अंडाशय में सिस्ट का अर्थ हॉर्मोन असंतुलन के कारण अंडाशय (ओवरी) में तरल पदार्थ से भरी गांठें बन जाना है। ओवरी में अंडे एक थैलीनुमा आकृति में बनते हैं, जिन्हें फॉलिकल्स (Follicles) कहा जाता है। अंडे निकल जाने के बाद खाली फॉलिकल्स में तरल पदार्थ इकठ्ठा होना गांठ बनने की वजह होता है। ये समस्या महिलाओं में ज्यादातर तब होती है, जब वे बच्चे पैदा करने की उम्र में होती हैं। अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म न होना, मतली, उल्टी, पीरियड्स में बहुत ज्यादा दर्द होना, सेक्स के दौरान दर्द, मुंहासे, बाल झड़ना, मोटापा, चेहरे पर ज्यादा बाल आना और प्रजनन क्षमता में कमी होना आदि ओवरी में सिस्ट होने के कुछ लक्षण हैं।
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आमतौर पर, पेडू का अल्ट्रासाउंड करने से इस समस्या का पता चल जाता है। कुछ होम्योपैथिक दवाओं से ओवरियन सिस्ट को जल्दी ठीक करने में मदद मिलती है और इनसे मुंहासे व प्रजनन क्षमता में कमी जैसी जटिलताओं से भी बचा जा सकता है। फॉलिक्यूलाईनम (Folliculinum), ओवेरिनम (Ovarinum) और कैल्केरिया कार्ब (Calcarea carb) आदि कुछ मुख्य दवाएं हैं। इन दवाओं से उन किशोरावस्था वाली लड़कियों का इलाज भी किया जा सकता है, जिन्हें पीसीओएस के लक्षण नहीं हैं।
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- होम्योपैथी में अंडाशय की सिस्ट का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me ovary me cyst ka ilaaj kaise hota hai
- अंडाशय में सिस्ट की होम्योपैथिक दवा - Ovary me cyst ki homeopathic dawa
- होम्योपैथी में अंडाशय की सिस्ट के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me ovarian cyst ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
- अंडाशय में सिस्ट के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Ovarian cyst ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
- अंडाशय में सिस्ट के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Ovarian cyst ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में अंडाशय की सिस्ट का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me ovary me cyst ka ilaaj kaise hota hai
होम्योपैथिक उपचार लंबी चलने वाली हॉर्मोन संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए सहायक हो सकता है, ये भविष्य में फिर से समस्या होने की संभावना को भी कम करता है। व्यक्ति के लक्षणों और चिकित्सा इतिहास के आधार पर उसे अलग-अलग दवाएं दी जाती हैं, जो सिस्ट को वापिस बढ़ने से भी रोकती हैं, जैसे कैल्केरिया कार्ब, ग्रेफाइट, एपिस मेलिफिका, फॉलिक्यूलाईनम और ओवेरिनम। इसके अलावा, जीवनशैली में कुछ बदलाव से मोटापा, शरीर का इंसुलिन के प्रति सही प्रतिक्रया न दे पाना, और प्रजनन क्षमता में कमी जैसी समस्याओं को भी ठीक किया जा सकता है।
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होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, लेकिन ये काफी प्रभावशाली होती हैं। इन दवाओं को लेने से रोगी अन्य उपचार में दी जाने वाली हॉर्मोन की दवाओं और यहां तक की सर्जरी से भी बच सकता है। असामान्य मासिक धर्म होने की समस्या से पीड़ित महिलाओं पर किए गए अध्ययन में उन्हें पल्साटिला नामक होम्योपैथिक दवा दी गई थी। ये दवा मासिक धर्म से जुडी अनियमितताओं में दी जाने वाली सबसे आम दवा है। कुछ समय तक इस दवा के साथ जीवनशैली में थोड़े बदलाव करने पर 60 प्रतिशत महिलाओं में सुधार देखा गया। ये सुधार न केवल उनके मासिक धर्म की समस्याओं में देखे गए, बल्कि उनकी भावनाओं, डाइट, वजन और प्रजनन क्षमता में भी सुधार आया।
एक अन्य अध्ययन में, पीसीओएस जैसी बिमारियों को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल करने से 91 प्रतिशत महिलाओं के लक्षणों में सुधार आया। इन महिलाओं को पहले अजीबोगरीब सपने आया करते थे। इससे ये पता चलता है कि शारीरिक समस्याओं पर काम करने के अलावा, होम्योपैथिक दवाएं मानसिक क्षेत्र पर भी काम करती हैं।
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अंडाशय में सिस्ट की होम्योपैथिक दवा - Ovary me cyst ki homeopathic dawa
अंडाशय की सिस्ट के इलाज के लिए निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है:
- एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)
सामान्य नाम: हनी बी (Honey bee)
लक्षण: ये दवा ज्यादातर उन महिलाओं को दी जाती है जो थोड़ी अनाड़ी होती हैं और चीज़ें इधर-उधर गिराती रहती हैं। निम्नलिखित लक्षण अनुभव होने पर इस दवा का उपयोग किया जा सकता है:- अंडाशय में जमाव होना, खाकसार दाएं अंडाशय में।
- पेट और जांघ के बीच के भाग में दर्द।
- पीरियड्स के दौरन पेट के अंडाशय वाले क्षेत्र में चुभन वाला दर्द होना। (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
- गर्भाशय और अंडाशय के क्षेत्र में जकड़न महसूस होना।
- आंखों की सूजन या मोटा होना। (और पढ़ें - आंखों की सूजन का घरेलू इलाज)
- पीरियड्स कम होने के साथ सिर से संबंधित समस्याएं।
- मासिक धर्म चक्र के बीच में स्पॉटिंग होना।
- एक क्षेत्र में दर्द और सुन महसूस होना, खासकर जांघों में। (और पढ़ें - जांघ में दर्द का इलाज)
- दाएं अंडाशय में सिस्ट होना।
- व्यस्त रहने या चलने पर बेहतर महसूस होना।
- प्यास न लगना।
एक मामले में, होम्योपैथिक उपचार से दाएं अंडाशय की 89 mm x 35 mm बड़ी सिस्ट को निकालने में मदद मिली और असामान्य पीरियड्स के अन्य लक्षणों में भी राहत मिली। इन दवाओं ने इस समस्या को दोबारा होने से रोकने के लिए भी असरदार तरीके से काम किया। इससे ये समझ आता है कि होम्योपैथिक दवाओं से बिना किसी सर्जरी की ममद के अंडाशय की सिस्ट को ठीक किया जा सकता है।
- आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
सामान्य नाम: आर्सेनिक ऑक्साइड (Arsenic oxide)
लक्षण: नीचे दिए गए लक्षणों में इस दवा से आराम मिलता है:- पेट के अंडाशय वाले क्षेत्र में जलन के साथ दर्द होना, जो दाईं ओवरी में अधिक होता है। (और पढ़ें - पेट में जलन होने पर क्या करना चाहिए)
- दर्द के दौरान बेचैनी होना। (और पढ़ें - बेचैनी कैसे दूर करे)
- थोड़ा सा काम करने पर भी ज्यादा थकान होना।
- थोड़ी-थोड़ी देर में पानी की प्यास लगना।
- मासिक धर्म के दौरान ज्यादा खून बहने के साथ जल्दी पीरियड्स हो जाना।
- दर्द होना, जो हल्का सा भी काम करने पर बढ़ जाता है और सिकाई से बेहतर होता है। (और पढ़ें - बर्फ की सिकाई कैसे करे)
- दर्द का जांघ की तरफ फैलना।
- बहुत ज्यादा मतली होना और खाने को देखने या सूंघने से ही उबकना।
- त्वचा पर बहुत ज्यादा मुंहासे होना। (और पढ़ें - कील मुंहासे हटाने की क्रीम)
- बेलाडोना (Belladonna)
सामान्य नाम: डेडली नाइटशेड (Deadly nightshade)
लक्षण: इस दवा को निम्नलिखित लक्षण अनुभव होने पर दिया जाता है:- अंडाशय की सूजन।
- ऐसा महसूस होना जैसे शरीर के सारे अंग नीचे की तरफ जा रहे हैं और जननांग से बाहर आ रहे हैं। (और पढ़ें - जननांग दाद का इलाज)
