श्वसन एवं फेफड़ों को प्रदूषकों या हानिकारक पदार्थों से बचाने के लिए दी जाने वाली एक प्रतिक्रिया के रूप में खांसी को समझा जा सकता है। प्रमुख तौर पर खांसी दो तरह की होती है - एक सूखी खांसी और दूसरी बलगम वाली खांसी हो सकती है। सूखी खांसी में मुंह सूखा रहता है और थूक या बलगम नहीं आता है, जबकि बलगम वाली खांसी में श्वसन मार्ग को साफ करने के लिए बलगम बनता है।
कभी-कभी खांसी होना सामान्य बात है, लेकिल अगर लगातार खांसी हो रही है तो इसका संबंध किसी अन्य लक्षण जैसे कि एसिड रिफलक्स, सांस लेने में दिक्कत, बलगम ज्यादा बनने या छाती में दर्द से हो सकता है। ये सभी समस्याएं किसी बीमारी का संकेत हो सकती हैं, जिनका तुरंत इलाज करवाने की जरूरत हो।
होम्योपैथिक दवाएं खांसी को कम एवं संपूर्ण सेहत में सुधार लाने में प्रभावशाली हैं। खांसी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख होम्योपैथिक दवाओं में सूखी और दर्दभरी खांसी के लिए ब्रायोनिआ, गला बैठने और तेज आवाज आने वाली खांसी के लिए फास्फोरस शामिल है।
इसके अलावा सूखी खांसी के साथ गाढ़ा बलगम आने के लिए पल्सेटिला और ठंडी हवा में सांस लेने से शुरू हुई सूखी खांसी के लिए रूमेक्स क्रिस्पस दवा ली जाती है।
इन दवाओं के अतिरिक्त एकोनिटम नैपेल्लस, एंटीमोनियम टारटेरिकम, बेलाडोना, कैमोमिला, ड्रोसेरा, फेरम फास्फोरिकम, हेपर सल्फ्यूरिस कैल्केरियम, कैली सल्फ्यूरिकम, स्पोंजिया टोस्टा, सल्फर, इपिकैक और नुक्स वोमिका भी खांसी के इलाज में उपयोगी हैं।