रेबीज एक गंभीर रोग है, जो वायरस के कारण होता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से जानवरों को होता है। रेबीज रोग से ग्रसित जानवर के द्वारा किसी व्यक्ति को काट लेने से यह रोग संबंधित व्यक्ति को भी हो जाता है। शुरुआती दौर में इसके कुछ लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन एक सप्ताह से महीने भर बाद इस घाव में दर्द होने लगता है और व्यक्ति को थकान, सिरदर्द, बुखार और चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है। इन लक्षणों के साथ ही संक्रमित व्यक्ति को दौरे, मतिभ्रम (Hallucination) और लकवा भी पड़ सकता है। यदि समय रहते इसका इलाज ना किया गया तो रेबीज व्यक्ति के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
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रेबीज के रोग की गंभीरता को देखते हुए आपको इस लेख में रेबीज वैक्सीन यानी रेबीज के टीके के बारे में बताया गया है। साथ ही इसमें आपको रेबीज टीकाकारण क्या है, रेबीज टीके की खुराक, रेबीज इंजेक्शन की कीमत, रेबीज इंजेक्शन के साइड इफेक्ट, रेबीज इंजेक्शन किसे नहीं दिया जाना चाहिए और रेबीज के टीके की खोज, आदि विषयों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
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- रेबीज टीकाकरण क्या है - Rabies tikakaran kya hai
- रेबीज टीके की खुराक - Rabies tike ki khurak
- रेबीज इंजेक्शन की कीमत - Rabies vaccine costs
- रेबीज इंजेक्शन के साइड इफेक्ट - Rabies injection ke side effects
- रेबीज इंजेक्शन किसे नहीं लेना चाहिए - Rabies injection kise nahi lena chahiye
- रेबीज टीके की खोज - Rabies tika ki khoj
रेबीज टीकाकरण क्या है - Rabies tikakaran kya hai
रेबीज वैक्सीन में सक्रिय तत्व (Active immunizing agent) मौजूद होते हैं, जो रेबीज के वायरस से आपका बचाव करते है और इस वायरस से छुटकारा दिलाते हैं। इस टीकाकरण के माध्यम से शरीर में ऐसे एंटीबॉडीज बनते हैं जो रेबीज के वायरस से बचाव करते हैं। रेबीज एक संक्रामक रोग है और यह न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स (Neurotropic lyssavirus) वायरस के कारण होता है। यह वायरस मुख्य रूप से जानवरों में पाया जाता है, जब इससे संक्रमित जानवर किसी व्यक्ति को काट लें, तो ऐसे में यह वायरस व्यक्ति को भी अपनी चपेट में ले लेता है। (और पढ़ें - वायरस क्या है)
सामान्यतः यह रेबीज एक व्यक्ति से दूसरे तक नहीं फैलता है। मात्र अंग प्रत्यारोपण के दुर्लभ मामले में ही यह वायरस या रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमित हो सकता है। जानवर के काटने के अलावा जब व्यक्ति के खुले घाव या चोट किसी संक्रमित जानवर की लार के संपर्क में आते हैं (जैसे जानवर के द्वारा चोट या घाव को चाटना) तो ऐसे में भी रेबीज हो सकता है। लोगों के घरों में पलने वाले पालतू जानवरों को यदि रेबीज से बचाव के लिए टीके नहीं लगे हैं तो इनसे भी रेबीज होने का खतरा होता है। (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
निम्नलिखित कुछ जानवरों को रेबीज होने की संभावना अधिक होती है।
- कुत्ता (और पढ़ें - कुत्ते के काटने पर क्या करे)
- बिल्ली (और पढ़ें - बिल्ली के काटने से क्या होता है)
- गाय (और पढ़ें - गाय के घी के फायदे)
- बकरी
- घोड़े
- चमगादड़ (और पढ़ें - इन्फ्लूएंजा टीके की खुराक)
- बंदर (और पढ़ें - बंदर के काटने से क्या होता है)
- लोमड़ी
- गिलहरी, आदि। (और पढ़ें - गर्भावस्था के दौरान टीकाकरण चार्ट)
रेबीज वाला जानवर यदि आपको काट लें या आपकी खुली चोट को चाट लें, तो ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। घर के बाहर घुमने वाले पागल कुत्तों से भी लोगों के दूर रहना चाहिए। रेबीज से संक्रमित कुत्ते, बंदर, बिल्ली या अन्य जानवर के काटे जानें पर व्यक्ति में निम्न तरह के शुरूआती लक्षण दिखाई देते हैं।
