मौसम बदलते समय कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया से संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। आप सभी ने देखा ही होगा कि मौसम बदलते ही कई लोगों को फ्लू व अन्य कई रोग हो जाते हैं। वायरस की वजह से होने वाला फ्लू एक तरह का वायरल संक्रमण होता है, जो कि नाक और फेफड़ो से निकलने वाले द्रव (जैसे छींकने) के कारण फैलता है। चिकित्सीय जगत में फ्लू को इन्फ्लूएंजा कहा जाता है। यह एक श्वसन तंत्र का इंफेक्शन है, जो प्राथमिक रूप से फेफड़ों में विकसित होता है। वयस्कों की अपेक्षा बच्चों को फ्लू होने की संभावना अधिक होती है। फ्लू से बच्चों और व्यस्कों के बचाव के लिए इन्फ्लूएंजा टीके का इस्तेमाल किया जाता है।
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फ्लू की गंभीरता को देखते हुए इस लेख आपको इन्फ्लूएंजा टीका के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक, इन्फ्लूएंजा टीके को लगवाने की उम्र, इन्फ्लूएंजा टीके की कीमत, इन्फ्लूएंजा टीके के साइड इफेक्ट और इन्फ्लूएंजा टीका किसे नहीं देनी चाहिए, आदि के बारे में भी बताने का प्रयास किया गया है।
(और पढ़ें - शिशु और बच्चों की देखभाल)
- इन्फ्लूएंजा टीकाकरण क्या है? - Influenza tikakaran kya hai
- इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक और उम्र - Influenza tike ki khurak aur umar
- इन्फ्लूएंजा के टीके की कीमत - Influenza ke tike ki kimat
- इन्फ्लूएंजा टीके के साइड इफेक्ट - Influenza tike ke side effects
- इन्फ्लूएंजा का टीका किसे नहीं दिया जाना चाहिए? - Influenza ka tika kise nahi diya jana chahiye
- सारांश
इन्फ्लूएंजा टीकाकरण क्या है? - Influenza tikakaran kya hai
हर वर्ष लाखों लोग और बच्चे फ्लू की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में फ्लू से बच्चों और वयस्कों का बचाव के लिए इन्फ्लूएंजा के टीके को लगाया जाता है। अधिकतर लोगों में फ्लू के हल्के लक्षण होते हैं, जबकि कुछ मामलों में व्यक्ति को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं समय से इलाज न होने के कारण फ्लू की वजह से कई लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। शिशुओं, बच्चों, गर्भवती महिलाओं, अधिक आयु के लोगों के साथ ही अस्थमा, डायबिटीज व अन्य समस्या से ग्रसित व्यक्तियों में फ्लू के गंभीर लक्षण होने की संभावना काफी अधिक होती है। यह एक संक्रामक रोग होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से फैलता है। फ्लू से संक्रमित व्यक्ति द्वारा छींकने, खांसने या आसपास होने से अन्य व्यक्तियों को भी फ्लू होने का खतरा बना रहता है। इसके साथ ही किसी के द्वारा फ्लू के मरीज की नाक, मुंह और आंख को छूने से भी फ्लू का वायरस आसानी से संक्रमित हो जाता है।
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इन्फ्लूएंजा के वायरस को ए, बी और सी तीन भागों में बांटा जाता है। इन्फ्लूएंजा के प्रकार ए और बी मुख्य रूप से सर्दियों में श्वसन तंत्र संबंधी समस्या का कारण होते हैं। जबकि इन्फ्लूएंजा के प्रकार "सी" की वजह से श्वसन तंत्र की समस्या के हल्के लक्षण होते हैं या तो इसमें कोई लक्षण नहीं देखें जाते हैं। इन्फ्लूएंजा का प्रकार "सी" ना तो संक्रमण का कारण होता है और ना ही यह ए और बी की तरह स्वास्थ्य पर गंभीर समस्या का कारण बनता है।
फ्लू में होने वाले सामान्य लक्षणों को नीचे विस्तार से बताया गया है।
- बुखार आना व ठंड लगना
- खांसी (और पढ़ें - नवजात शिशु के कफ को कम करने के तरीके)
- गले में दर्द
- नाक बहना या बंद होना
- मांसपेशियों में दर्द (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के कारण और समाधान)
- शरीर में दर्द
- सिरदर्द
- थकान महसूस करना।
- बच्चों को उल्टी होना (और पढ़ें - नवजात शिशु की उल्टी को ठीक करने के उपाय)
- बच्चों को दस्त होना, आदि। (और पढ़ें - नवजात शिशु के दस्त का इलाज)
ऐसा जरूरी नहीं है कि फ्लू होने पर व्यक्ति को बुखार आए। सामान्य सर्दी जुकाम के मुकाबले फ्लू अधिक गंभीर होता है। फ्लू कान का संक्रमण और साइनस जैसे रोग का आम कारण होता है। फ्लू में होने वाले अन्य गंभीर लक्षणों को आगे जानें –
