टेस्टोस्टेरोन को पुरुष सेक्स हार्मोन के रूप में जाना जाता है, लेकिन यह पुरुष के साथ-साथ महिला के लिए भी जरूरी होता है. जिस तरह टेस्टोस्टेरोन का कम या अधिक स्तर पुरुषों में बांझपन का कारण बनता है. उसी तरह टेस्टोस्टेरोन का कम या अधिक स्तर महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है. इसकी वजह से महिलाओं को गर्भधारण करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि टेस्टोस्टेरोन किस प्रकार महिला प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है -

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  1. गर्भावस्था के लिए टेस्टोस्टेरोन क्यों जरूरी है?
  2. महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन अधिक होने पर क्या होता है?
  3. महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन कम होने पर क्या होता है?
  4. महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन को सामान्य करना का इलाज
  5. सारांश
टेस्टोस्टेरोन महिला प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करता है? के डॉक्टर

टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के साथ ही महिलाओं के लिए भी जरूरी हार्मोन होता है. महिला में टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य से कम या ज्यादा होने पर संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के असंतुलित होने पर महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है. इस स्थिति में महिलाओं के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो सकता है. प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशिक एक स्टडी के अनुसार, मेल सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन को एंड्रोजेन भी कहा जाता है. यह महिलाओं में फॉलिकल्स स्ट्रक्चर के निर्माण में मदद करता है. इस फॉलिकल्स में एग्स होते हैं, जो बाद में रिलीज होकर पुरुष के स्पर्म के साथ मिलकर फर्टाइल होते हैं. इसलिए, महिला के गर्भवती होने के लिए टेस्टोस्टेरोन हार्मोन जरूरी है. टेस्टोस्टेरोन महिलाओं में कुछ अन्य कार्य भी करता है -

  • नए ब्लड सेल्स का उत्पादन
  • कामेच्छा को बढ़ाना

(और पढ़ें - महिलाओं में प्रजनन के लिए फोलिक एसिड के फायदे)

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महिलाओं में हाई टेस्टोस्टेरोन को हाइपरएंड्रोजेनिज्म के रूप में जाना जाता है. महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का अधिक स्तर प्रजनन क्षमता को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है. महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का असंतुलित स्तर उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. इस स्थिति में महिलाओं को कई लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है -

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जिन महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है, उनकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है] लेकिन कम टेस्टोस्टेरोन सभी मामलों में प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता है. इस स्थिति में महिलाओं को डिप्रेशनथकानकामेच्छा में कमी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है. महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान टेस्टोस्टेरोन का स्तर अक्सर कम देखने को मिलता है.

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महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन के कम या अधिक होने पर गर्भधारण करने की क्षमता कम हो सकती है. ऐसे में अगर कोई महिला गर्भधारण करना चाहती हैं, तो इसका इलाज करवाना जरूरी होता है -

वजन कम करना

मोटापा टेस्टोस्टेरोन के कम या अधिक होने का मुख्य कारण हो सकता है. इसलिए, महिला को अपने वजन को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है. इसके लिए रेगुलर एक्सरसाइज करें. वजन कम करके टेस्टोस्टेरोन के स्तर को संतुलित करने में मदद मिल सकती है. साथ ही ओवुलेशन फिर से शुरू हो सकता है. 

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मेटफॉर्मिन

मेटफॉर्मिन दवा डायबिटीज के लिए होती है. यह ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करती है. साथ ही इंसुलिन प्रतिरोध का भी इलाज करती है. मेटफॉर्मिन पीसीओएस के लक्षणों को कम कर सकती है. साथ ही ओवुलेशन को फिर से शुरू करने में मदद कर सकती है.

(और पढ़ें - धूम्रपान का महिला की प्रजनन क्षमता पर असर)

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टेस्टोस्टेरोन हार्मोन पुरुष और महिलाओं सभी के लिए जरूरी होता है. टेस्टोस्टेरोन का कम या अधिक स्तर पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है. साथ ही यह महिलाओं के गर्भधारण की क्षमता को भी कम कर सकता है. इसलिए, अगर कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है, तो उसे टेस्टोस्टेरोन के स्तर को संतुलन में रखना जरूरी होता है. अगर किसी को टेस्टोस्टेरोन के कम या अधिक होने का कोई भी लक्षण नजर आए, तो उस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें.

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