स्ट्रोक या ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी चिकित्स्कीय समस्या होती है, जिसमें दिमाग में रक्त प्रवाह पर्याप्त न होने के कारण मस्तिष्क की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं। इससे दिमाग के कार्य में बदलाव आते हैं और व्यक्ति के अंग ठीक से काम नहीं कर पाते। ब्रेन स्ट्रोक हार्ट अटैक जैसा ही होता है, लेकिन ये दिमाग में होनी वाली समस्या है। स्ट्रोक के कारण शरीर की एक तरफ के भाग में महसूस करने की क्षमता चली जाती है, जिससे व्यक्ति इस तरफ के अंग न हिला पाता है और न ही कोई काम कर पाता है।
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दिमागी दौरा पड़ने का कारण आमतौर पर दिमाग की नसों में रुकावट या दिमाग में रक्तस्त्राव होता है। दोनों ही तरह की समस्या होने पर व्यक्ति को शरीर के एक तरफ के अंगों को हिलाने व उनसे काम करने में दिक्कत होती है। ये हमेशा ही एक आपातकालीन स्थिति होती है और इसके लिए जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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इस लेख में स्ट्रोक होने पर क्या होता है, दिमागी दौरा पड़ने पर क्या करना चाहिए व क्या नहीं करना चाहिए और डॉक्टर के पास कब जाएं के बारे में बताया गया है।
- दिमागी दौरा पड़ने पर क्या होता है? - Brain stroke ka pata kaise chalta hai
- ब्रेन स्ट्रोक होने पर क्या करना चाहिए? - Stroke hone par kya karna chhaiye
- स्ट्रोक होने पर क्या नहीं करना चाहिए? - Brain stroke hone par kya na kare
- दिमागी दौरा पड़ने पर डॉक्टर के पास कब जाएं? - Dimag ka daura padne par kya karna chahiye
- सारांश
दिमागी दौरा पड़ने पर क्या होता है? - Brain stroke ka pata kaise chalta hai
दिमागी दौरा पड़ने पर शरीर के एक तरफ में पैरालिसिस हो जाता है, जिसके कारण व्यक्ति न अपने अंग हिला पाता है न ही उनसे कोई भी काम कर पाता है। इसके कारण निम्नलिखित समस्याएं होती हैं -
- अचानक से धुंधला दिखने लगना या दिखना बंद हो जाना (खासकर एक आंख से)। (और पढ़ें - अंधेपन के लक्षण)
- बोलने और समझने में दिक्कत होना। (और पढ़ें - बोलने में दिक्कत के कारण)
- निगलने में कठिनाई होना।
- सिरदर्द होना। (और पढ़ें - सिर दर्द से छुटकारा पाने के उपाय)
- मतली या उल्टी होना। (और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)
- चहरे, हाथ या पैरों का सुन्न होना या उन्हें हिला न पाना। (और पढ़ें - हाथ कांपने के कारण)
- मूत्र या मल पर नियंत्रण न रहना। (और पढ़ें - पेशाब न रोक पाने के कारण)
- चलने में और अंगों का ताल-मेल बिठाने में दिक्कत आना।
- बेहोश होना। (और पढ़ें - बेहोश होने पर प्राथमिक उपचार)
- शरीर की एक तरफ कमजोरी होना। (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
- चक्कर आना। (और पढ़ें - चक्कर आने पर क्या करें)
- हाथ या पाँव में दर्द होना और हिलाने से दर्द बढ़ना। (और पढ़ें - हाथ में दर्द के कारण)
- डिप्रेशन होना। (और पढ़ें - डिप्रेशन के घरेलू उपाय)
- भवनाएं व्यक्त करने या नियंत्रित करने में दिक्कत होना।
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ब्रेन स्ट्रोक होने पर क्या करना चाहिए? - Stroke hone par kya karna chhaiye
दिमागी दौरा पड़ना एक आपातकालीन स्थिति होती है, जिसके लिए तुरंत चिकित्सा लेना आवश्यक होता है। अगर आपके अास-पास किसी को ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण अनुभव हो रहे हैं, तो सबसे पहले एम्बुलेंस को फोन करें और फिर निम्नलिखित तरीके से मदद आने तक व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा दें -