- निमोनिया होना (फेफड़ों का संक्रमण) (और पढ़ें - नवजात शिशु के निमोनिया का इलाज)
- अस्थमा या दिल की विफलता जैसी लंबी स्वास्थ्य समस्या होना।
- मस्तिष्क और हृदय में सूजन, (और पढ़ें - सूजन को दूर करने के घरेलू उपाय)
- जीवन के लिए घातक सेप्सिस (ब्लड इंफेक्शन) होना।
हर वर्ष इन्फ्लूएंजा का टीका लेने से फ्लू से बचाव किया जा सकता है। इन्फ्लूएंजा का टीका फ्लू होने का कारण नहीं होता है। इन्फ्लूएंजा के टीके से आप फ्लू से सुरक्षित रहते हैं और आपको फ्लू ना होने से आपके आसपास के लोग भी इस रोग के संक्रमण से सुरक्षित रहते हैं। आपको फ्लू से बचाने से अपने बच्चे और घर के बुजुर्गों को भी इस वैक्सीन को देना चाहिए।
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इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक और उम्र - Influenza tike ki khurak aur umar
इन्फ्लूएंजा टीका 6 माह के शिशु व उससे अधिक आयु के बच्चों, किशोरों और वयस्कों को दिया जाता है। हर साल वैक्सीन को लगाने की आवश्यकता होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए व फ्लू के बदलते वायरस से लड़ने के लिए टीके की जरूरत होती है। इसके साथ ही जिन लोगों को फ्लू होने की संभावना काफी अधिक होती है उनको भी इन्फ्लूएंजा का टीका नियमित रूप से लेना होता है। गर्भवती महिला, 65 साल या उससे अधिक आयु के बुजुर्ग, 5 से कम आयु के बच्चों व डायबिटीज, अस्थमा व कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को इन्फ्लूएंजा का टीका नियमित लेने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही जिन लोगों को फ्लू होने की संभावना अधिक होती है उनके साथ रहने वाले या उनकी देखभाल करने वालों को भी इन्फ्लूएंजा का टीका लगाना चाहिए।
इन्फ्लूएंजा का टीका दो प्रकार का होता है।
- इंजेक्शन वैक्सीन (Flu shot)
- नेजल स्प्रे वैक्सीन (Nasal spray vaccine) – इसको नाक में स्प्रे के द्वारा लिया जाता है। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
इन्फ्लूएंजा का टीका संयोजन में भी मिलता है। उदाहरण के तौर पर एक्टहिब वैक्सीन (ActHIB vaccine) चार खुराक में दी जाती है। इसे शिशु को 2 माह, 4 माह, 6 माह और 15 से 18 माह में बूस्टर डोज के रूप में देनी होती है।
वहीं पेंटाक्सिम वैक्सीन (Pentaxim vaccine) में पांच तत्व का संयोजन होता है। इस टीके को तीन बार दिया जाता है। इसको सबसे पहले शिशु के बाद 2 महीने में, 4 महीने में और 11वें महीने में बूस्टर डोज के रूप में दिया जाता है।
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इस तरह से इन्फ्लूएंजा के टीके के संयोजन के आधार पर उसकी खुराक अलग अलग हो सकती है।
फ्लू का टीका व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को तैयार करने में कम से कम दो सप्ताह का समय लेता है, ऐसे में जब भी फ्लू को सीजन शुरू हो तो आप उससे दो सप्ताह पहले ही इन्फ्लूएंजा के टीके को लगा लें। अगर आप फ्लू शुरू होने से पहले इस टीके को नहीं लगवा पाए हैं तो आप किसी भी समय इसे लगवा सकते हैं। फ्लू का टीका किसी भी समय लगाया जाए, यह फ्लू से एक सामान सुरक्षा प्रदान करता है।
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इन्फ्लूएंजा के टीके की कीमत - Influenza ke tike ki kimat
फ्लू के वायरस से बचाव के लिए देश में इन्फ्लूएंजा का टीका कई ब्रांड में उपलब्ध है। ब्रांड के आधार पर इस वैक्सीन की मात्रा और कीमत अलग-अलग हो सकती है। देश में मिलने वाले कुछ इन्फ्लूएंजा का टीके और उनकी कीमतों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।
इन्फ्लूएंजा का टीका | अनुमानित कीमत |
एक्टहिब वैक्सीन (ActHIB vaccine) | 345 |
पेंटाक्सिम वैक्सीन (Pentaxim Vaccine) | 2740 |
कॉम्बीफाइव इंजेक्शन (Combefive Injection) | 635 |
क्वाड्रोवैक्स एसडी (QUADROVAX SD) | 489.34 |
इन्फ्लूएंजा टीके के साइड इफेक्ट - Influenza tike ke side effects
सामान्यतः इन्फ्लूएंजा के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इस वैक्सीन को लगाना सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें इस वैक्सीन की प्रतिक्रियाएं गंभीर हो सकती हैं।
इन्फ्लूएंजा के टीके से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है-
