गायनेकोमैस्टिया यानी मैन बूब्स पुरुषों के शरीर से जुड़ी बीमारी है, जिसमें उनके स्तनों का साइज बढ़ जाता है. स्मोकिंग, खराब लाइफस्टाइल, दवाइयों का रिएक्शन व हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याओं के कारण गायनेकोमैस्टिया जैसी बीमारी हो सकती है. इससे पुरुषों के स्तन महिलाओं के स्तन जैसे दिखाई देते हैं.
गायनेकोमैस्टिया को सामान्य बीमारी माना गया है. हालांकि, इसके कारण पुरुषों को शर्मसार महसूस होना पड़ सकता है. इसमें पीड़ित पुरुषों के स्तन में दर्द और स्तन में सूजन होती है, जिससे उन्हें रोजमर्रा के काम करने में तकलीफ हो सकती है. गायनेकोमैस्टिया के इलाज के लिए कई दवाइयां, थेरेपीज व घरेलू नुस्खे उपलब्ध हैं, लेकिन आयुर्वेदिक इलाज को सबसे कारगर माना गया है. इस लेख में हम गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में जानेंगे-
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- गायनेकोमैस्टिया का आयुर्वेदिक उपचार
- गायनेकोमैस्टिया के लिए आयुर्वेदिक दवाएं
- गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार के नुकसान
- गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार में सावधानी
- सारांश
गायनेकोमैस्टिया का आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद के अनुसार, गायनेकोमैस्टिया ऐसी स्थिति है, जो एक अन्य प्रमुख बीमारी मोटापे का हिस्सा है. अधिक मोटापा या इसके कारण स्तन बड़े हो जाते हैं. ऐसे में गायनेकोमैस्टिया का आयुर्वेदिक उपचार वजन कम करने और फैट मेटाबॉलिज्म की हानि को संतुलित करने पर आधारित है. इसे मुख्य रूप से आहार और जीवनशैली में बदलाव के माध्यम से किया जाता है. इसके लिए आहार और विहार की उपचार विधियों का पालन करने की आवश्यकता है. आइए, इस बारे में विस्तार से जानते हैं-
गायनेकोमैस्टिया को ठीक करने के लिए आहार उपचार विधि
हम नियमित रूप से जो खाना खाते हैं, उससे हमारे स्वास्थ्य पर फर्क पड़ता है. इसलिए, कम एस्ट्रोजन के स्तर और पर्याप्त पोषक तत्वों के साथ स्वस्थ भोजन खाने से आप गायनेकोमैस्टिया का कुछ हद तक इलाज कर सकते हैं. इस अवस्था में निम्न प्रकार को खाद्य पदार्थ खाए जा सकते हैं -
- गरिष्ठ और भारी भोजन का सेवन करें.
- बिना पॉलिश किए चावल, जई व जौ आदि खाएं.
- गाजर, मूली, खीरा, अदरक व बैंगन आदि सब्जियों का सेवन बढ़ाएं.
- लाल मसूर की दाल, चने की दाल, हरे चने अधिक खाएं.
- खाना बनाते समय मसाले जैसे इलायची या काली मिर्च का प्रयोग करें.
- संतरे और नींबू जैसे खट्टे फल खाएं.
- शहद, मसालेदार छाछ और गर्म पानी पिएं.
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गायनेकोमैस्टिया के लिए आयुर्वेदिक दवाएं
गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार में आहार और विहार में बदलाव के अलावा कुछ दवाओं का उपयोग भी किया जाता है. ये दवाएं निम्न प्रकार से हो सकती हैं -
ट्रिब्युलस पावर
गायनेकोमैस्टिया विकसित होने के प्रमुख कारणों में से एक शरीर में एक हार्मोनल असंतुलन है. कभी-कभी रक्तप्रवाह में एस्ट्रोजन का अधिक उत्पादन हो सकता है, जिससे निप्पल्स में सूजन आ जाती है. ऐसे मामलों में ट्रिबुलस पावर कैप्सूल लेने से मदद मिल सकती है.
इस आयुर्वेदिक औषधि का मुख्य घटक गोखरू (ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस) है. यह टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को प्रोत्साहित करता है और साथ ही शीघ्रपतन में सुधार करता है. न केवल शीघ्रपतन, बल्कि यह स्तंभन दोष को भी ठीक करता है. ये कैप्सूल के रूप में उपलब्ध हैं. डॉक्टर की सलाह पर वयस्क ट्रिब्युलस पावर की सामान्य खुराक भोजन के बाद दिन में दो बार ले सकते हैं.
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आरोग्यवर्धिनी वटी
गायनेकोमैस्टिया में स्तनों के आसपास अतिरिक्त ऊतक का विकास होता है, जिससे छाती क्षेत्र का आकर बढ़ जाता है. यह मुख्य रूप से तब होता है, जब शरीर भोजन को ठीक से मेटाबोलाइज करने में असमर्थ होता है, जिसके कारण जमाव हो सकता है. आरोग्यवर्धिनी वटी पाचन स्वास्थ्य को बढ़ाती है और पोषक तत्वों को ठीक से अवशोषित करने में मदद करती है. इसलिए, यह आयुर्वेदिक दवा सुनिश्चित करती है कि कोई वसा जमा न हो.
हाकम चूर्ण
आयुर्वेदिक चिकित्सक शरीर की संपूर्ण वृद्धि के लिए इस दवा की सलाह देते हैं. यह दवा तीनों दोषों को ठीक करके काम करती है, इसलिए इसे "त्रिदोषिन रसायन" भी कहा जाता है. गायनेकोमैस्टिया के इलाज में इसके फायदों की बात करें, तो यह दवा आरोग्यवर्धिनी वटी की तरह ही काम करती है.
यह दवा बेहतर पाचन को भी उत्तेजित करती है और लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखती है. चूंकि, यह तीनों दोषों को ठीक करता है, इसलिए यह हार्मोन उत्पादन सहित पूरे शरीर के समुचित कार्य को सुनिश्चित करता है. हाकम चूर्ण के प्रमुख घटकों में कलौंजी, मेथी, अजवाइन व चंद्रशूर शामिल हैं. हाकम चूर्ण का 3-5 ग्राम चूर्ण गर्म पानी के साथ दिन में दो बार लेने से गायनेकोमैस्टियाकम की गति कम होती है.
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गुग्गुल कैप्सूल
गुग्गुल के पेड़ों से गुग्गुल पाया जाता है, जो भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश आदि में आम है. आयुर्वेद में विभिन्न दवाओं की तैयारी के लिए गुग्गुल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है. गुग्गुल एक पौधे का अर्क है, जो वजन कम करने के साथ-साथ कोलेस्ट्रॉल को कम करने में बहुत प्रभावी हो सकता है. ये कैप्सूल लिपिड रेगुलेटर्स के रूप में कार्य करते हैं और हार्मोनल असंतुलन को सामान्य कर सकते हैं. त्वचा पर काले धब्बे कम करने के लिए डॉक्टर भी इस दवा की सलाह देते हैं.
गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार के नुकसान
गायनेकोमैस्टिया के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाएं विभिन्न जड़ी-बूटियों के संयोजन से तैयार की जाती हैं. इसलिए, इन दवाओं और जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल से कुछ नुकसान, जैसे- मुंह में छाले, पेट खराब, सिरदर्द की स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं. हालांकि दुर्लभ मामलों में ही लोगों में इन आयुर्वेदिक दवाओं के दुष्प्रभावों देखे गए हैं, जैसे -
- अधिक मात्रा में आरोग्यवर्धव वटी से सीने में जलन, मुंह में छाले और चक्कर आते हैं.
- दुर्लभ मामलों में यह रक्तस्राव का कारण बन सकता है.
- गुग्गुलु कैप्सूल से पेट खराब व सिरदर्द हो सकता है.
- कुछ मामलों में मतली और उल्टी की शिकायत हो सकती है.
- इस दवा को लेने के बाद दस्त, डकार और हिचकी की समस्या हो सकती है.
- इससे त्वचा पर रैशेज और खुजली भी हो सकती है.
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गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार में सावधानी
गायनेकोमैस्टिया के आयुर्वेदिक उपचार में इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि गायनेकोमैस्टिया की बीमारी शुरूआती चरण में हो, जिससे इन आयुर्वेदिक दवाओं और आहार-विहार उपचार विधियों का पूर्ण असर हो सकें. यदि गंभीर समस्या हो, तो इन आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन हमेशा डॉक्टर के मार्गदर्शन पर ही करें.
गायनेकोमैस्टिया की लिए आयुर्वेदिक दवाइयों के गलत इस्तेमाल से आपके शरीर को नुकसान पहुंच सकता है और त्वचा, पित दोष व मुंह संबंधी समस्याएं हो सकती है. इसलिए, डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर ही इनका प्रयोग करें.
सारांश
गायनेकोमैस्टिया पुरुषों के स्तनों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसका इलाज संभव है. आयुर्वेद में आहार-विहार उपचार विधियों और आयुर्वेदिक दवाइयों के माध्यम से इसका प्राकृतिक और सुरक्षित इलाज संभव है. सिर्फ गंभीर मामले में लिपोसक्शन सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है. इसलिए, यदि गायनेकोमैस्टिया का शुरूआती स्टेज हो, तो आयुर्वेदिक इलाज के जरिए इसे ठीक किया जा सकता. गायनेकोमैस्टिया का आयुर्वेदिक उपचार लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें, ताकि आपकी स्थिति के मुताबिक आपको पता चल सके कि यह इलाज आपके लिए कितना प्रभावी हो सकता है.
गायनेकोमैस्टिया की आयुर्वेदिक दवा व इलाज के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Sunil Kumar Mishra
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव
