चेचक एक संक्रामक और घातक रोग है। चेचक ने हजारों वर्षों से व्यक्तियों को प्रभावित किया हुआ था। लेकिन वैश्विक टीकाकरण अभियान की मदद से 1980 तक प्राकृतिक रूप से होने वाले चेचक रोग को दूनिया भर से दूर कर दिया गया।
चेचक को खत्म करने से पहले इसके वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक संक्रमित हो जाते थे। यह रोग मुख्य रूप से वैरिओला वायरस (variola virus) के कारण होता था। चेचक होने पर व्यक्ति को बुखार और रैशेज आदि के लक्षण दिखाई देते थे, जिसको कम करने के लिए चेचक के टीके का उपयोग किया गया। रिसर्च कार्यों के उद्देश्य से चेचक रोग के वायरस को सुरक्षित रखा गया है। लेकिन वायरस को सुरक्षित रखने से इस बात की चिंता भी बढ़ी कि कहीं इनका प्रयोग भविष्य में जैविक हथियार बनाने के लिए न किया जाये।
(और पढ़ें - शिशु का टीकाकरण चार्ट)
इस लेख में आपको चेचक के टीके के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही आपको चेचक के टीके की खुराक, चेचक वैक्सीन को कब लगाएं, चेचक वैक्सीन के साइड इफेक्ट, चेचक टीका किसे नहीं लगाना चाहिए और चेचक टीके की खोज आदि के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
(और पढ़ें - शिशु और बच्चों की देखभाल)
- चेचक का टीका क्या है? - Chechak ke tika kya hai
- चेचक के टीके की खुराक - Chechak ke tike ki khurak
- चेचक के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट - Smallpox vaccine side effects
- चेचक का टीका किसे नहीं लेना चाहिए? - Chechak ka tika kise nahi lena chahiye
- चेचक के टीके की खोज किसने की? - Chechak ke tike ki khoj
- सारांश
चेचक का टीका क्या है? - Chechak ke tika kya hai
- तेज बुखार आना (और पढ़ें - बुखार कम करने के घरेलू उपाय)
- सामान्य से ज्यादा ठंड लगना, (और पढ़ें - निमोनिया के घरेलू उपाय)
- सिरदर्द, (और पढ़ें - सिर दर्द से छुटकारा पाने के उपाय)
- पीठ में तेज दर्द होना, (और पढ़ें - पीठ दर्द के घरेलू उपाय)
- पेट के में दर्द, (और पढ़ें - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
- उल्टी होना। (और पढ़ें - उल्टी को रोकने के घरेलू उपाय)
चेचक के टीके की खुराक - Chechak ke tike ki khurak
जब तक चेचक पूरी तरह से खत्म नहीं हो गया, तब तक लोगों को नियमित रूप से चेचक का टीका दिया जाता था। 12 महिनों से कम आयु के शिशु को चेचक का टीका नहीं दिया जाता है। इसके साथ ही एक साल से 18 साल तक के बच्चों व किशोरों को चेचक की गंभीर स्थिति में ही टीका देने का सुझाव दिया जाता हैं। फिलहाल, चेचक के टीके में ड्राईवैक्स (Dryvax) को मुख्य रूप से शामिल किया जाता है।
(और पढ़ें - बुखार में क्या खाएं)
चेचक का टीका व्यक्ति को तीन से पांच सालों तक सुरक्षा प्रदान करता है। इसके बाद टीके से मिलने वाली सुरक्षा कम हो जाती है। ऐसे में लंबे समय तक चेचक से बचाव के लिए आपको बूस्टर डोज की आवश्यकता होती है।
(और पढ़ें - पोलियो का टीका क्यों लगवाना चाहिए)
चेचक के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट - Smallpox vaccine side effects
सामान्यतः चेचक के टीके लगवाना सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। इस वैक्सीन से अधिकतर लोगों को बेहद हल्के साइड इफेक्ट महसूस होते थे, जो इस बात का संकेत करते थे कि वैक्सीन ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। चेचक का टीका लेने वाले कुछ लोगों को डॉक्टरी सलाह लेने की आवश्यकता होती है।
(और पढ़ें - डीपीटी वैक्सीन कब लगाई जाती है)
चेचक के टीके से निम्न तरह के दुष्प्रभावों में व्यक्ति को जल्द ही डॉक्टरी इलाज की जरूरत होती थी।
चेचक के टीके से होने वाले सामान्य दुष्प्रभाव:
- ज्यादा ठंड लगना, (और पढ़ें - वायरल बुखार का इलाज)
- कंपकंपी आना,
- गले की लसिका ग्रंथि, बगल (armpit: कांख) और पेट व जांघ के बीच के हिस्से (groin) में सूजन और दर्द होना। (और पढ़ें - बगल का कालापन दूर करने के घरेलू उपाय)
टीके से होने वाले दुर्लभ मामले:
- बेचैनी, चिंता, पीठ दर्द, अंधापन, त्वचा में फफोला होना या छीलना, त्वचा में पीलापन, धुंधला दिखाई देना, सीने में दर्द होना, दौरे, खांसी, दस्त, सांस लेने में दिक्कत होना, चक्कर आना, सुस्ती, दिल की धड़कने तेज होना, बुखार और ठंड लगना, मतिभ्रम, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, खुजली, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ो में दर्द, बेहोशी आना, मूड में बदलाव, आंखों में लालिमा आना, सांस लेने में मुश्किल, गले में दर्द, मुंह या होठों पर घाव या छाले होना, सीने में जकड़न, गर्दन में अकड़न, थकान और कमजोरी, उल्टी और सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना, आदि।
(और पढ़ें - टीकाकरण क्यों करवाना चाहिए)
चेचक का टीका किसे नहीं लेना चाहिए? - Chechak ka tika kise nahi lena chahiye
कई बार चेचक का टीका कुछ विशेष परिस्थितियो में लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को बच्चों या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते हैं। आगे जानते हैं कि किन परिस्थितियों में चेचक की वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए या डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए।
- यदि कोई महिला जल्द ही गर्भधारण करने वाली हों। (और पढ़ें - गर्भधारण का सही समय)
- एक्जिमा, एटॉपिक डर्मेटाइटिस या रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकार होने पर,
- कैंसर का इलाज चलने के दौरान, (और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)
- एचआईवी होना, (और पढ़ें - जापानी इन्सेफेलाइटिस टीकाकरण)
- जिन व्यक्तियों ने अंग प्रत्यारोपण किया हो,
- कोरोनरी हार्ज डिजीज (हृदय धमनियों की समस्या)। (और पढ़ें - हृदय रोग से बचने के उपाय)
(और पढ़ें - हेपेटाइटिस बी टीका कब लगाएं)
चेचक के टीके की खोज किसने की? - Chechak ke tike ki khoj
चेचक की टीके की खोज और निर्माण एडवर्ड जेनर ने किया था। एडवर्ड जेनर ने वैक्सीन बनाने से पहले दूध दोहने वाले उन लोगों पर जांच की जिनको काऊपॉक्स (cowpox: गोमसूरिका) के बाद चेचक नहीं हुआ था। इस जांच में एडवर्ड जेनर ने पाया कि काऊ पॉक्स के कुछ वायरस चेचक से बचाव में प्रभावी रूप से काम करते हैं। इसके बाद ही एडवर्ड जेनर ने वैक्सीन को बनाया।
(और पढ़ें - चिकन पॉक्स का इलाज)
चेचक का पहला टीका 1796 में बनाया गया था। हालांकि, यह बीमारी 200 वर्षों तक लोगों को व्यापक रूप से प्रभावित करती रही। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO: डब्ल्यूएचओ) ने इस वायरस की संक्रमण दर को धीमा करने के लिए सख्त टीकाकरण का नियमित कार्यक्रम लागू किया। जिसके बाद, वर्ष 1977 के बाद से चेचक का कोई भी मामला प्रकाश में नहीं आया है।
(और पढ़ें - चिकन पॉक्स का घरेलू उपचार)
वर्ष 1980 में डब्ल्यूएचओ ने चेचक को पूरी तरह खत्म कर देने की घोषणा की, हालांकि सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों के पास अनुसंधान प्रयोजनों के लिए अभी भी चेचक के वायरस के नमूने मौजूद हैं।
(और पढ़ें - बीसीजी का टीका क्यों लगाया जाता है)
सारांश
चेचक का टीका (Varicella Vaccine) एक प्रभावी और सुरक्षित तरीका है जो बच्चों और वयस्कों को चेचक (Chickenpox) जैसी संक्रामक बीमारी से बचाने में मदद करता है। यह टीका शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) विकसित करता है, जिससे चेचक का संक्रमण होने का खतरा बहुत कम हो जाता है, और यदि संक्रमण हो भी जाए, तो उसके लक्षण हल्के होते हैं। आमतौर पर, बच्चों को यह टीका 12-15 महीने की उम्र में पहली खुराक और 4-6 साल की उम्र में दूसरी खुराक दी जाती है। यह टीका न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि सामूहिक प्रतिरक्षा (हर्ड इम्युनिटी) को भी बढ़ाता है, जिससे संक्रमण का प्रसार कम होता है। हल्के बुखार या इंजेक्शन वाली जगह पर हल्की सूजन जैसे मामूली दुष्प्रभाव हो सकते हैं, लेकिन इसके लाभ अधिक हैं। डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय पर टीकाकरण कराना आवश्यक है ताकि बच्चे सुरक्षित और स्वस्थ रह सकें।