- महावरी में बहुत ज्यादा खून निकलना, जो चटक लाल रंग का होता है।
- पीरियड्स में दुर्गन्ध आना। (और पढ़ें - योनि से बदबू आने के कारण)
- अंडाशय के क्षेत्र में दर्द के साथ ब्रेस्ट में तेज दर्द होना और निप्पल पर दर्दनाक लाल धारियां पड़ना। (और पढ़ें - निप्पल में दर्द के कारण)
- ब्रेस्ट में भारीपन और वजन महसूस होना।
- योनि से गरम रिसाव आना। (और पढ़ें - योनि स्राव के प्रकार)
- दर्द, जो हल्का सा हिलने-डुलने पर भी बढ़ जाता है।
- दाईं ओवरी में बाईं ओवरी से ज्यादा समस्या होना और अचानक लक्षण अनुभव होना।
- कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ लाइम (Carbonate of lime)
लक्षण: नीचे दी गई समस्याओं में इस दवा का उपयोग किया जाता है:- पोषण की कमी के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं।
- टॉन्सिल जैसी ग्रंथियों में सूजन आना। (और पढ़ें - टॉन्सिल के घरेलू उपाय)
- डर, चिंता, भूलना, उलझन और काम न करने की इच्छा होना। (और पढ़ें - भूलने की बीमारी का इलाज)
- सिरदर्द, मासिक धर्म से पहले रिसाव और पेट में दर्द होना, जो अचानक शुरू व बंद हो जाता है।
- पीरियड्स में ज्यादा खून बहना और पीरियड्स जल्दी हो जाना।
- पीरियडस से पहले ब्रेस्ट में भारीपन, सूजन और दर्द होना। (और पढ़ें - ब्रेस्ट की देखभाल सही तरीके से कैसे करें)
- मासिक धर्म से पहले और बाद में पेडू के क्षेत्र में जलन होना।
- पीरियड्स से संबंधित पेट के रोग और अचानक शुरू व खत्म होने वाला दर्द।
- मासिक धर्म से संबंधित दांत का दर्द और वर्टिगो। (और पढ़ें - दांत दर्द के घरेलू उपाय)
- पांव ठंडे और गीले महसूस होना।
- ठंड के मौसम में और हलकी सी भी शारीरिक व मानसिक उत्तेजना से समस्याएं बढ़ जाना।
- ग्रेफाइट (Graphite)
सामान्य नाम: ब्लैक लेड (Black lead) और प्लंबेगो (Plumbago)
लक्षण: ये दवा उन महिलाओं को सूट करती है जो थोड़ी मोटी हैं और उनका रंग गोरा है। इसे निम्नलिखित लक्षणों में दिया जाता है:- त्वचा से संबंधित समस्याएं।
- कब्ज। (और पढ़ें - कब्ज में क्या खाना चाहिए)
- पीरियड्स बहुत ज्यादा देर से होना। (और पढ़ें - पीरियड जल्दी लाने के उपाय)
- पेट के ऊपरी हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द होना जैसे पेट फट रहा हो।
- पीरियड्स में बहुत कम खून बहना, जो फीके रंग का होता है। (और पढ़ें - मासिक धर्म कम आने के कारण)
- महावरी के दौरान आवाज भारी होना, नाक बहना और मतली।
- ब्रेस्ट का भारीपन और सख्त होना।
- निप्पल्स का फटना, दर्द होना और उनपर छाले होना। (और पढ़ें - ब्रेस्ट संक्रमण के लक्षण)
- पीरियड्स के दौरान या बाद में लक्षण बढ़ जाना।
- लैकेसिस म्यूटंस (Lachesis Mutans)
सामान्य नाम: बुशमास्टर स्नेक (Bushmaster snake)
लक्षण: ये दवा उन महिलाओं के लिए ज्यादा असरदार है जो बहुत ज्यादा धार्मिक, शक्की स्वाभाव की और वहमी हैं। नीचे दिए गए लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:- आसानी से खून बहने की प्रवृत्ति।
- दाएं अंडाशय में गांठ होना। (और पढ़ें - अंडाशय में गांठ के घरेलू उपाय)
- बहुत कम मासिक धर्म होना।
- मासिक धर्म के दौरान दर्द कम हो जाना।
- स्तन में जमाव महसूस होने के साथ ऊतकों का नीला पड़ना। (और पढ़ें - नील का प्राथमिक उपचार)
- अक्सर ये महिलाऐं चुलबुली होती हैं, लेकिन सुबह के समय इनका उदास या दुखी रहना। (और पढ़ें - मानसिक रोग के लक्षण)
- लाइकोपोडियम क्लैवाटम (Lycopodium Clavatum)
सामान्य लक्षण: क्लब मॉस (Club moss)
लक्षण: ये दवा उन महिलाओं को अधिक सूट करती है जो अपनी उम्र से ज्यादा की लगती हैं, उन्हें दाईं ओवरी में समस्या होती है और निम्नलिखित लक्षण अनुभव होते हैं:- पीरियड्स देर से होना।
- पीरियड्स देर से होना लेकिन ज्यादा देर तक चलना और उसमें अधिक रक्तस्त्राव होना। (और पढ़ें - पीरियड्स के दौरान एक्सरसाइज)
- योनि में जलन और सूखापन। (और पढ़ें - योनि के सूखेपन का कारण)
- दाईं ओवरी के क्षेत्र में दर्द होना।
- योनि से सफेद पानी आना। (और पढ़ें - योनि से सफेद पानी आने के घरेलू उपाय)
- मल करते समय योनि से खून निकलना। (और पढ़ें - योनि से रक्तस्राव के कारण)
- पेट में बहुत ज्यादा गैस के साथ पेट फूलना।
- लिवर के काम में गड़बड़ होना।
- बहुत ज्यादा भूख लगना।
- शाम को 4 से 8 बजे के बीच में समस्या बढ़ना।
- पल्सेटिला प्रेटेंसिस (Pulsatilla Pratensis)
सामान्य नाम: विंडफ्लॉवर (Windflower)
लक्षण: अंडाशय की सिस्ट से पीड़ित 36 महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में इस दवा के असर का पता चला। अध्ययन के अंत तक 30 महिलाऐं पूरी तरह से ठीक हो चुकी थीं और बाकी महिलाओं को लक्षण अनुभव होने बंद हो गए थे। ये ज्यादातर उन लड़कियों को दी जाती है जो स्वभाव में कोमल, सुशील व नर्म होती हैं और दुविधा या उलझन में रहती हैं। ऐसी लड़कियों को निम्नलिखित लक्षण होने पर ये दवा दी जाती है:- गीले होने (खासकर पांव) से जुकाम होना, जिसके कारण पीरियड्स न होना। (और पढ़ें - सर्दी जुकाम होने पर क्या करें)
- पीरियड्स देर से होने के साथ-साथ कम पीरियड्स होना।
- मासिक धर्म में खून के थक्के और गाढ़ा खून आना। दो मासिक धर्म चक्र में कभी भी समान प्रकार का खून न आना।
- पीरियड्स के दौरान या पहले ठंड लगना।
- जननांग क्षेत्र में दबाव महसूस होना, जो नीचे की तरफ फैलता है।
- पीठ दर्द और थकान। (और पढ़ें - थकान दूर करने के घरेलू उपाय)
- पीरियड्स से पहले या दौरान दस्त। (और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए)
- प्यास न लगना।
- खुली हवा में जाने का मन करना और जाने पर बेहतर महसूस होना।
- थूजा ऑक्सिडेंटलिस (Thuja Occidentalis)
सामान्य नाम: आर्बर विटै (Arbor vitae)
लक्षण: ये दवा खासतौर पर उन महिलाओं के लिए है जिनकी सोच दृढ़ होती है जो आसानी से बदलती नहीं और ये महिलाऐं भावनात्मक रूप से परेशान होती हैं। इस दवा को निम्नलिखित लक्षणों में दिया जाता है:- शरीर पर मस्से। (और पढ़ें - मस्से हटाने के घरेलू उपाय)
- जननांग क्षेत्र में मस्से। (और पढ़ें - जननांग मस्सों का घरेलू इलाज)
- दाएं अंडाशय में तेज दर्द होना।
- मासिक धर्म के दौरान दाईं ओवरी में सूजन।
- पेट में हलचल महसूस होना।
- इस दवा को टीकाकरण के दुष्प्रभावों को ठीक करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
- नींद न आना, जोड़ों में अकड़न और ग्रंथियों की सूजन। (और पढ़ें - लिम्फ नोड्स में सूजन के लक्षण)
पीसीओएस से ग्रस्त 3 महिलाओं पर एक अध्ययन किया गया था, जो बच्चे पैदा करने की उम्र में थीं। इनमें से एक महिला की दाईं ओवरी में बहुत बड़ी सिस्ट थी और उन्हें पहले सर्जरी की सलाह दी गई थी। इन तीनों महिलाओं को उनके लक्षणों के आधार पर कुछ समय के लिए थूजा दी गई। सभी महिलाओं के लक्षणों में सुधार देखा गया और उनकी सब सिस्ट भी निकल गई (बड़ी सिस्ट भी)। इसी वजह से, पीसीओएस के लिए सर्जरी और अन्य उपचारों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है।
(और पढ़ें - पीसीओएस का घरेलू उपाय)
होम्योपैथी में अंडाशय की सिस्ट के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me ovarian cyst ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
