अपस्मार या एपिलेप्सी (मिर्गी) एक तंत्रिका तंत्र विकार (न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर) है, जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते हैं। मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड़ने की समस्या हो जाती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। इन दौरों में तरह-तरह के लक्षण होते हैं, जैसे कि बेहोशी आना, गिर पड़ना, हाथ-पांव में झटके आना, पेशाब कंट्रोल नहीं होना, पैखाने पर नियंत्रण ना होना। इन लक्षणों की गंभीरता हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है।
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मिर्गी के दौरों को नियंत्रित करने के लिए कीटोजेनिक आहार का विवरण, 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हिप्पोक्रेट्स के ग्रंथों में भी देखा जा सकता है। डॉक्टर वाइल्डर ने 1921 में पहली बार कीटोजेनिक आहार को उपयोग में लाकर, मिर्गी पर नियंत्रण के विषय में बताया था।
ऐसे कई शोध अध्ययन ये बताते हैं कि कीटोजेनिक डाइट (कीटो डाइट प्लान) एक हाई फैट, मॉडरेट प्रोटीन एवं कम कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट है, जो मिर्गी के दौरों को नियंत्रित करने में मदद करती है। इस आर्टिकल में, इस डाइट में उपयोग होने वाले भारतीय सामग्री/भोज्य पदार्थों के साथ साप्ताहिक डाइट प्लान शेयर कर रहे हैं, जिससे आप इस डाइट को आसानी से फॉलो कर पाएं।