- कमजोरी आना, (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के उपाय)
- तेज बुखार, (और पढ़ें - बुखार भगाने के उपाय)
- सिर दर्द (और पढ़ें - सिर दर्द से छुटकारा पाने के उपाय)
रेबीज में होने वाले गंभीर लक्षण-
- सोने में परेशानी, (और पढ़ें - नींद न आने का इलाज)
- कुछ समझ न आना (Feeling confused),
- चिंता और अशांत होना (बैचेन, चिंतित और उदास होना),
- दौरे पड़ना, (और पढ़ें - मिर्गी के दौरे होने पर क्या करें)
- मतिभ्रम (hallucinations: कल्पनिक चीजें दिखना)।
रेबीज के लक्षण दिखाई देने वाले अधिकतर मामलों में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
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रेबीज टीके की खुराक - Rabies tike ki khurak
रेबीज के वायरस से बचाव व रेबीज के संक्रमण से ग्रसित जानवर से काटे जाने के बाद, दोनों ही स्थितियों में रेबीज के टीके की आवश्यकता होती है। इस टीके को किसे दिया जाता है और कितनी खुराक में दिया जाता है इस बारे में नीचे विस्तार से बताया जा रहा है:
रेबीज वायरस से बचाव के लिए टीका लगाना:
जिन व्यक्तियों को रेबीज होने की संभावना अधिक होती है उनको रेबीज वैक्सीन दी जाती है। कई स्थितियों में व्यक्ति को रेबीज होने की संभावना अधिक होती है।
- जानवरों की देखभाल या जानवरों के अस्पताल में काम करना।
- पुरानी गुफाओं का अध्ययन करने वाले। (और पढ़ें - पोलियो का टीका क्यों लगवाना चाहिए)
- रेबीज वायरस पर अध्ययन करने वाले। (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने के कारण और समाधान)
- ऐसे देश की यात्रा करना, जहां पर रेबीज रोग सामान्य हो। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
ऐसें व्यक्तियों को रेबीज के टीके की तीन खुराक दी जाती है। टीके की पहली खुराक डॉक्टर किसी भी समय दे सकते हैं। जिसके सात दिनों के बाद दूसरी खुराक और पहली खुराक के 21 से 28 दिनों के बीच में तीसरी खुराक दी जाती है।
किसी जानवर के काटने के बाद रेबीज का टीका लगाना –
किसी जानवर के काटने के बाद व्यक्ति को अपने घाव को साफ करके डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके बाद डॉक्टर आपकी जांच कर ये निर्धारित करते हैं कि आपको टीके की आवश्यकता है या नहीं।
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रेबीज से संक्रमित जानवर के काटने के बाद आपको यह रोग न हो इसलिए व्यक्ति को टीके की चार खुराक दी जाती है। जानवर के काटने के बाद टीके की पहली खुराक जल्द से जल्द दी जाती है, इसके बाद दूसरी खुराक तीसरे दिन, तीसरी खुराक सातवें दिन और चौथी खुराक 14वें दिन दी जाती है। डॉक्टर पहली खुराक के साथ आपको रेबीज इम्युन ग्लोबुलिन (Rabies immune globulin) नामक इंजेक्शन भी लगाते हैं।
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जिन व्यक्तियों ने किसी जानवर के काटने से पहले ही इंजेक्शन लगवाया होता है, उनको रेबीज के दो टीके लगाएं जाते हैं। पहला टीका जल्द से जल्द, जबकि दूसरा टीका तीसरे दिन लगाया जाता है। इस स्थिति में रेबीज इम्युन ग्लोबुलिन इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।
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रेबीज इंजेक्शन की कीमत - Rabies vaccine costs
रेबीज वायरस से बचाव के लिए देश में रेबीज की टीका कई ब्रांड में उपलब्ध है। ब्रांड के आधार पर इस इंजेक्शन की मात्रा और कीमत अलग-अलग हो सकती है। देश में मिलने वाले रेबीज के कुछ इंजेक्शन और उनकी कीमतों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।
रेबीज वैक्सीन | अनुमानित कीमत |
अभयरैब इंजेक्शन (Abhayrab Injection) | 336 |
इंडीरैब (Indirab 2.5 IU) | 315 |
रबिवैक्स एस वैक्सीन (Rabivax S Vaccine) | 336.77 |
एक्सपीरैब (Xprab 150 IU Injection) | 336.76 |
बैरीरैब पी 300 (Berirab P 300 IU Injection) | 5286.54 |
रेबीज इंजेक्शन के साइड इफेक्ट - Rabies injection ke side effects
