टांग और पेट के निचले हिस्से के बीच वाले भाग को पेल्विक कहा जाता है। इस हिस्से में कब्ज या मूत्र मार्ग में संक्रमण की वजह से दर्द हो सकता है। ये मूत्राशय के भरे होने या डिस्मेनोरिया (माहवारी में होने वाला दर्द) का भी संकेत हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को पेल्विक हिस्से में दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है।
प्रत्येक 6 में कम से कम एक महिला को इस प्रकार का दर्द महसूस होता है। यह तेज (अचानक से) या जीर्ण (लंबे समय तक खड़े रहने) दर्द हो सकता है। अगर यह दर्द 6 महीने से ज्यादा समय तक लगातार या बीच-बीच में रहता है तो इसे क्रॉनिक पेल्विक पेन कहते हैं जो कि सामान्य दर्द की तुलना में काफी तेज होता है।
पेल्विक पेन या कुक्षी शूल के इलाज के लिए आयुर्वेदिक उपचार में से पंचकर्म थेरेपी के बस्ती (एनिमा) कर्म के साथ स्वेदन (पसीना निकालने की विधि) और प्रभावित हिस्से की मालिश की जाती है। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जैसे कि निर्गुंडी, आमलकी (आंवला) और अरंडी के साथ औषधियों में दशमूल क्वाथ और अभ्यारिष्ट पेल्विक दर्द का कारण बनने वाली बीमारी के इलाज में मददगार हैं।