है। यदि आप समस्या से बार-बार ग्रसित हो जाते हैं, तो कुछ भोज्य पदार्थ आपके लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं, जैसे कि :

ओमेगा-3 से भरपूर आहार - फैटी फिश एवं कॉड लिवर ऑयल में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर की सूजन को कम करने में एवं लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। यदि आप शाकाहारी हैं, तो इस पोषक तत्व के लिए अखरोट एवं अलसी के बीज का भी सेवन कर सकते हैं।

(और पढ़ें - शाकाहारी भोजन के फायदे)

हल्दी - हल्दी अपने एंटी इन्फ्लेमेटरी गुणों के लिए जानी जाती है। इसे आप कच्चे, पाउडर या गोली के रूप में दैनिक तौर पर ले सकते हैं। हल्दी को आहार में शामिल करने के लिए आप इसे अपनी हर्बल चाय, दूध, सब्जी, दाल या अचार आदि में भी शामिल कर सकते हैं। 

(और पढ़ें - हल्दी और गर्म पानी के फायदे)

शकरकंद - शकरकंद में अच्छी मात्रा में कोलीन होता है जो कि एक प्रकार का माइक्रोन्यूट्रिएंट है। यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद करता है। इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए शकरकंद का लगातार सेवन फायदेमंद साबित होता है।

सभी रंगीन फल और सब्जियां - मल में खून आने को नियंत्रित करने के लिए अपने आहार में सभी रंगीन फलों और सब्जियों को शामिल करना एक अच्छा विकल्प है। इनमें फाइबर, पानी, विटामिन और खनिजों की अच्छी मात्रा होती है। लेकिन सभी पौष्टिक लाभों की प्राप्ति के लिए पैक किए गए जूस या सूप के बजाय ताजा और मौसमी फल व सब्जियों को चुनें।

(और पढ़ें - पेचिश का इलाज)

कुछ खाद्य विकल्प हैं जो एसिड रिफ्लक्स, गैस, कब्ज, सूजन और अन्य स्थितियों को बढ़ा सकते हैं, जो इस स्थिति को और खराब कर सकते हैं। उनसे बचने की कोशिश करें, यहां वे हैं :

तेल व मसाले वाले आहार - Spicy cause blood in stool in Hindi

मसालेदार, तले हुए, चिकने और वसायुक्त खाद्य पदार्थ सभी शरीर में एसिडिटी एवं सीने में जलन (हार्टबर्न) पैदा कर सकते हैं। क्योंकि वे निचले इसोफेजियल स्फिंक्टर को पूरी तरह से कसने से रोकते हैं; जो कि पेट के एसिड को ऊपर की ओर प्रवाहित करने का काम करते हैं। स्फिंक्टर के खराब होने की स्थिति में पेट संबंधी बीमारियां एवं मल में खून की समस्या हो सकती है।

(और पढ़ें - सीने में जलन होने पर क्या खाना चाहिए)

इंफ्लेमेटरी फूड - Food that increase inflammation in the body in Hindi

कई साक्ष्य ये बताते हैं कि अधिक चीनी एवं रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट खाने से पेट में सूजन हो सकती है। इसलिए सफेद चीनी, शहद, फलों के रस, मैदा एवं मैदे से बनी चीजें, मिठाई, कार्बोनेटेड या एनर्जी ड्रिंक आदि से बचने की कोशिश करें।

(और पढ़ें - सूजन कम करने के घरेलू उपाय)

धूम्रपान एवं शराब - Smoking is bad for blood in stool in Hindi

शराब और धूम्रपान पेट के एसिड को बढ़ा सकते हैं, जो पेट के अल्सर का कारण बनता है। मल में रक्तस्राव होने पर मादक पेय या धूम्रपान से परहेज करें।

(और पढ़ें - शराब की लत कैसे छुड़ाएं)

कैफीन - Caffeine cause blood in stool in Hindi

कैफीन शरीर में निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन पैदा कर सकती है, जो कब्ज के जोखिम को बढ़ा सकती है। इससे कुछ बीमारियों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल रक्तस्राव हो सकता है। अतः अपने कैफीन युक्त खाद्य एवं पेय पदार्थों यानी आपकी चाय, कॉफी, एनर्जी ड्रिंक, चॉकलेट आदि को बिना-कैफीन वाली ग्रीन टी, हल्दी चाय, हर्बल चाय, नींबू पानी, छाछ और गुड़, आदि से बदल सकते हैं।

प्रोसेस्ड फूड आंत के लिए काफी खराब माने जाते हैं। ये हमारे पेट के बैक्टीरिया को असंतुलित कर देते हैं, जो कि हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली की स्थिति को भी खराब कर देते हैं। इससे पेट संबंधी समस्याओं को बढ़ावा मिलता है, जो कि कुछ खतरनाक स्वास्थ्य स्थिति की ओर ले जाते हैं, साथ ही मल में खून का कारण बन सकते हैं। इस खाद्य समूह को न लेने के लिए, घर पर पका हुआ भोजन लें और बाजार के तैयार खाद्य पदार्थों, फ्रेंच फ्राइज, पैकेज्ड स्नैक्स (चिप्स, नमकीन, बिस्कुट), बेकरी उत्पाद (केक, पेस्ट्री), प्रोसेस्ड मीट आइटम (बेकन, सॉसेज, हैम, सलामी), आदि से बचें।

(और पढ़ें - मीट खाने के फायदे)

यहां हम एक सैंपल डाइट प्लान साझा कर रहे हैं, जो कि इस समस्या से राहत दिलाने में काफी मददगार साबित होगा :

सुबह खाली पेट - गर्म पानी (1 गिलास) + भीगी हुई किशमिश (8-10)
सुबह का नाश्ता - साबूदाना की खिचड़ी (1 कटोरी) + स्ट्रॉबेरी स्मूदी (1 गिलास)
मध्य आहार - संतरा (1) / छाछ (1 गिलास)
दोपहर का भोजन - सब्जियों के साथ बनी खिचड़ी (1 कटोरी) + दही (1 कटोरी)
शाम की चाय - हर्बल चाय (1 कप) + मसला हुआ पनीर (15-20 ग्राम)
रात का खाना - दाल का सूप (1 कटोरी) + मसला हुआ चावल (1 कटोरी) + कोई भी मौसमी सब्जी (1 कटोरी)
सोते-समय - पपीता (1 कटोरी)

Dr. Dhanamjaya D

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