पेट, पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। ये खाने को पोषक तत्वों में परिवर्तित करता है जिससे शरीर के विकास और स्वस्थ होने ले लिए एनर्जी मिलती है। पेट में गैस बनना जठरांत्र विकारों में सबसे सामान्य समस्याओं में से एक है।
इसकी वजह से पेट फूलने लगता है और पेट का आकार भी बढ़ जाता है। पेट में जीवाणुओं के जमने (खमीरीकरण) या अतिरिक्त हवा निगलने के कारण ऐसा होता है।
आंतों में सूजन या रुकावट, बैक्टीरिया के अधिक विकास, गुर्दे की पथरी के कारण पेट में गैस की समस्या हो सकती है। हालांकि, अधिकतर मामलों में पेट में गैस होने के कारण का पता नहीं चल पाता है। पेट में गैस के सामान्य लक्षणों में गुदा से वायु छोड़ना (फर्टिंग), डकार, पेट में सूजन और दर्द शामिल है।
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आयुर्वेद में पेट की गैस के इलाज के लिए विभिन्न वायुनाशी और पाचक जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन जड़ी बूटियों में हिंगु (हींग), अदरक, रसोनम (लहसुन), जीरक (जीरा), जातिफल (जायफल) शामिल है।
हर्बल मिश्रण जैसे कि देवदार व्यादि वटी, हिंग्वाष्टक चूर्ण और त्रिफला का इस्तेमाल पाचन में सुधार और पेट फूलने की समस्या से राहत पाने के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में पेट की गैस के इलाज के लिए कुछ विशेष उपचारों जैसे कि सेक (सिकाई) और लेप (शरीर के प्रभावित हिस्से पर औषधि लगाना) के साथ पाचक पदार्थों एवं औषधि का सेवन करने की सलाह दी जाती है।