एक महिला के टेस्टोस्टेरोन का स्तर जीवन भर, मासिक धर्म चक्र और दिन के अलग-अलग समय पर कम ज्यादा होता रहता है। कम टेस्टोस्टेरोन का स्तर नई रक्त कोशिकाओं के उत्पादन, सेक्स ड्राइव और अन्य हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकता है। बहुत से लोग टेस्टोस्टेरोन को पुरुष सेक्स हार्मोन के रूप में सोचते हैं, लेकिन हर किसी को चाहें वो पुरुष हो या महिला , इसकी एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है। जबकि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में अधिक टेस्टोस्टेरोन होता है, लेकिन महिला अधिवृक्क ग्रंथियां और अंडाशय भी इस हार्मोन की थोड़ी मात्रा का उत्पादन करते हैं। महिलाओं में अगर टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाए तो यौन इच्छा और मूड के साथ-साथ शरीर की दूसरी प्रक्रियाएँ भी प्रभावित होती हैं। अगर महिलाओं के शरीर में बहुत अधिक या बहुत कम टेस्टोस्टेरोन हो जाए तो ये महिला की सभी प्रक्रियाओं में असंतुलन पैदा कर देता है। आज इस लेख में हम इसी बारे में बात करेंगे - 

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  1. महिला के शरीर में टेस्टोस्टेरोन के कार्य
  2. महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन के लक्षण
  3. महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन के क्या कारण
  4. महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन की जांच कैसे की जाती है?
  5. महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन के लिए इलाज
  6. सारांश

हर किसी में टेस्टोस्टेरोन होता है। हालांकि महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का लेवल बहुत कम होता है लेकिन यह निम्नलिखित में योगदान करते हुए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  • नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण करना 
  • कामेच्छा को बढ़ाना
  • प्रजनन करवाने वाले हार्मोन को प्रभावित करना 
  • हड्डियों को मजबूत रखने में 
  • मानसिक कार्यों में 
  • ऊर्जा को बनाए रखने में 
  • अंडाशय का स्वस्थ रखने में 
  • सेक्स ड्राइव

महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन उनकी उम्र पर निर्भर करता है। जब तक एक महिला 40 वर्ष की होती है, तब तक उसके एंड्रोजन का स्तर आधा हो जाता है। डॉक्टर अभी भी महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन और उनके उपचार के बारे में शोध कर रहे हैं। 

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कम टेस्टोस्टेरोन के लक्षण बहुत कम हो सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें बिना इलाज के छोड़ दिया जाना चाहिए। महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन से जुड़े कुछ लक्षणों में शामिल हैं:

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महिलाएं अपने शरीर में कई स्थानों पर टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन करती हैं। इनमें शामिल हैं:

  • अंडाशय यानि ओवरीज़ 
  • एड्रेनल ग्लैंड्स 
  • पेरिफेरल टिशू 

अंडाशय टेस्टोस्टेरोन बाने का सबसे प्रमुख स्थान है , इसलिए रजोनिवृत्ति के समय अंडाशय में हॉर्मोन का उत्पादन कम होने लगता है। इस का मतलब है कि कुछ प्री- और पोस्ट-मेनोपॉज़ल महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो सकता है। वैसे माना जाता है कि अगर कामेच्छा में कमी है तो एस्ट्रोजन का लेवल कम हो गया होगा जो अक्सर रजोनिवृत्ति के बाद हो भी जाता है। 

कई महिलाओं में, अंडाशय टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन का उत्पादन जारी रखते हैं। इसलिए, डॉक्टरों का सुझाव है कि कम टेस्टोस्टेरोन वाली कुछ महिलाओं के आनुवंशिक कारण भी हो सकते हैं । कुछ महिलाओं में एंजाइम की कमी भी हो सकती है जो DHEA और DHEA-S को टेस्टोस्टेरोन में बदल देते हैं। महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन के अन्य संभावित कारणों में शामिल हैं:

  • एड्रेनल अपर्याप्तता, जहां एड्रेनल ग्रंथियां उतनी अच्छी तरह से काम नहीं करतीं जितनी उन्हें करनी चाहिए
  • ऊफोरेक्टॉमी या अंडाशय को शल्य चिकित्सा द्वारा निकालना
  • हाइपोपिट्यूटारिज्म
  • मौखिक एस्ट्रोजन थेरेपी लेना, क्योंकि एस्ट्रोजन टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन को कम कर सकता है
  • समय से पहले रजोनिवृत्ति

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अक्सर, महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन के लक्षणों की जांच नहीं की जाती है । कभी कभी कुछ स्थितियों जैसे तनाव, अवसाद और महिलाओं में रजोनिवृत्ति के दौरान होने वाले बदलाव को महिलाओं के अंदर कम टेस्टोस्टेरोन होने का कारण मान लिया जाता है जो कि सही नहीं है। अन्य स्थितियाँ भी हैं जैसे - 

डॉक्टर महिला के टेस्टोस्टेरोन के लेवल की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट कर सकते हैं । 2002 में बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसार, यदि 50 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में किसी महिला का प्लाज्मा कुल टेस्टोस्टेरोन स्तर 25 एनजी/डीएल से कम है, तो यह लेवल कम है। 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं में 20 एनजी/डीएल से कम टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम माना जाता है।

डॉक्टरों को महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन के स्तर का पता लगाने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि उनके हार्मोन रोज ऊपर नीचे होते रहते हैं। अगर किसी महिला को अभी भी मासिक धर्म हो रहा है, तो उसे मासिक धर्म शुरू होने के लगभग 8 से 20 दिन बाद रक्त टेस्टोस्टेरोन का टेस्ट करवाना चाहिए।

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महिलाओं में कम टेस्टोस्टेरोन का इलाज क्या हो सकता है ? इस बड़े पैमाने पर अध्ययन नहीं किया गया है। डॉक्टर महिलाओं में ज्यादा टेस्टोस्टेरोन क्यूँ होता है ये तो जानते हैं लेकिन कम टेस्टोस्टेरोन क्यूँ होता है इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते। फिर भी डॉक्टर रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं को एस्ट्राटेस्ट नामक दवा लिख ​​सकते हैं। इस दवा में एस्ट्रोजन के साथ-साथ टेस्टोस्टेरोन भी होता है। लेकिन , ये टेस्टोस्टेरोन का सिंथेटिक रूप होता है और कम टेस्टोस्टेरोन के इलाज में उतना प्रभावी नहीं है। आपके शरीर में बहुत अधिक टेस्टोस्टेरोन होने से भी साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। महिलाओं में अत्यधिक टेस्टोस्टेरोन के उपयोग के दुष्प्रभावों में शामिल हैं:

  • मुँहासे
  • चेहरे पर बाल
  • पुरुषों जैसी शारीरिक विशेषताएँ, जिसमें पुरुषों जैसा गंजापन और गहरी आवाज़

डॉक्टर टेस्टोस्टेरोन के इंजेक्शन भी दे सकते हैं । कुछ महिलाएँ कंपाउंडिंग फ़ार्मेसियों से टेस्टोस्टेरोन जेल का भी उपयोग करती हैं। हालाँकि, इन जैल का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से उन पुरुषों के लिए किया जाता है जिनका औसत टेस्टोस्टेरोन का स्तर महिलाओं की तुलना में बहुत अधिक होता है। ओवर-द-काउंटर विकल्प में DHEA सप्लीमेंट लेना है। चूँकि DHEA टेस्टोस्टेरोन को बनाता है , इसलिए यदि कोई DHEA लेता है, तो उसके शरीर में टेस्टोस्टेरोन की मात्रा बढ़ सकती है। इसलिए कम टेस्टोस्टेरोन के इलाज के लिए DHEA सप्लीमेंट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

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जो महिलाएं गर्भवती हैं या गर्भवती होने वाली हैं, उन्हें एंड्रोजन नहीं लेना चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी टेस्टोस्टेरोन की दवाएँ नहीं लेनी चाहिए । टेस्टोस्टेरोन या उससे जुड़ी कोई भी दवा और सप्लीमेंट शुरू करने से पहले आपको हमेशा अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। 

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