आज के इस भागदौड़ भरी जीवनशैली में तनाव होना स्वाभाविक है. हर दूसरा इंसान किसी न किसी बात से परेशान या तनाव में रहता है. ऐसे में कई बार लोग सोचते हैं कि तनाव का असर हमारे मानसिक और शारीरिक स्वाथ्य पर पड़ता है, लेकिन वो ये नहीं जानते कि तनाव का असर त्वचा की सेहत पर भी पड़ता है. आज के इस आर्टिकल में हम इसी विषय में जानकारी दे रहे हैं. तनाव त्वचा को कैसे प्रभावित करता है, आप इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आसानी से समझ सकेंगे.

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  1. तनाव के कारण होने वाली हाइव्स की समस्या
  2. तनाव का त्वचा विकारों पर असर
  3. डॉक्टर से कब बात करें?
  4. तनाव का स्किन पर असर का इलाज
  5. तनाव से त्वचा पर रैशेज से बचाव का तरीका
  6. सारांश
स्ट्रेस का स्किन पर असर व इलाज के डॉक्टर

तनाव हाइव्स यानी पित्ती को ट्रिगर कर सकता है, जिससे त्वचा पर रैशेज नजर आ सकते हैं. हाइव्स उभरे हुए, लाल रंग के धब्बे या रैशेज होते हैं. ये आकार में भिन्न होते हैं और शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं. पित्ती से प्रभावित जगह पर खुजली महसूस हो सकती है. कुछ मामलों में, छूने पर ये झुनझुनी या जलन पैदा कर सकते हैं.

ये पित्ती विभिन्न कारणों से हो सकती है -

पित्ती का सबसे आम कारण शरीर में एलर्जी होना है. उदाहरण के लिए, परागज ज्वर (हे फीवर) से पीड़ित व्यक्ति में पराग के संपर्क में आने से पित्ती हो सकती है. भावनात्मक तनाव के कारण भी पित्ती होना संभव है. तनाव की प्रतिक्रिया में कई हार्मोनल या केमिकल बदलाव हो सकते हैं. ये परिवर्तन रक्त वाहिकाओं के फैलने और लीक होने का कारण हो सकते हैं, जिससे त्वचा पर लाल और सूजन वाले धब्बे हो सकते हैं. परिणाम के तौर पर निम्नलिखित कारणों से पित्ती की समस्या गंभीर हो सकती है -

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अगर कोई व्यक्ति किसी तरह के त्वचा विकारों का सामना कर रहा है और तनाव में है, तो इससे उसकी त्वचा रोग की समस्या बढ़ सकती है. उदाहरण के लिए, तनाव के चलते सोरायसिस और एक्जिमा की स्थिति गंभीर रूप ले सकती है.

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जब तनाव संबंधी चकत्ते 6 सप्ताह से कम समय में ठीक हो जाते हैं, तो इसे एक्यूट माना जाता है. वहीं, अगर यह समस्या 6 हफ्ते से लंबे समय तक रहे, तो इसे क्रोनिक माना जाता है. आमतौर पर चकत्ते कुछ दिन में अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए किसी तरह के ट्रीटमेंट की भी जरूरत नहीं होती. वहीं, अगर चकत्तों को ठीक होने में इससे अधिक समय लगे, तो डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए. पित्ती कभी-कभी पूरे शरीर पर हो सकती है या इसके साथ-साथ नीचे बताई गई स्थितियां भी पैदा हो सकती हैं -

अगर ऐसा कुछ होता है, तो यह गंभीर स्थिति या एलर्जी का संकेत हो सकता है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

(और पढ़ें - स्किन एलर्जी)

तनाव के कारण होने वाले त्वचा पर होने वाले रैशेज का इलाज आमतौर पर घर में ही किया जा सकता है. इसके लिए ओवर-द-काउंटर एंटीहिस्टामाइन का उपयोग करके इस स्थिति से काफी हद तक निपटा जा सकता है. साथ ही खुजली से राहत पाने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, त्वचा को ठंडा रखकर भी खुजली से राहत मिल सकती है. इसके लिए ठंडे पानी से नहाया जा सकता है या कोल्ड कंप्रेस का उपयोग किया जा सकता है. वहीं, गंभीर मामलों में डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए निम्नलिखित दवाएं दे सकते हैं -

  • एंटीहिस्टामाइन की स्ट्रान्ग दवा
  • स्टेरॉयड
  • एंटीबायोटिक दवा

(और पढ़ें - त्वचा का फटना)

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तनाव से त्वचा पर होने वाले चकत्तों को रोकने का सबसे अच्छा तरीका तनाव को कम करना. तनाव के प्रभाव को कम करने के लिए जीवनशैली पर ध्यान देना आवश्यक है. इसलिए, तनाव को कम करने के लिए निम्न तरीके फायदेमंद साबित हो सकते हैं -

  • नियमित व्यायाम करें.
  • स्वस्थ व संतुलित आहार का सेवन करें.
  • तनाव को थेरेपी या रिलैक्सेशन तकनीकों के माध्यम से भी मैनेज किया जा सकता है, जो मददगार माने जाते हैं. ऐसी ही एक तकनीक है मेडिटेशन.

(और पढ़ें - डायबिटीज रैश का इलाज)

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यदि तनाव के कारण त्वचा पर रैशेज होते हैं, तो इसके कारण होने वाली असुविधा को कम करना और स्थिति को बिगड़ने से रोकना महत्वपूर्ण है. अगर त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, तो इस बारे में डॉक्टर या विशेषज्ञ से बात करें और ध्यान दें कि कहीं यह किसी प्रकार के स्ट्रेस के कारण तो नहीं हो रहा है. वक्त रहते स्थिति का पता लगाकर इलाज करने से परेशानी को बढ़ने से रोका जा सकता है.

(और पढ़ें - गर्मी के दाने का इलाज)

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