सामान्यतः रेबीज के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस इंजेक्शन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इस इंजेक्शन को लगाना सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें इस टीके की प्रतिक्रियाएं गंभीर हो सकती हैं।
रेबीज के इंजेक्शन से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है:
- इंजेक्शन की जगह पर दर्द, सूजन और लालिमा होना। (और पढ़ें - सूजन को दूर करने के उपाय)
- वैक्सीन से सिर दर्द।
- पेट खराब होना। (और पढ़ें - पेट खराब होने पर क्या खाएं)
- पेट में दर्द। (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
- मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द के उपाय)
- थकान आना। (और पढ़ें - थकान दूर करने के घरेलू उपाय)
- चक्कर आना। (और पढ़ें - चक्कर आने के उपाय)
टीके से होने वाले कुछ दुर्लभ नुकसान
- बच्चों और व्यस्कों को वैक्सीन से बुखार आना।
- जोड़ों में दर्द होना। (और प जोड़ों में दर्द के उपाय)
- शीतपित्त (hives)।
रेबीज के इंजेक्शन से गंभीर दुष्प्रभाव बेहद ही कम मामलों में दिखाई देते हैं।
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रेबीज इंजेक्शन किसे नहीं लेना चाहिए - Rabies injection kise nahi lena chahiye
कई बार रेबीज वैक्सीन को कुछ विशेष परिस्थितियो में लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को बच्चों या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते है। आगे जानते हैं कि किन परिस्थितियों में रेबीज वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए या डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति को रेबीज के इंजेक्शन की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हो, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें)
- रेबीज वैक्सीन में मौजूद तत्व से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - मेनिंगोकोकल टीकाकरण)
- एचआईवी या रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाले अन्य रोग होना। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
- स्टेरॉयड दवाओं का सेवन करना। (और पढ़ें - थेरेपी के तरीके)
- कैंसर होना और रेडिएशन व दवाओं के माध्यम से कैंसर के इलाज के दौरान इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - थायराइड कैंसर का उपचार)
यदि आपको रेबीज से संक्रमित कोई जानवर काट लें या किसी अन्य तरह से आप रेबीज के वायरस के संपर्क में आ जाए, तो ऊपर बताई गई किसी भी स्थिति में आप रेबीज का टीका लगवा सकते हैं। साथ ही आपके डॉक्टर इस विषय में आपको सही सुझाव देंगे।
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रेबीज टीके की खोज - Rabies tika ki khoj
रेबीज टीके की खोज फ्रांस के दो वैज्ञानिक लुई पाश्चर (Louis pasteur) और इमाइल रोउक्स (Emile Roux) ने वर्ष 1885 में की थी। नौ साल के बच्चे जोसफ मिस्टर (joseph meister) को पागल कुत्ते के काटने पर यह वैक्सीन पहली बार 6 जुलाई 1885 में किसी व्यक्ति को दी गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक वैश्विक स्तर पर हर वर्ष करीब 59 000 लोग रेबीज की वजह से मरते हैं। रेबीज के कारण होने वाली मौतों में 90 प्रतिशत मामले रेबीज से संक्रमित कुत्ते के काटने से होती है। भारत में ही हर वर्ष करीब 18,000 से 20,000 लोगों की मृत्यु रेबीज की वजह से होती हैं।
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लोगों को रेबीज रोग के प्रति जागरूक व सर्तक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 28 सिंतबर को विश्व रेबीज दिवस आयोजित किया जाता है। भारत में आज भी रेबीज के कई मामले पाए जाते हैं। लोगों को रेबीज के घातक परिणामों से बचाने के लिए कई सरकारी अस्पतालों में रेबीज के इंजेक्शन लगाएं जाते हैं, ताकि इलाज के अभाव में रेबीज से किसी की मृत्यु न हो।
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