- इंजेक्शन की जगह पर दर्द, सूजन और लालिमा होना
- वैक्सीन से सिर दर्द (और पढ़ें - सिर दर्द में क्या खाएं)
- मासंपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द के घरेलू उपाय)
- शिशु, बच्चों और व्यस्कों को वैक्सीन से हल्का बुखार आना। (और पढ़ें - बुखार भगाने के घरेलू उपाय)
- थकान आना। (और पढ़ें - थकान दूर करने के घरेलू उपाय)
- पेट खराब होना। (और पढ़ें - दस्त बंद करने के लिए क्या करना चाहिए )
नेजल स्प्रे से होन वाले साइड इफेक्ट –
- खांसी होना (और पढ़ें - खांसी के लिए घरेलू उपाय )
- नाक बहना या बंद होना, (और पढ़ें - बहती नाक को रोकने के उपाय)
- गले में दर्द होना। (और पढ़ें - गले में दर्द के घरेलू उपाय)
- बेहद ही कम मामलों में वैक्सीन से व्यक्ति को एलर्जिक प्रतिक्रिया हो सकती है। वैकसीन लेने के कुछ मिनटों या कुछ घंटों के बाद ऐसा हो सकता है।
वैक्सीन की वजह से होने वाली एलर्जिक प्रतिक्रिया के लक्षण -
- व्यवहार में परिवर्तन
- सांस लेने में मुश्किल होना, घरघराहट
- चक्कर आना (और पढ़ें - चक्कर आने पर करें ये घरेलू उपाय)
- गला बैठना (और पढ़ें - गला या आवाज बैठ जाए तो क्या करे)
- तेज बुखार
- शीतपित्त
- पीलिया (और पढ़ें - पीलिया के घरेलू उपाय)
- दिल की धड़कने तेज होना
- कमजोरी आना, आदि।
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इन्फ्लूएंजा का टीका किसे नहीं दिया जाना चाहिए? - Influenza ka tika kise nahi diya jana chahiye
कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों में इन्फ्लूएंजा के टीका को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को शिशु या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते हैं। आगे जानते हैं कि किन लोगों को इन्फ्लूएंजा का टीका नहीं दिया चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति को इन्फ्लूएंजा के टीके की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हो, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें)
- 65 साल से कम आयु के लोगों को टीके की उच्च खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - बच्चों को सिखाएं अच्छी सेहत के लिए अच्छी आदतें)
- वैक्सीन लेते समय यदि बच्चे या व्यक्ति को तेज बुखार हो तो ऐसे में वैक्सीन की खुराक लेने से पहले ठीक होने तक का इंतजार करना चाहिए। साथ ही इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। (और पढ़ें - टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए)
- इन्फ्लूएंजा के टीके में मौजूद तत्व (जैसे अंडे या गिलाटीन) से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - डायपर रैश का उपचार)
- जीबीएस (GBS: Guillain-Barre Syndrome: रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी विकार) होने की संभावना होती है। (और पढ़ें - जापानी इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण)
- 6 माह से कम आयु के शिशु को वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए।
नेजल स्प्रे वैक्सीन किसे नहीं लेनी चाहिए-
- गर्भवती महिला को वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- 50 साल या उससे अधकि आयु के व्यक्ति। (और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टीका कब लगाएं)
- 2 से 4 साल तक के जिन बच्चों को अस्थमा या पिछले 12 महिनों में घरघराहट की समस्या हो, (और पढ़ें - शिशु का वजन कैसे बढ़ाएं)
- 2 साल से कम आयु के शिशु को नेजल स्प्रे नहीं दिया जाना चाहिये।
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सारांश
इन्फ्लूएंजा टीकाकरण (Influenza Vaccination) एक वार्षिक वैक्सीन है, जो फ्लू वायरस से बचाव के लिए दिया जाता है। यह टीका वायरस के प्रकार में होने वाले मौसमी बदलावों को ध्यान में रखकर हर साल अपडेट किया जाता है। यह विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए आवश्यक माना जाता है। टीकाकरण से गंभीर फ्लू संक्रमण, अस्पताल में भर्ती होने और इससे संबंधित जटिलताओं का जोखिम कम हो जाता है। हल्के साइड इफेक्ट में इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द, हल्का बुखार या थकावट हो सकती है। इन्फ्लूएंजा के प्रसार को रोकने के लिए यह टीका एक प्रभावी और सुरक्षित उपाय है।