भारत में हर 1 हजार में से 3 बच्चे सेरेब्रल पाल्सी बीमारी के साथ जन्म लेते हैं। इनमें से करीब 70 प्रतिशत बच्चे सेरेब्रल पाल्सी के एक विशेष प्रकार स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित होते हैं। हर साल 6 अक्टूबर को मनाए जाने वाले विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस के मौके पर हम आपको बता रहे हैं कि आखिर स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी क्या होती है और स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी 3 तरह की होती है, उनके बारे में भी जानकारी देंगे।
इसके अलावा यहां पर स्पास्टिसिटी यानी संस्तंभता के बारे में भी चर्चा की गई है। चिकित्सा साहित्य (मेडिकल लिट्रेचर) के अनुसार, "ब्रेन में मौजूद ऊपरी मोटर न्यूरॉन में हुए घाव या क्षति के पारंपरिक नैदानिक अभिव्यक्ति को ही स्पास्टिसिटी कहते हैं। नैदानिक रूप से स्पास्टिसिटी मांसपेशियों में निष्क्रिय स्ट्रेचिंग द्वारा पेश किए जाने वाले बढ़ते प्रतिरोध के रूप में प्रकट होती है और अक्सर इसके साथ कई चीजें जुड़ी होती हैं- स्पास्टिक अंग से जुड़ी अद्भुत घटना (क्लैस्प-नाइफ फिनॉमेना), टेंडन या कण्डरा रिफ्लेक्स में बढ़ोतरी, क्लोनस (मांसपेशियों में होने वाली अनैच्छिक सिकुड़न), आंकुचक और पैरों में ऐंठन या मरोड़ जिसमें पैर शरीर से दूर जाने लगें (एक्सटेंसर स्पास्म)। "
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दूसरे शब्दों में समझें तो स्पास्टिसिटी में उच्च मांसपेशी टोन (हाइपरटोनिया) के संयोजन की विशेषता होती है, मांसपेशियों में प्रतिरोध बढ़ जाता है जो इतना फैल नहीं पाता कि शरीर में मौजूद फ्लूइड की गतिविधि सही तरीके से हो पाए, मांसपेशियों में लगातार संकुचन होता रहता है, मांसपेशियों में ऐंठन और अतिरंजित सजगता (हाइपरएक्टिव टेंडन या कण्डरा रिफ्लेक्स) होने लगती है जिसके कारण अनिश्चित और त्रुटिपूर्ण और कभी-कभी अनैच्छिक गतिविधियां भी होने लगती हैं। स्पास्टिक सेरेब्रल पाल्सी और स्पास्टिसिटी के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें: