डेंगू के मरीजों को तेज बुखार के साथ-साथ उल्टी, दस्त और ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया की आशंका होने के कारण डिहाइड्रेशन हो सकता है. यदि इसको अनदेखा किया जाता है या समय पर इलाज नहीं मिलता तो मरीज को सदमा लग सकता है, खासतौर पर डेंगू रक्तस्रावी बुखार (dengue haemorrhagic fever) के मरीजों में.

ऐसे में सवाल उठता है कि डेंगू में डिहाइड्रेशन होने पर मरीज को दूध दे सकते हैं या नहीं? आज इस लेख में जानेंगे क्या डेंगू में दूध पीना चाहिए? साथ ही ये भी जानेंगे, डेंगू में दूध कैसे पीना चाहिए?

(और पढ़ें - डेंगू में क्या खाना चाहिए)

  1. क्या कहती है रिसर्च
  2. डेंगू में तरल पदार्थों के सेवन में डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश - WHO guidelines on fluid intake in dengue in Hindi
  3. डेंगू में दूध पीना क्यों जरूरी है? - Why it is important to drink milk in dengue in Hindi
  4. डेंगू में बकरी का दूध पीने के फायदे - This is why goat milk is necessary in dengue in Hindi
  5. डेंगू में दूध कैसे पीना चाहिए? - How to drink milk in dengue in Hindi?
  6. डेंगू में इन तरल पदार्थों के सेवन से बचें - Avoid these fluids in dengue in Hindi
  7. सारांश - Takeaway
क्या डेंगू में दूध पीना चाहिए? डेंगू में दूध कैसे पीना चाहिए? के डॉक्टर

निकारागुआ में डेंगू के दौरान मरीजों को घर पर दिए जाने वाले तरल पदार्थों के सेवन से होने वाले प्रभावों पर एक रिसर्च की गई. यह अपने आप में पहला शोध था. इस शोध के नतीजों में पाया गया कि डेंगू के दौरान रोजाना 5 गिलास तरल पदार्थ, जैसे दूध, नारियल पानी, ओआरएस जैसी चीजों का सेवन मौखिक रूप से करने से डेंगू के मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने का जोखिम कम हो सकता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, ओरल तरल पदार्थों के सेवन से डेंगू की गंभीरता को भी कम किया जा सकता है. हालांकि शोधकर्ता ये भी मानते हैं कि इस पर और अधिक शोध होने चाहिए.

(और पढ़ें - डेंगू में प्लेटलेट्स कितनी होनी चाहिए?)

इसी शोध के बाद डब्ल्यूएचओ ने 2009 में डेंगू के अपने दिशानिर्देशों में कुछ बदलाव किए थे. इन बदलावों में उन मरीजों के लिए मौखिक रूप से तरल पदार्थ के सेवन की सिफारिश की गई है जिन्हें डेंगू बुखार होने का अंदेशा है. इन तरल पदार्थों में शामिल हैं - दूध, फलों का जूस, जौ का पानी, चावल का पानी, नारियल पानी या ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ओआरएस) जैसे इलेक्ट्रोलाइट और ओआरएस.

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शोध और डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस के मुताबिक, डेंगू के मरीजों को दूध का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है. दूध में कैल्शियम, विटामिन डी, विटामिन बी12 और खासतौर पर सेलेनियम होता है. डेंगू से लड़ने के लिए इन विटामिन और मिनरल्स की शरीर को बहुत आवश्यकता होती है. दरअसल, शरीर को प्रजनन से लेकर डेंगू जैसे संक्रमणों से लड़ने तक, अपने कई बुनियादी कामों को करने के लिए एक महत्वपूर्ण मिनरल सेलेनियम पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

सेलेनियम एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है जो फ्री रेडिकल्स की संख्या को नियंत्रण कर अतिरिक्त फ्री रेडिकल्स को नष्ट करता है. इसके अलावा सेलेनियम इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ ही इसके स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह एंटी-ऑक्सीडेंट आपके शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद करता है, जो सूजन को भी कम करता है. आमतौर पर दूध के एक कप में लगभग 8 एमसीजी सेलेनियम होता है जो रोजाना सेलेनियम की आपकी जरूरतों का 11 प्रतिशत होता है.

(और पढ़ें - डेंगू का आयुर्वेदिक इलाज)

डेंगू एक प्रभावशाली मच्छर जनित रोग है, जो रोग के एटियलॉजिकल एजेंट का गठन करता है. इसलिए, डेंगू के इलाज के लिए बकरी के दूध और इस दूध के उत्पादों को सबसे ज्यादा लेने की सलाह दी जाती है. दरअसल, बकरी के दूध का मुख्य घटक सेलेनियम है. डेंगू के दौरान सेलेनियम की कमी और प्लेटलेट काउंट में कमी होने से डेंगू अधिक जटिल हो सकता है.

  • गाय और भेड़ के दूध की तुलना में बकरी के दूध और उसके उत्पादों में सेलेनियम सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है. गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध में 27 फीसदी अधिक सेलेनियम होता है. 
  • बकरी के दूध में कई तरह के मिनरल्स जैसे आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फास्फोरस होते हैं जो पाचन और मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं. 
  • बकरी का दूध मुख्य रूप से डेंगू के मरीजों में शरीर के तरल पदार्थों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है,  क्योंकि डेंगू के सभी मामलों में प्लेटलेट्स चढ़ाना संभव नहीं है. 
  • बकरी के दूध में आयरन अधिक मात्रा में पाया जाता है और साथ ही इस दूध को 
  • पचाना आसान होता है, जो कि डेंगू के मरीजों के लिए रामबाण है. 
  • बकरी के दूध में α-लैक्टलबुमिन, β-लैक्टोग्लोबुलिन, κ-कैसिइन, β- कैसिइन और αs2-कैसिइन (α-lactalbumin,  β-lactoglobulin,  κ-casein,  β-casein,  and  αs2- casein) ये पांच प्रमुख प्रोटीन मौजूद होते हैं. ये प्रोटीन प्लेटलेट्स को बढ़ाने में मददगार हैं. साथ ही जिन लोगों को गाय के दूध से एलर्जी होती हैं, ऐसे डेंगू मरीजों के लिए भी बकरी का दूध कारगर है.

(और पढ़ें - डेंगू का होम्योपैथिक इलाज)

डेंगू के मरीजों को ठंडा दूध नहीं देना चाहिए. गर्मागर्म दूध दिया जा सकता है. गाय के दूध की तरह ही बकरी के दूध को गर्म करके दिया जा सकता है. गर्म दूध में हल्दी  मिलाकर दी जाएं जो ये अधिक फायदेमंद होता है क्योंकि ये एक एंटीसेप्टिक और मेटाबॉलिज्म बूस्टर होने के कारण मरीज को तेजी से ठीक होने में मदद कर सकता है. साथ ही डेंगू के दौरान होने वाली शारीरिक सूजन को कम करता है.

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कैफीन-युक्त पेय पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए. दरअसल, डेंगू बुखार के दौरान शरीर को हाइड्रेशन के लिए बहुत सारे तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है. कॉफी, चाय, एनर्जी ड्रिंक और अन्य इसी तरह के तरल पदार्थ डिहाइड्रेशन का कारण बनते है. साथ ही इससे मसल्स ब्रेकडाउन हो सकती हैं जो कि डेंगू के दौरान बहुत दर्दनाक हो सकता है.

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डेंगू के दौरान स्थिति को गंभीर होने से रोकने के लिए हेल्दी तरल पदार्थों का सेवन बहुत आवश्यक है. दूध, नारियल पानी, ताजे फलों का जूस, चावल का पानी, दाल का पानी, जौ का पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स जैसी चीजों का डेंगू के दौरान सेवन करके जल्दी‍ रिकवर हुआ जा सकता है.

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