शरीर का एक सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है रीढ़ की हड्डी, जिसे अंग्रेजी में “स्पाइनल कॉर्ड” (Spinal cord) कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी शरीर की हर मांसपेशी और कई अंगों से जुडी होती है और उन्हें हिलने-डुलने व उनका काम करने का निर्देश देती है।

रीढ़ की हड्डी में चोट का मतलब होता है किसी दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी में मौजूद कोशिकाओं, कशेरुकाओं या नसों को नुक्सान होना, जिससे शरीर के अंगों और मांसपेशियों में संकेत नहीं जा पाते। इससे होने वाला नुक्सान चोट की गंभीरता, चोट की जगह और नसों के नुक्सान पर निर्भर करता है। रीढ़ की हड्डी की चोट से व्यक्ति को कुछ समय के लिए या हमेशा के लिए नुक्सान हो सकता है, जिसके कारण व्यक्ति को आजीवन पैरालिसिस की समस्या हो सकती है। ज्यादातर ऐसा होता है की रीढ़ की हड्डी की जितनी ऊपर चोट लगती है, समाया उतनी ही ज्यादा होती है।

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रीढ़ की हड्डी की चोट के सबसे आम प्रकार होते हैं रीढ़ की हड्डी के किसी भाग का कुचल जाना या उसपर बहुत ज्यादा दबाव पड़ जाना। ये स्थिति हमेशा ही आपातकालीन होती है और इससे बहुत ज्यादा दर्द, पैरालिसिस और यहां तक कि मौत भी हो सकती है।

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इस लेख में रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर क्या होता है, ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए और डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए के बारे में बताया गया है।

  1. रीढ़ की हड्डी की चोट का पता कैसे चलता है? - Reedh ki haddi me chot lagne par kya hota hai
  2. रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर क्या करना चाहिए? - Reedh ki haddi me chot lagne par kya kare
  3. रीढ़ की हड्डी की चोट के लिए डॉक्टर के पास कब जाएं? - Reedh ki haddi me chot lagne par doctor ke pas kab jana chahiye
  4. सारांश

रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर होने वाली समस्याएं चोट लगने की जगह और उसकी गंभीरता पर निर्भर करती हैं। अगर चोट कम गंभीर है, तो व्यक्ति चोट लगने की जगह के नीचे के सारे शारीरिक कार्य कर पाता है, लेकिन गंभीर चोट लगने पर व्यक्ति ये कार्य नहीं कर पाता। रीढ़ की हड्डी के ऊपरी तरफ चोट लगने पर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होती है और उसे सांस लेने की मशीन या "वेंटीलेटर" (Ventilator: आर्टीफिशल सांस देने की मशीन) की आवश्यकता होती है।

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रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं -

  1. सिर की चोट के साथ व्यक्ति का सचेत न रहना या बेहोशी के लक्षण होना।
  2. कमजोरी होना। (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
  3. चलने में दिक्कत।
  4. गर्दन या पीठ में दर्द या अकड़न होना। (और पढ़ें - गर्दन में दर्द के कारण)
  5. मांसपेशियों का काम न करना। (और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी के लक्षण)
  6. मल या मूत्र पर नियंत्रण न रहना। (और पढ़ें - बार बार पेशाब आने के कारण)
  7. चोट लगने की जगह से नीचे के शरीर में कुछ महसूस न होना।
  8. हाथ या पैर न हिला पाना।
  9. गर्दन या पीठ न हिला पाना या उनमें दबाव महसूस होना। (और पढ़ें - पीठ दर्द के घरेलू उपाय)
  10. सामान्य यौन सम्बन्धी कार्य न कर पाना। (और पढ़ें - यौन स्वास्थ्य)
  11. हाथों या पैरों में दर्द फैलना। (और पढ़ें - हाथ में दर्द के कारण)
  12. शरीर के अंग सुन्न होना।
  13. सिरदर्द होना। (और पढ़ें - सिर दर्द से छुटकारा पाने के उपाय)
  14. पैरालिसिस होना। (और पढ़ें - चेहरे के लकवे के लक्षण)
  15. सदमे के लक्षण होना।
  16. व्यक्ति के सिर, गर्दन या पीठ अजीब तरह से मुड़ना। (और पढ़ें - गर्दन मेडन अकड़न के घरेलू उपाय)

