दिल्ली, पंजाब और हरियाणा तीनों ही राज्यों में इस समय वायु प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। इस खराब वायु के चलते लोगों को सरकार व कई विशेषज्ञों द्वारा घर से बाहर न निकलने की हिदायत दी गई है। इस समय बाहर निकलना मतलब अपने फेफड़ों को आघात पहुंचाने और 30 से 35 सिगरेट पीने के बराबर होगा।
एक्यूआईसीएन के आंकड़ों की मानें तो इस समय दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 150 से 450 के बीच है, जिसे दिल्ली का अब तक का सबसे बुरा स्केल बताया जा रहा है। हरियाणा का एक्यूआई 110 से 256 है और पंजाब का वायु प्रदूषण 250 से 650 मापा गया है।
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इस प्रदूषित वायु के कारण लोगों को कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार हर साल विश्व भर में करीब 70 लाख लोगों की वायु प्रदूषण के कारण मृत्यु हो जाती है। दुनिया की कुल 91 प्रतिशत आबादी ऐसी जगहों पर रहती है, जो डब्लूएचओ द्वारा बताई गई वायु गुणवत्ता की सुरक्षित सीमा से अधिक है।
वायु प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य संबंधी रोग:
- स्ट्रोक
- हृदय रोग
- फेफड़ों संबंधी रोग
- सांस फूलना
- आंखों में खुजली होना, आंखों से पानी आना, आंखों में जलन होना और आंखें लाल होना
प्रदूषण के कारण होने वाले रोग मुख्य रूप से सबसे अधिक आंखों से जुड़े होते हैं। आज हम आपको इन रोगों से बचने व इनके कारण और लक्षणों के बारे में बताएंगे।
आंखों में जलन और खुजली होना
बीएमजे जर्नल ऑफ इनवेस्टिगेटिव मेडिसिन में छपी स्टडी के अनुसार, लंबे समय तक वायु प्रदूषण के संपर्क में रहने से कभी न ठीक होने वाले आंखों से संबंधित रोग हो सकते हैं। वायु प्रदूषण में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO) मौजूद होते हैं, जिनकी वजह से आपकी आंखें हमेशा के लिए प्रभावित हो सकती हैं।
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प्रदूषण के कारण नेत्र रोगों की शुरुआत आंखों में खुजली व जलन से हो सकती है। इस स्थिति में आंखों के आसपास खुजली व जलन महसूस होती है, जिसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह एक गंभीर रोग का रूप ले सकती है।
आंखों में खुजली व जलन होने के कारण निम्न रोग होने की आशंका सबसे अधिक होती है :
- एटोपिक केराटोकंजंक्टिवाइटिस (Atopic keratoconjunctivitis)
- एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस (Allergic conjunctivitis)
- एटोपिक डर्मेटाइटिस (Atopic dermatitis)
- ड्राई आई सिंड्रोम (Dry eye syndrome)
- ऑयल ग्लैंड डिस्फंक्शन (Oil gland dysfunction)
- ब्लेफेराइटिस (Blepharitis)
- कांटेक्ट लेंस से होने वाला कंजंक्टिवाइटिस
- इन्फेक्शन
इनमें से कई रोग ऐसे हैं, जिनका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल सका है। हालांकि, इन रोगों से बचने के लिए इनके लक्षणों को सही समय पर पहचान कर उनका इलाज कर बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। बता दें, कि आंखों से जुड़े अधिकतर रोगों के मुख्य लक्षण आंखों में जलन और खुजली से ही जुड़े हैं।
आंखों में जलन और खुजली से बचाव
आंखें हमारे शरीर के बेहद नाजुक और संवेदनशील अंग हैं, जिसका अधिकतर क्षेत्र नमी से भरा होता है। इसी कारण यह शरीर के अन्य अंगों के मुकाबले प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। प्रदूषण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए आंखों को न रगड़ें, आंखों में दर्द होने पर बर्फ से सिकाई करें, धूम्रपान न करें, विटामिन ए व ओमेगा 3 युक्त आहार का सेवन करें और लगातार लंबे समय तक काम न करें। इनके अलावा आप डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं की मदद से भी अपनी आंखों को आराम पहुंचा सकते हैं। ऑई ड्रॉप्स को ठंडा करके इस्तेमाल करना अधिक प्रभावशाली हो सकता है, इसमें मुख्य रूप से डीकन्जेस्टन्ट ऑई ड्राप (म्यूकस और लालपन को कम करने वाली) शामिल है। हालांकि, अपने डॉक्टर से सलाह लिए बिना किसी भी दवा व ऑई ड्राप का इस्तेमाल न करें। आंखों में खुजली होने पर आप इसका इलाज ठंडी सिकाई व गुलाब जल की मदद से घर पर भी कर सकते हैं।
कंप्यूटर पर काम करते समय अपनी आंखों को स्क्रीन से 20 से 26 इंच की दूरी पर रखें। ऐसी लाइट्स का प्रयोग न करें, जिनसे बहुत तेज रोशनी, चमक या प्रतिबिंब निकलता हो। यदि आंखों में जलन महसूस होती है तो फोन का इस्तेमाल कम कर दें।