कोविड-19 महामारी के बीच ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि कोमोरबिडिटीज से ग्रस्त रोगियों को सबसे पहले कोविड की वैक्सीन लेनी चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि कोविड-19 की वजह से उनके गंभीर तौर पर बीमार होने का अधिक जोखिम है. अब सवाल ये उठता है कि आखिर कोमोरबिडिटीज है क्या और ये किस तरह से कोविड-19 को प्रभावित करता है?

आज इस लेख में हम कोविड-19 व कोमोरबिडिटीज के बीच संबंध के बारे में ही जानने का प्रयास करेंगे -

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  1. क्या है कोमोरबिडिटीज?
  2. सारांश
  3. कोमोरबिडिटी मरीज को कोविड हो तो क्या करें?
  4. कोमोरबिडिटी लिस्ट में शामिल बीमारियां
  5. कोमोरबिडिटी मरीजों पर कोविड-19 का प्रभाव
क्या कोमोरबिडिटी मरीजों के लिए खतरनाक है कोविड? के डॉक्टर

कोमोरबिडिटीज का मतलब है कि एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक बीमारियों का होना. जैसे, एक व्यक्ति को डायबिटीज के साथ-साथ हाइपरटेंशन भी हो या फिर डायबिटीज और किडनी फेल्यर जैसी बीमारियां एक साथ हों. पहली बार इस टर्म को 1970 के दशक में जाने-माने डॉक्टर और एपिडेमोलॉजिस्ट एआर फीनस्टीन ने उन लोगों के लिए इस्तेमाल में लाया, जो रूमेटिक बुखार व अन्य कई बीमारियों से पीड़ित थे.

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कोविड-19 में कोमोरबिडिटीज से ग्रस्त मरीज को कोरोना होने के बाद जोखिम कई गुणा बढ़ जाने की आशंका रहती है. ऐसे में इन लोगों के लिए जरूरी है कि ये कोविड-19 के सभी नियमों और सावधानियों का पालन करें. इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेकर आगे के कदम उठाने पर ध्यान देना चाहिए.

व्यक्ति की उम्र जितनी अधिक होगी और जितनी ज्यादा स्वास्थ्य समस्याएं रहेंगी, उतना ही ज्यादा जरूरी हो जाता है कि वह कोविड-19 के खिलाफ पूरी तरह से सावधानी बरते. वैक्सीनेशन, बूस्टर डोज, मास्क पहनना, दूरी बनाकर रहना और हाथ साफ करते रहना जैसे उपायों पर नियमित ध्यान देना जरूरी है. कोविड-19 की वजह से अपने मेडिकल कन्डिशन की अनदेखी नहीं करनी चाहिए, सही समय पर जांच, इलाज, दवा व डाइट जरूरी है.

कोमोरबिडिटीज में कई बीमारियां शामिल हैं, जो किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकती हैं. आइए, इन बीमारियों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

डायबिटीज

डायबिटीज चाहे टाइप 1 हो या टाइप 2, इन दाेनों ही अवस्थाओं में मरीज को कोविड-19 होने स्थिति खतरनाक हो जाती है.

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सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर

अल्कोहल, अफीम या कोकीन जैसे किसी नशे का इस्तेमाल करने वाले लोगों को कोविड-19 से जोखिम बढ़ जाता है.

इन बीमारियों के अलावा, मोटापा, डाउन सिंड्रोम, सेरेब्रोवस्कुलर डिजीज, ट्यूबरक्लोसिस, क्रोनिक किडनी रोग व एचआईवी इंफेक्शन जैसे रोग होने से कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है.

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ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट

किसी सॉलिड ऑर्गन या ब्लड स्टेम सेल ट्रांसप्लांट, जिसमें बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी शामिल है, के बाद कोविड-19 होने से स्थिति गंभीर होने की आशंका रहती है.

स्मोकिंग

इस समय स्मोक करने वाले या पहले स्मोक की आदत रखने वालों को कोविड -19 से खतरा है. स्मोकिंग करने वालों को इसे छोड़ देने की सलाह दी जाती है. यदि आदत छूटी हुई है, तो भूलकर भी इसे दोबारा नहीं शुरू करना चाहिए.

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हीमोग्लोबिन ब्लड डिसऑर्डर

सिकल सेल डिजीज या थैलेसीमिया जैसे हीमोग्लोबिन ब्लड डिसऑर्डर वाले लोगों को भी कोविड-19 से गंभीर तौर पर बीमार होने का जोखिम रहता है.

प्रेगनेंसी

नॉन-प्रेग्नेंट महिलाओं की तुलना में प्रेग्नेंट हुई महिलाओं या फिर डिलीवरी के बाद कम से कम 42 दिन तक कोविड-19 होने का जोखिम अधिक रहता है.

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मानसिक स्वास्थ्य स्थितियां

मूड डिसऑर्डर, डिप्रेशनसिजोफ्रेनिया स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर जैसी मानसिक स्थिति होने पर भी कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा रहता है.

इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड स्टेट

इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड स्टेट से ग्रस्त मरीज का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. ऐसा प्राइमरी इम्युनोडेफिशिएंसी जेनेटिक डिफेक्ट की वजह से होता है. कोर्टिस्टेरॉयड्स या इम्यून को कमजोर करने वाली अन्य दवाइयों के सेवन से सेकंडरी या एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी होने का जोखिम रहता है.

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हृदय रोग

हार्ट फेल्यर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, कार्डियोमायोपैथीज और हाई ब्लड प्रेशर होने के बाद कोविड-19 होने से स्थिति के गंभीर होने की आशंका बढ़ जाती है.

डिमेंशिया

डिमेंशिया जैसे न्यूरोलॉजिकल अवस्था से ग्रस्त मरीज को भी कोविड-19 होने पर खतरा बढ़ जाता है.

क्रोनिक लंग डिजीज

इसमें अस्थमा, ब्रोन्किइक्टेसिस यानी फेफड़ों के हवा के रास्ते का मोटा होना, ब्रोन्कोपल्मोनरी डिस्प्लेसिया यानी नवजात को प्रभावित करने वाली फेफड़ों की बीमारी, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, लंग टिशू का डैमेज होना, फेफड़ों में खून का थक्का बनना, पल्मोनरी हाइपरटेंशन यानी फेफड़ों में हाई ब्लड प्रेशर आदि शामिल हैं.

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क्रॉनिक लिवर डिजीज

अल्कोहल संबंधित लिवर की बीमारी, नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस और खासतौर से लिवर सिरोसिस की अवस्था में कोविड-19 होने से गंभीर तौर पर बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है.

कैंसर

कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति को कोविड-19 से गंभीर तौर पर बीमार होने का खतरा रहता है. कैंसर के इलाज से शरीर कमजोर हो जाता है और बीमारी से लड़ने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है. शोध बताते हैं कि कैंसर से पीड़ित रहे मरीज को अगर कोविड-19 हो जाए, तो जोखिम बढ़ जाता है.

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जून 2020 में एसएन कॉम्प्रिहेंसिव क्लीनिकल मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, कोमोरबिडिटीज वाले लोगों में कोविड-19 का असर तेजी से दिखता है. ऐसे मरीजों के लिए कोरोना जानलेवा तक साबित हो सकता है. शोध के अनुसार, कोमोरबिडिटीज होने से कोरोना वायरस से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है.

हाइपरटेंशन, मोटापा, क्रॉनिक लंग डिजीज, डायबिटीज या हृदय रोग के इतिहास वाले लोगों की स्थिति बिगड़ जाती है और उन्हें एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम और निमोनिया होने का खतरा रहता है. इसके अलावा, अस्पताल में भर्ती होने का डर, खास देखभाल की जरूरत व सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है.

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