होम्योपैथिक दवाओं के साथ आपको खान-पान और जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:
क्या करें:
- पर्याप्त आराम करें।
- थोड़ी शारीरिक गतिविधि अवश्य करें और स्वस्थ खाएं व पिएं।
- होम्योपैथिक दवाएं लेने का एक नियम बनाएं। अगर आप लैकेसिस ले रहे हैं, तो इसे होम्योपैथिक डॉक्टर के द्वारा बताए गए तरीके से पीरियड्स शुरू या खत्म होने पर लें।
- दर्द होने पर महिलाओं का कुछ विशेष चीजें खाने का मन करता है, उन्हें वे चीज देनी चाहिए अगर उसे खाने-पीने का कोई नुकसान नहीं है।
(और पढ़ें - पेट दर्द में क्या खाना चाहिए)
क्या न करें:
- कुछ तेज गंध वाली चीजों के औषधीय गुण होते हैं, जिससे होम्योपैथिक दवाओं के कार्य पर असर पड़ सकता है, जैसे कॉफी, मसाले और हर्बल चाय। होम्योपैथिक दवाओं को इन खान-पान की चीजों के साथ न लें।
- सुस्त जीवनशैली न अपनाएं, थोड़ा व्यायाम और हिलना-डुलना आपके लिए जरुरी है। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
- होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, इसीलिए पर्यावरणीय कारक से दवाओं के कार्य पर आसानी से असर पड़ सकता है। इन दवाओं को बचा कर रखना जरुरी है, इसीलिए इन्हें धूप में या तेज गंध वाले पदार्थों के आस-पास न रखें।
(और पढ़ें - मसालेदार खाने के नुकसान)
अंडाशय में सिस्ट के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Ovarian cyst ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथी एक बहुत ही सुरक्षित उपचार है, क्योंकि आजतक इसका कोई भी दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। हालांकि, कोई भी दवा लेने से पहले आपको एक पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए ताकि वे आपकी समस्या और उससे जुड़े लक्षणों को ध्यान में रखकर आपको उचित दवा दे सकें।
(और पढ़ें - डायबिटीज का होम्योपैथिक इलाज)
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अंडाशय में सिस्ट के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Ovarian cyst ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
ओवेरियन सिस्ट में अंडाशय में तरल पदार्थ से भरी गांठें बन जाती हैं। ये समस्या महिलाओं के हार्मोन में असामान्यता के कारण होती है, जिसकी वजह तनाव और सुस्त जीवनशैली है। इस समस्या से पीड़ित लोगों को डायबिटीज और प्रजनन क्षमता में कमी होने की संभावना अधिक होती है। होम्योपैथिक दवाएं अंडाशय की सिस्ट को ठीक करती हैं और यहां तक की सर्जरी से भी बचा सकती हैं। होम्योपैथिक उपचार के साथ-साथ व्यक्ति के लिए उचित डाइट और व्यायाम भी महत्वपूर्ण हैं ताकि उसका वजन सही बना रहे और दोबारा ये समस्या न हो।
(और पढ़ें - हार्मोन असंतुलन के नुकसान)
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संदर्भ
- Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Polycystic ovarian syndrome (PCOS).
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- William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
- Debarsi Das et al. Removal of Large Sized Ovarian Cysts in Three Patients by Administration of a Single Remedy, Thuja occidentalis: Hormonal Assay and Ultrasonographic Images. J Integrative Med Ther. 2016;3(1): 9. Avens Publishing Group, Maryland USA; Volume: 3, Issue: 1, July 2016.
- Samuel Hahnemann B. Organon of Medicine. Jain Publishers, 2002 - Medical - 6Th Edition. MEDI-T 1998