लिवर में सूजन आने की समस्या को हेपेटाइटिस कहा जाता है. इसके कारण लिवर के टिश्यू संक्रमित हो सकते हैं. वायरस और विषाक्त पदार्थों सहित कई चीजें हेपेटाइटिस का कारण बन सकती हैं. अधिक शराब का सेवन भी इन कारणों में से एक है. अधिक शराब पीने से हेपेटाइटिस की समस्या अस्थाई रूप से हो सकती है, लेकिन जब अल्कोहलिक हेपेटाइटिस की स्थिति क्रोनिक हो जाती है, तो इससे लिवर हमेशा के लिए क्षतिग्रस्त हो सकता है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लक्षण, कारण व इलाज क्या-क्या हैं -

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी का इलाज)

  1. अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लक्षण
  2. अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के कारण
  3. अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का उपचार
  4. सारांश
अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लक्षण, कारण और इलाज के डॉक्टर

अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के मुख्य लक्षण त्वचा का पीला पड़ना और आंखों का सफेद नजर आना है. इसके अन्य लक्षण निम्न प्रकार से हैं -

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज)

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अल्कोहलिक हेपेटाइटिस का शिकार ज्यादातर वो लोग होते हैं, जो अधिक शराब का सेवन करते हैं. यह उन लोगों में भी विकसित हो सकता है, जो कम शराब पीते हैं. यहां तक कि कभी-कभी शराब का सेवन करने वाले लोगों को भी यह समस्या हो सकती है. इसका मतलब यह है कि शराब कम पिएं या ज्यादा अल्कोहलिक हेपेटाइटिस होने की आशंका, हर अवस्था में बनी रहती है. इसके अलावा, कुछ जोखिम कारक भी हैं जो इसका कारण बन सकते हैं -

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एक बार जब पता चल जाए कि व्यक्ति को अल्कोहलिक हेपेटाइटिस है, तो डॉक्टर नीचे बताए गए तरीकों से मरीज का इलाज कर सकते हैं -

शराब छोड़ना

अगर किसी को शराब पीने की लत है, तो उसे जल्द से जल्द शराब छोड़ देनी चाहिए. मरीज अपने डॉक्टर से पूछ सकता है कि उसकी शराब की लत कैसे छूट सकती है.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस सी का इलाज)

दवाइयां

लिवर में आई सूजन को कम करने और लिवर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने के लिए डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या पेंटॉक्सिफाइलाइन जैसी दवाइयां दे सकते हैं.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस-सी में क्या खाएं)

पर्याप्त पोषक तत्व

अगर कोई कुपोषण का शिकार है, तो आहार में अधिक पोषक तत्वों को शामिल करने की जरूरत है. इससे स्वास्थ्य बेहतर होने व जल्द ठीक होने में मदद मिल सकती है.

(और पढ़ें - क्या हेपेटाइटिस बी ठीक हो सकता है?)

लिवर ट्रांसप्लांट

अगर किसी का लिवर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है, तो लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है. लिवर ट्रांसप्लांट से कम से कम 6 महीने पहले मरीज को शराब पीना बंद कर देना चाहिए.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी का टीका क्या है)

काउंसलिंग

इलाज के तौर पर मरीज की काउंसलिंग भी की जा सकती है. काउंसलिंग की मदद से मरीज की शराब पीने की लत धीरे-धीरे छूट सकती है.

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अल्कोहलिक हेपेटाइटिस होने पर शराब पीने की लत को छाेड़ना मुश्किल जरूर है, लेकिन असंभव नहीं. अगर सही वक्त पर लक्षणों को पहचानकर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इस बीमारी का इलाज संभव है. मरीज की स्थिति के अनुसार डॉक्टर कुछ दवाइयां दे सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है. वहीं, अगर मरीज की हालत अधिक खराब है, तो डॉक्टर लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दे सकते हैं.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस सी टेस्ट)

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