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रीढ़ की हड्डी में चोट लगना हमेशा ही आपातकालीन स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा लेना अनिवार्य है। अगर आपके आस-पास किसी को रीढ़ की हड्डी में चोट लगी है, तो तुरंत एम्बुलेंस को फोन करें। मदद आने तक आप निम्नलिखित तरीके से उसे प्राथमिक चिकित्सा दे सकते हैं -

  • जब तक जरूरत न हो, व्यक्ति को बिलकुल न हिलाएं।
  • व्यक्ति की गर्दन की दोनों तरफ तौलिये रख दें और उसके सिर को सहारा दें ताकि वह हिले नहीं।
  • अगर व्यक्ति ने हेलमेट पहना हुआ है, तो उसे उतारे नहीं।
  • अगर व्यक्ति को चोट लगी है, तो चोट का इलाज करने की कोशिश करें। (और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)
  • अगर व्यक्ति पानी में है, तो उसे जमीन पर न लाएं बल्कि उसका मुंह ऊपर की तरफ करके उसे लिटा दें और उसके शरीर को सहारा दें। पानी उसकी रीढ़ की हड्डी को स्थिर और गतिहीन कर देगा। (और पढ़ें - पानी में डूबने पर कैसे बचें)
  • अगर व्यक्ति उल्टी कर रहा है या खतरे में है या सांस नहीं ले रहा है और उसे हिलाना अनिवार्य है, तो अकेले उसे हिलाने का प्रयास न करें। कम से कम दो लोग उसके शरीर के दोनों तरफ से उसे सहारा दें और एक व्यक्ति उसका सिर और गर्दन पकड़ कर रखें ताकि उसका सिर, गर्दन और पीठ एक सिधाई में रहे और उसकी समस्या न बढे। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)
  • व्यक्ति को गर्म रखने की कोशिश करें।
  • व्यक्ति की नब्ज देखें और अगर वह सांस नहीं ले रहा है, तो उसे सीपीआर दें। (और पढ़ें - नब्ज देखने का तरीका)
  • व्यक्ति का श्वसन मार्ग खोलने के लिए उसके सर को न हिलाएं बल्कि अपनी उँगलियों से उसकी ठोड़ी को आराम से थोड़ा ऊँचा कर दें। (और पढ़ें - सांस फूलने के उपाय)
  • अगर व्यक्ति होश में है, तो मदद आने तक उसकी प्रतिक्रिया करने की क्षमता का ध्यान रखें।

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रीढ़ की हड्डी में चोट लगना आपातकालीन स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत अस्पताल जाना जरूरी होता है। आप जितना जल्दी अस्पताल जाएंगे, आपकी ठीक होने की सम्भावना उतनी ही अधिक होगी। अगर आपको चोट लगने के बाद सही भी महसूस हो रहा है, तब भी आपको डॉक्टर के पास जाना चाहिए। अगर चोट लगने के बाद आप अभी तक डॉक्टर के पास नहीं गए हैं, तो निम्नलिखित लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सा लें -

इसके अलावा ऊपर बताए गए लक्षण अनुभव होने पर तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं।

नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल​ से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।

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रीढ़ की हड्डी की चोट (स्पाइनल कॉर्ड इंजरी) गंभीर होती है और शरीर की कार्यक्षमता पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। इस चोट के कारण स्पाइनल कॉर्ड में क्षति होती है, जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों में संवेदनशीलता और गतिशीलता की हानि हो सकती है। चोट की गंभीरता और स्थान के आधार पर यह हानि अलग-अलग हो सकती है, जैसे पैरालिसिस, कमजोर मांसपेशियां, और सांस लेने में कठिनाई। रीढ़ की हड्डी की चोटें अक्सर दुर्घटनाओं, गिरने, खेलकूद की चोटों, या अन्य आघातों के कारण होती हैं। इसका इलाज समय पर और सही तरीके से करना बहुत जरूरी है, जिसमें सर्जरी, दवाएं, और फिजियोथेरेपी शामिल हो सकती हैं। 

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