हार्ट ब्लॉक के कारण धड़कन अनियमित या सामान्य से अधिक धीमी हो जाती है। संभावित रूप से दिल की धड़कन एक बार में 20 सेकंड तक रूकती है। यह हृदय में प्रवाहित होने वाले विद्युत आवेगों के मार्ग में देरी, रुकावट या अवरोध का कारण बनते हैं जिसकी वजह से कभी-कभी हृदय की मांसपेशियों या वाल्व को नुकसान या चोट पहुंचती होती है।

कोरोनरी हृदय रोग के विपरीत हार्ट ब्लॉक, हृदय की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित नहीं करता है। आमतौर पर इसके उपचार की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन यह किसी अन्य अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या से संबंधित हो सकता है।

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  1. हार्ट ब्लॉक क्या है?
  2. हार्ट ब्लॉक के प्रकार
  3. हार्ट अटैक का खतरा किसे है?
  4. हार्ट ब्लॉक के लक्षण
  5. सारांश

एक स्वस्थ मानव हृदय प्रति मिनट लगभग 60 से 100 बार धड़कता है। एक हार्ट बीट में हृदय की मांसपेशियां एक बार संकुचित होती हैं, जो पूरे शरीर में खून को पंप करती हैं। आमतौर पर, दिल की हर धड़कन एक विद्युत संकेत (इलेक्ट्रिक सिग्नल) द्वारा बनती है जो हृदय के ऊपरी दाएं चैम्बर (दाएं एट्रियम) में शुरू होती है। ये संकेत एट्रियम में विशेष कोशिकाओं के साइनस नोड नामक हिस्‍से में उत्पन्न होते हैं।

इलेक्ट्रिक सिग्नल इसके बाद हृदय से होते हुए एंट्रीवेंट्रिकुलर नोड (एवी नोड) तक जाते हैं, ये विशेष कोशिकाओं का समूह है। ये कोशिकाएं एट्रिया और वेंट्रिकल्स के बीच हार्ट के केंद्र में स्थित होती हैं। एवी नोड को इलेक्ट्रिकल रिले स्टेशन भी कहा जाता है क्योंकि हार्ट के निचले चैम्बर्स (वेंट्रिकल्स) में जाने से पहले ये इलेक्ट्रिक सिग्नल को धीमा करने का काम करता है।

ये विद्युत सिग्नल एवी नोड से हृदय की दीवारों में बने कार्डियक फाइबर के समूह वाले वेंट्रिकल्स में जाते हैं। फाइबर के इन समूहों को एवी बंडल कहा जाता है जो दोनों वेंट्रिकल के लिए दो शाखाओं में विभाजित होते हैं। ये बंडल हार्ट वेंट्रिकल में विद्युत आवेगों का संचालन करते हैं। जब संकेत वेंट्रिकल में पहुंचते हैं, तब रक्त शरीर में पंप होता है।

आंशिक रूप से हार्ट ब्लॉक होने की स्थिति में, दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाले इन विद्युत आवेगों में देरी आने या इनके अवरुद्ध होने पर हृदय को सामान्य रूप धड़कने में दिक्‍कत आती है।

विद्युत संकेतों के पूरी तरह से बंद हो जाने पर हार्ट ब्लॉक हो जाता है। ऐसे मामलों में, दिल की धड़कन प्रति मिनट 40 तक कम हो जाती है। कभी-कभी, हार्ट ब्लॉक के कारण परिसंचरण तंत्र के माध्यम से हृदय को खून पंप करने में मुश्किल आती है। इसका असर मांसपेशियों और अंगों पर भी पड़ता है क्योंकि उन्हें कार्य करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं मिल पाती है।

हार्ट ब्लॉक की वजह से चक्‍कर आना, बेहोशी और घबराहट महसूस होती हैं। कुछ गंभीर मामलों में, हार्ट ब्लॉक के कारण हार्ट फेलियर भी हो सकता है। अचानक कार्डियक अरेस्ट होने की स्थिति में हार्ट ब्लॉक के कारण सीने में दर्द भी हो सकता है।

वहीं दूसरी ओर, कोरोनरी धमनियों में प्‍लाक जमने पर कोरोनरी हार्ट डिजीज भी हो सकती है। इसकी वजह से एनजाइना (सीने में दर्द) या मायोकार्डियल इन्फार्कशन (हार्ट अटैक) हो सकता है।

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हार्ट ब्लॉक की समस्या जन्म से (जन्मजात) ही मौजूद हो सकती है, लेकिन अक्सर जन्म के बाद हार्ट ब्‍लॉक की समस्‍या पैदा होती है। सामान्य तौर पर, उम्र और हृदय रोग के मामलों साथ-साथ हार्ट ब्लॉक का खतरा बढ़ जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, हार्ट ब्लॉक को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • फर्स्ट-डिग्री हार्ट ब्लॉक में दिल की धड़कन की मामूली गड़बड़ी शामिल है, जैसे कि दिल की धड़कन कम आना। अगर लक्षण ज्‍यादा गंभीर नहीं हैं तो उपचार की जरूरत नहीं पड़ती है।
  • सेकंड-डिग्री हार्ट ब्लॉक तब होता है जब एट्रियल पल्‍स (नाड़ी) वेंट्रिकल्स तक नहीं पहुंच पाती है। इसकी वजह से दिल की धड़कन कम या रूक-रूक कर आती है। इस स्थिति में रोगी को चक्कर आ सकते हैं और पेसमेकर लगवाने की जरूरत पड़ सकती है।
  • थर्ड-डिग्री या कम्पलीट हार्ट ब्लॉक तब होता है जब हृदय के ऊपरी और निचले चैम्बर के बीच इलेक्ट्रिकल सिग्नल नहीं जाते हैं। यह समस्या हृदय रोग से पीड़ित लोगों में बहुत आम है। हार्ट अटैक के गंभीर खतरे से बचने के लिए पेसमेकर लगवाना जरूरी हो जाता है।

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फर्स्ट-डिग्री हार्ट ब्लॉक की समस्‍या एथलीटों, किशोरों और युवा वयस्कों में देखी जाती है। इसके अलावा जिन लोगों की वेगस नर्व अत्यधिक सक्रिय होती है, उन्‍हें भी फर्स्ट-डिग्री हार्ट ब्लॉक की शिकायत हो सकती है। कोरोनरी हृदय रोग, रूमेटिक हृदय रोग या अन्य हृदय की संरचना से जुड़े विकारों सहित विभिन्‍न प्रकार के हृदय रोगों से ग्रस्‍त व्‍यक्‍ति को फर्स्‍ट डिग्री हार्ट ब्लॉक का खतरा रहता है।

अगर हार्ट ब्लॉक हो जाए तो निम्नलिखित स्थितियां जोखिम को बढ़ा देती हैं:

  • दिल का बढ़ना या कार्डियोमायोपैथी
  • हार्ट फेलियर
  • रूमेटिक बुखार
  • मायोकार्डिटिस या हृदय की मांसपेशियों में सूजन
  • एंडोकार्डिटिस या हार्ट वाल्व में सूजन
  • दिल का दौरा पड़ने या दिल के ऑपरेशन के बाद तेजी से या अचानक हार्ट ब्लॉक हो सकता है। यह लाइम रोग के कारण होने वाली समस्‍याओं के रूप में भी हो सकता है।
  • ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान हृदय में चोट लगने से, कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण या किसी विष के संपर्क में आने के बाद भी हार्ट ब्लॉक हो सकता है।
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दिल की धड़कन असामान्‍य तब होती है जब उसकी गति या पैटर्न में बदलाव कोई बदलाव आता है। इसमें दिल बहुत धीरे (ब्रेडीकार्डिया), बहुत तेज (टैकिकार्डिया) या अनियमित रूप से धड़कने लगता है। किसी एक एट्रियम में दिल की धड़कन के असामान्य होने की स्थिति को एट्रियल कहा जाता है। यदि ऐसा वेंट्रिकल में होता है, तो उसे वेंट्रिकुलर कहते हैं। 

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यदि किसी व्यक्ति को हार्ट ब्लॉक है, तो उसे निम्नलिखित लक्षण महसूस होते हैं:

  • चक्कर आना
  • घबराहट (धड़कन रुकना, फड़फड़ाहट या सीने में तेज़ धुकधुकी होना)
  • थकान
  • छाती में दबाव या दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • बार बार बेहोशी आना
  • शरीर में कम खून पंप होने के कारण व्यायाम करने में दिक्‍कत आना

हार्ट ब्लॉक के अधिकांश मामलों में समय पर इलाज करने से राहत मिली है। आपकी उम्र और चिकित्सा इतिहास (हिस्‍ट्री) के आधार पर, हृदय रोग विशेषज्ञ या कार्डियोलॉजिस्ट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), इकोकार्डियोग्राम या इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी टेस्ट की मदद से मरीज़ में लक्षणों की जांच करते हैं।

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हार्ट ब्लॉक एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की विद्युत संकेत प्रणाली बाधित हो जाती है, जिससे दिल की धड़कन अनियमित या धीमी हो जाती है। हार्ट ब्लॉक के कई प्रकार होते हैं, जैसे फर्स्ट-डिग्री, सेकेंड-डिग्री, और थर्ड-डिग्री, जिसमें थर्ड-डिग्री सबसे गंभीर होता है। इसके लक्षणों में चक्कर आना, थकान, बेहोशी, और सांस की तकलीफ शामिल हो सकते हैं। हार्ट ब्लॉक का कारण हृदय की मांसपेशियों की क्षति, रक्तचाप की समस्याएं, या कुछ दवाओं का सेवन हो सकता है। इसका उपचार ब्लॉक की गंभीरता पर निर्भर करता है, जिसमें दवाएं, पेसमेकर का उपयोग, या जीवनशैली में बदलाव शामिल हो सकते हैं। नियमित जांच और स्वस्थ जीवनशैली इसे नियंत्रित करने में मददगार हो सकती है।

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