विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया की दस प्रतिशत तक की आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकती है। डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख माइकल रेयान ने एजेंसी की तरफ से कोविड-19 के अधिकतम मामलों का अनुमान लगाते हुए यह बात कही है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एसोसिएडिट प्रेस के मुताबिक, कोविड-19 संकट को लेकर डब्ल्यूएचओ की 34 सदस्यीय एक्जिक्यूटिव बोर्ड की बैठक में बोलते हुए माइकल रेयान ने कहा कि कोविड-19 के शहरी और ग्रामीण आंकड़ों में अंतर है। उन्होंने कहा कि यह अंतर अलग-अलग समूहों में भी दिखाई देता है। माइकल रेयान की मानें तो आखिर में इसका मतलब यही है कि दुनिया का बड़ा हिस्सा अब भी कोरोना वायरस के खतरे में है।
गौरतलब है कि मेडिकल एक्सपर्ट काफी समय से कहते रहे हैं कि कोविड-19 के मरीजों की औपचारिक संख्या असल में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों के आंकड़े से काफी कम है। माइकल रेयान का बयान इसी ओर ध्यान खींचता है। दुनिया की आबादी 760 करोड़ से ज्यादा बताई जाती है। माइक ने कहा है कि इसका एक से दस प्रतिशत हिस्सा सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित हो सकता है। इसका मतलब है कि नए कोरोना वायरस की चपेट में आए लोगों का असल आंकड़ा 7.6 करोड़ से लेकर 76 करोड़ तक हो सकता है।
उधर, डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कोविड-19 से निपटने के लिए वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लेकर टिप्पणी की है। इसमें उन्होंने संकेत दिया है कि 2022 तक दुनिया की 60-70 प्रतिशत से ज्यादा आबादी का कोविड-19 टीकाकरण नहीं किया जा सकता। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस वैक्सीन जब भी तैयार होगी, उसके पहले लाभार्थी वे लोग होंगे जो महामारी के चलते पैदा हुए स्वास्थ्य संकट से निपटने में सबसे आगे की पंक्ति में काम कर रहे हैं। इनमें डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं।
स्वामीनाथन ने कहा कि इसके अलावा उन लोगों को कोविड-19 वैक्सीन सबसे पहले लगाई जाएगी, जिन पर इस बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा है, जैसे बुजुर्ग और पहले से अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग। यह कहते हुए डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा, 'अगर हम सभी देशों की आबादी के 60 से 70 प्रतिशत हिस्सों को वैक्सीनेट करने का लक्ष्य रखें तो यह काम 2022 से पहले होने की संभावना नहीं है।' सौम्या स्वामीनाथन ने वैक्सीन की कीमत को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा है कि भारतीय कंपनियां सस्ते वैक्सीन निर्माण की कला और विज्ञान में निपुण हैं। बकौल स्वामीनाथन, 'मैं आशावादी हूं कि एक बार वैक्सीन तैयार होने के बाद यह कुछ डॉलर में उपलब्ध होनी चाहिए।'
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यूके में 50 प्रतिशत लोगों को वैक्सीनेट करने की योजना
कोविड-19 वैक्सीन तैयार होने के बाद इसके टीकाकरण की रूपरेखा किस प्रकार की हो सकती है, इसका एक संभावित उदाहरण यूनाइटेड किंगडम (यूके) में देखने को मिला है। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यूके की सरकार की योजना है कि वैक्सीन तैयार होने के बाद इसे केवल आधी जनसंख्या को लगाया जाएगा, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के नागरिक शामिल नहीं होंगे। वहीं, जिन लोगों को टीका लगेगा, उनमें भी कुछ विशेष लोगों को वरीयता दी जा सकती है। यूके में कोरोना वायरस वैक्सीन टास्कफोर्स के प्रमुख केट बिंगम ने वहां के प्रतिष्ठित अखबार फाइनैंशिय टाइम्स से बातचीत में ये जानकारियां दी हैं। खबर के मुताबिक, बिंगम ने कहा है, 'लोग पूरी जनसंख्या को वैक्सीनेट करने की बात करते रहते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों का टीककारण नहीं होगा। यह 50 साल से ज्यादा उम्र वाले वयस्कों, स्वास्थ्यकर्मियों, केयर होम वर्करों और बीमारी के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए तैयार की गई वैक्सीन है।'
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