विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने कुछ दिनों पहले ही ये अहम सिफारिश की थी कि दुनियाभर के लाखों बच्चों को दीर्घकालिक (क्रॉनिक) हेपेटाइटिस बी से बचाने के लिए, गर्भवती महिलाएं जो हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के लिए पॉजिटिव टेस्ट हों और जिनमें वायरल लोड अधिक हो यानी जिनके खून में एचबीवी की मात्रा अधिक हो उन गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के 28वें हफ्ते से ही टेनोफोविर दवा दी जाए। टेनोफोविर एक एंटीवायरल दवा है जिसकी कीमत भारत में करीब 40 रूपये प्रति टैबलेट है। हालांकि किस दवा कंपनी ने दवा का उत्पादन किया है उसके हिसाब से दाम में कुछ अंतर भी हो सकता है।
लिवर को प्रभावित करता है हेपेटाइटिस बी इंफेक्शन
हेपेटाइटिस बी एक वायरल इंफेक्शन है जो लिवर को प्रभावित करता है। दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी (हेपेटाइटिस बी संक्रमण जो 6 महीने से ज्यादा समय तक रहता है) की वजह से आगे चलकर भविष्य में लिवर से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं, जैसे- लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर। वैसे तो ज्यादातर वयस्क जिन्हें हेपेटाइटिस बी का संक्रमण होता है वे इस बीमारी से पूरी तरह से ठीक जाते हैं लेकिन करीब 90 प्रतिशत छोटे बच्चे जिनमें हेपेटाइटिस बी का इंफेक्शन होता है उनमें दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी और उसके फलस्वरूप लिवर की समस्याएं विकसित हो जाती हैं।
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25 करोड़ लोगों को है क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण
हेपेटाइटिस बीमारी 5 प्रकार की होती है और हेपेटाइटिस बी इन्हीं में से एक है। आपको बता दें कि दुनियाभर के करीब 25 करोड़ लोग दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी बीमारी के साथ जी रहे हैं और हर साल इस लिवर संक्रमण की वजह से करीब 9 लाख लोगों की मौत हो जाती है। WHO के मुताबिक, बच्चों में दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी समस्या का समाधान करने में दुनिया ने काफी उन्नति की है। वैश्विक आंकड़ों पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि 1980 में जहां 5 साल से कम उम्र दुनियाभर के करीब 5 प्रतिशत बच्चों में दीर्घकालिक हेपेटाइटिस बी की समस्या थी वहीं, साल 2019 में सिर्फ 1 प्रतिशत बच्चे ही हैं जिनमें यह बीमारी देखने को मिल रही है। इसका पूरा श्रेय दुनियाभर में चलाए जा रहे टीकाकरण कार्यक्रमों को जाता है।
कोविड-19 महामारी की वजह से टीकाकरण में आ रही है बाधा
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन को डर है कि कोविड-19 महामारी की वजह से इन टीकाकरण कार्यक्रमों में भी बाधा आ सकती है। दरअसल, कोविड-19 एक वायरल संक्रमण है जिसने 31 दिसंबर 2019 से 30 जुलाई 2020 के बीच दुनियाभर के करीब 1 करोड़ 70 लाख लोगों को बीमार कर दिया है। 11 मार्च 2020 को WHO ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया था और तभी से दुनिया के कई देशों में इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन और फिजिकल डिस्टेंसिंग जैसे ऐहतियाती कदम उठाए गए हैं। नतीजतन, कई देशों में स्वास्थ्य सुविधाएं और टीकाकरण कार्यक्रम में भी बाधा पहुंची है।
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गर्भवती महिला से बच्चे में ट्रांसमिशन रोकने की जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस ने एक न्यूज रिलीज में कहा, 'हेपेटाइटिस बी बीमारी को नियंत्रित करने और लाखों लोगों की जान बचाने की सबसे अहम रणनीति ये है कि हम गर्भवती महिला से उसके बच्चे में होने वाले ट्रांसमिशन यानी संचरण पर रोक लगाएं। कोविड-19 महामारी के बीच में भी हमें इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को जीवन बचाने वाली सुविधाएं मिल पाएं जिसमें हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण भी शामिल है।'
WHO के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर के करीब 85 प्रतिशत बच्चों को हेपेटाइटिस बी वैक्सीन की कम से कम 3 डोज दी जाती है। इससे पहले जब यह शतक शुरू हुआ था उस वक्त सिर्फ 30 प्रतिशत बच्चों को ही हेपेटाइटिस बी के न्यूनतम 3 डोज दी जाती थी जिससे इस इंफेक्शन के प्रति 95 प्रतिशत तक इम्यूनिटी मिल जाती है।
तरल पदार्थ एक्सचेंज, सुई शेयर करने से फैलता है हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शरीर के तरल पदार्थों के एक्सचेंज होने पर फैलता है फिर चाहे वह सेक्स के जरिए हो, सुई शेयर करने की वजह से हो या फिर गर्भाशय में गर्भवती महिला से उसके बच्चे में। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए हमें सुरक्षित सेक्स का अभ्यास करना चाहिए, इंजेक्शन वाली सुई को एक दूसरे के साथ शेयर नहीं करना चाहिए और नियमित रूप से हेपेटाइटिस का टीका भी लगवाना चाहिए। हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) का पहला टीका बच्चे के जन्म के 24 घंटे के अंदर दिया जाता है और उसके बाद 2 बूस्टर शॉट्स बच्चे के 1 महीने और 6 महीने का होने पर।
वायरल लोड की भी जांच करने की जरूरत
इससे पहले भी WHO ने कई बार इस बात कि सिफारिश की है कि गर्भवती महिलाओं का हेपेटाइटिस बी के साथ ही एचआईवी और सिफलिस (बैक्टीरियल इंफेक्शन) के लिए टेस्ट होना चाहिए। साथ ही WHO ने यह भी सलाह दी कि जिन जगहों पर संभव हो गर्भवती महिलाओं में एचबीवी वायरल लोड को भी चेक किया जाना चाहिए और इसके लिए एबीईएजी टेस्ट होता है। इसमें यह जांच की जाती है कि हेपेटाइटिस बी का मरीज वायरस को दूसरे व्यक्ति को संचारित कर सकता है या नहीं- इस दौरान गर्भावस्था के 28वें हफ्ते से गर्भवती महिला का टेनोफोविर का सुझाव दिया जाता है।
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अमेरिका के पिट्सबर्ग स्थित मैगी-विमेंस हॉस्पिटल में एक छोटा सा फेज 1 ट्रायल किया गया जिसमें 9 महिलाओं को शामिल किया गया जो अपनी गर्भावस्था के 23वें और 24वें हफ्ते में थीं। इस दौरान अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए गर्भवती महिलाओं को एंटीवायरल दवाइयां लेडिपास्विर और सोफोस्बुविर दी जानी चाहिए। हालांकि यह शुरुआती स्टेज के नतीजे हैं लेकिन यह उत्साहित करने वाले हैं। अनुसंधानकर्ताओं को महसूस हुआ कि वे महिलाएं जो अपनी सेहत को प्राथमिकता नहीं देती हैं उन्हें हेपेटाइटिस सी से छुटकारा पाने के लिए ऐसा करना चाहिए। स्टडी के नतीजों को 27 जुलाई 2020 को द लैंसेट माइक्रोब पत्रिका में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया था।
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