इन दिनों गैस की समस्या आम हो चुकी है. शरीर में अतिरिक्त गैस होने से लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गैस से पीड़ित व्यक्ति को पेट में जलन और तेज दर्द के साथ-साथ कई तरह की अन्य समस्याएं जैसे- कब्ज, कोलन कैंसर, पेट फूलना व थकान महसूस होना जैसी परेशानी महसूस होती है.
आज इस लेख में गैस की वजह से होने वाले रोग के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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गैस से होने वाली परेशानियाँ
गैस से होने वाले रोग सीलिएक, पेट का कैंसर, कब्ज, डायबिटीज, डंपिंग सिंड्रोम व भोजन विकार इत्यादि हैं. आइए विस्तार से जानते हैं इन रोगों के बारे में -
कब्ज
गैस से होने वाले रोगों में से यह सबसे आम रोग है. अगर आपको लगातार कुछ दिनों तक गैस की परेशानी बनी हुई है, तो कब्ज की समस्या हो सकती है. कब्ज ऐसी समस्या है, जिसमें आपको मल त्यागने में परेशानी या फिर अधिक समय लग सकता है. अगर इस समस्या का समय पर इलाज नहीं कराया गया, तो व्यक्ति को बवासीर की भी समस्या हो सकती है. कब्ज की परेशानी होने पर पेट में दर्द, ऐंठन व उल्टी जैसी परेशानी का भी अनुभव हो सकता है.
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सीलिएक रोग
लंबे समय तक गैस की समस्या से ग्रसित लोगों को सीलिएक डिजीज हो सकता है. सीलिएक डिजीज ऐसी समस्या है, जिसमें मरीज को ग्लूटेन से एलर्जी होने लगती है. इस समस्या को सीलिएक स्प्रू या ग्लूटेन-सेंसिटिव एंटरोपैथी कहा जाता है. इस समस्या से ग्रसित व्यक्ति को दस्त, थकान, वजन घटना, सूजन और एनीमिया की परेशानी हो सकती है. ऐसे में गैस की समस्या को कभी भी नजरअंदाज न करें. शुरुआती अवस्था में गैस का इलाज कराएं.
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कोलन कैंसर
गैस की परेशानी लंबे समय तक रहने से कोलन कैंसर का कारण बन सकती है. कोलन कैंसर एक प्रकार का कैंसर है, जो बड़ी आंत (कोलन) में शुरू होता है. वैसे तो कोलन कैंसर आमतौर पर वृद्ध और वयस्कों को प्रभावित करता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है. यह आमतौर पर कोशिकाओं के छोटे, गैर-कैंसर युक्त गुच्छों के रूप में शुरू होता है, जिन्हें पॉलीप्स कहा जाता है, जो बड़ी आंत के अंदर के हिस्से में बनते हैं. समय के साथ इनमें से कुछ पॉलीप्स कोलन कैंसर का कारण बन सकते हैं. अगर इन पॉलीप्स का समय पर इलाज कराया जाए, तो कोलन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.
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इटिंग डिसऑर्डर
इटिंग डिसऑर्डर लगातार खाने के व्यवहार से संबंधित गंभीर स्थितियां हैं, जो आपके स्वास्थ्य, आपकी भावनाओं और जीवन के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य करने की आपकी क्षमता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं. इसकी वजह से व्यक्ति का वजन बढ़ना, पाचन तंत्र, हड्डियों और दांतों और मुंह को नुकसान पहुंच सकता है. साथ ही अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं.
इटिंग डिसऑर्डर अक्सर किशोर और वयस्क उम्र में विकसित होता है. हालांकि, यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है. इसलिए, अगर आपको गैस की परेशानी है, तो समय पर अपना इलाज कराएं. साथ ही घरेलू नुस्खों के जरिए गैस की परेशानी को दूर करने की कोशिश करें.
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गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज
गैस से पीड़ित होने पर गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज भी हो सकता है. पेट में बार-बार गैस बनने से यह परेशानी हो सकती है. इस समस्या से ग्रसित मरीज के सीने में संवेदनशीलता, सीने में दर्द, गले में चुभन जैसी परेशानी महसूस होती है. आमतौर पर यह समस्या घरेलू नुस्खों से ठीक हो सकती है, लेकिन गंभीर परिस्थिति में डॉक्टर से इलाज कराना जरूरी हो जाता है.
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इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज
लंबे समय तक गैस की समस्या होने पर व्यक्ति को इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज की समस्या हो सकती है. इस समस्या को दो हिस्सों अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन रोग में बांटा गया है. अल्सरेटिव कोलाइटिस आंतों से जुड़ी बीमारी है, जिसमें बड़ी आंत में सूजन और जलन की शिकायत होने लगती है. इसकी वजह से बड़ी आंत के मलाशय और रेक्टम में छाले होने लगते हैं. वहीं, क्रोहन रोग पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या है, जिसमें मरीज के पाचन तंत्र की परत में सूजन हो जाती है. यह सूजन पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकती है.
इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज से ग्रसित व्यक्ति को डायरिया, चक्कर आना, पेट में दर्द और ऐंठन, मल से खून आना व वजन घटना जैसी समस्या हो सकती है. शरीर में इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत होती है.
गैस के कारण निम्न प्रकार के रोग भी हो सकते हैं-
- डंपिंग सिंड्रोम
- संवेदनशील आंत की बीमारी
- लैक्टोज इंटॉलरेंस
- अंडाशय कैंसर
- अग्नाशयी अपर्याप्तता
- पेप्टिक अल्सर
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गैस क्यूँ बनती है?
गैस से होने वाले रोगों से बचने के लिए गैस होने के कारणों को खत्म करने की जरूरत होती है. आमतौर पर खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान की वजह से व्यक्ति को गैस की परेशानी हो सकती है, जैसे -
- बीन्स और दालों का अधिक सेवन.
- ब्रोकली, फूलगोभी और ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी सब्जियां का अत्यधिक मात्रा में सेवन करना.
- चोकर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन काफी ज्यादा करना.
- लैक्टोज युक्त डेयरी उत्पाद का प्रयोग अधिक मात्रा में करना.
- फ्रुक्टोज जो कुछ फलों में, शीतल पेय और अन्य उत्पादों में स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जाता है का अधिक इस्तेमाल करना.
- सोर्बिटोल का अधिक सेवन करने से व्यक्ति को गैस की परेशानी हो सकती है. यह कैंडीज में पाया जाता है.
- कार्बोनेटेड पेय, जैसे सोडा या बियर पीने वालों को भी गैस की परेशानी अधिक होती है.
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डॉक्टर को कब दिखाएं?
गैस की परेशानी अगर व्यक्ति की दिनचर्या को प्रभावित कर रही है, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेने की आवश्यकता होती है. अगर गैस और पेट में दर्द के अलावा अन्य गंभीर लक्षण दिख रहे हैं, तो इस स्थिति में डॉक्टर के पास तुरंत जाने की आवश्यकता होती है. इन गंभीर लक्षणों में कुछ प्रमुख लक्षण शामिल हो सकते हैं, जैसे -
- मल में खून आना
- मल की स्थिरता में परिवर्तन
- मल त्याग की आवृत्ति में परिवर्तन
- वजन घटना
- दस्त होना
- बार-बार मतली या उल्टी
- लंबे समय तक पेट दर्द
- छाती में दर्द
यदि आप इस तरह के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.
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सारांश
गैस से होने वाले रोग कोलन कैंसर, कब्ज, पेप्टिक अल्सर व ओवेरियन कैंसर इत्यादि हो सकते हैं. इन रोगों से बचने के लिए आप एक बेहतर जीवनशैली और सही खानपान की आवश्यकता होती है. वहीं, अगर आपको लंबे समय से गैस की समस्या है, तो इसे नजरअंदाज न करें. समय पर अपना इलाज कराएं. गंभीर बीमारी होने पर डॉक्टर या डायटीशियन की सलाह पर अपने खानपान में बदलाव करें.
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