- शांत रहें और व्यक्ति को भी शांत रखने का प्रयास करें। (और पढ़ें - दिमाग शांत करने के उपाय)
- व्यक्ति को सहारा दें, क्योंकि वह गिर सकता है।
- व्यक्ति को सुरक्षित और आरामदायक तरीके से लिटा दें।
- हो सके तो व्यक्ति को उसकी एक तरफ करके लिटाएं और उसके सिर को थोड़ा ऊपर उठा दें।
- किसी भी हाल में व्यक्ति को अकेला न छोड़ें।
- अगर व्यक्ति ने टाइट कपडे पहने हैं, तो उन्हें ढीला कर दें।
- व्यक्ति की नब्ज चेक करें। (और पढ़ें - नब्ज कैसे देखें)
- इसके बाद ये देखें कि व्यक्ति सांस ले रहा है या नहीं। (और पढ़ें - सांस लेने में दिक्कत हो तो क्या करे)
- अगर व्यक्ति सांस नहीं ले रहा है या उसकी नब्ज नहीं चल रही है, तो उसे सीपीआर दें।
- अगर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो उसके गले से कोई भी टाइट चीज हटा दें, जैसे टाई या चुन्नी आदि। (और पढ़ें - सांस फूलने के उपाय)
- व्यक्ति को चादर ओढ़ा दें, ताकि उसका शरीर गर्म रहे। (और पढ़ें - शरीर का तापमान कितना होना चाहिए)
- अगर व्यक्ति के हाथ या पैर में कमजोरी हो रही है, तो उसके हाथ-पैर हिलाएं नहीं। (और पढ़ें - नसों की कमजोरी के लक्षण)
- इस बात को नोट करें कि व्यक्ति के लक्षण होने के बाद मदद आने तक कितना समय हुआ है और डॉक्टर को बताएं।
- जितना जल्दी हो सके घर का दरवाजा खोल दें, ताकि मदद जल्दी व्यक्ति तक पहुंच सके।
अगर आपको ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण अनुभव हो रहे हैं, तो तुरंत एम्बुलेंस को फोन कर दें और अपने घर का दरवाजा खोल दें ताकि मदद आसानी से आपके पास पहुंच सके।
स्ट्रोक होने पर क्या नहीं करना चाहिए? - Brain stroke hone par kya na kare
अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण अनुभव हो रहे हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें -
- खुद गाड़ी चलाकर अस्पताल जाने का प्रयास न करें, इससे आपको और दूसरों की जान को खतरा होगा।
- अगर आपके आस-पास किसी को दिमागी दौरे के लक्षण अनुभव हो रहे हैं, तो उन्हें अपने आप अस्पताल न ले जाएं क्योंकि इस स्थिति में समय बहुत कीमती होता है और आपके अस्पताल जाने तक व्यक्ति के लक्षण बिगड़ सकते हैं। इससे बेहतर है आप व्यक्ति को ऊपर वाले भाग में बताए गए तरीके के अनुसार फर्स्ट ऐड दें और एम्बुलेंस का इंतजार करें। एम्बुलेंस में मौजूद चिकित्सा-सहायक अस्पताल ले जाते हुए ही व्यक्ति का उपचार शुरू कर देंगे जिससे समय बचेगा। (और पड़ें - मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें)
- व्यक्ति को कुछ भी खाने या पीने के लिए न दें।
- व्यक्ति को किसी भी तरह की कोई भी दवा न दें, खासकर एस्पिरिन।
- स्ट्रोक के लक्षण अनुभव होने पर व्यक्ति को नींद आने लगती है, लेकिन उन्हें सोने बिलकुल न दें। (और पड़ें - ज्यादा नींद आने के कारण)
- अगर व्यक्ति को हाथ-पैर में कमजोरी महसूस हो रही है, तो उसके हाथ-पैर बिलकुल हिलाने का प्रयास न करें।
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दिमागी दौरा पड़ने पर डॉक्टर के पास कब जाएं? - Dimag ka daura padne par kya karna chahiye
दिमागी दौरा पड़ना एक आपातकालीन स्थिति होती है, इसीलिए इसके लक्षण अनुभव होने पर एम्बुलेंस को फोन करें या मदद के लिए किसी को बुलाएं। निम्नलिखत स्थितियों में तुरंत मदद बुला लें -
- हाथ-पैर या चेहरा अचानक सुन्न होना या उनमें कमजोरी या झुनझुनी महसूस होना। (और पढ़ें - चेहरे का लकवा के लक्षण)
- अचानक बहुत तेज सिरदर्द होना। (और पढ़ें - सिरदर्द के लिए एक्यूप्रेशर)
- अचानक दिखना बंद हो जाना या नजर की अन्य समस्याएं होना। (और पढ़ें - आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय)
- सामान्य चीजें न समझ पाना। (और पढ़ें - बेचैनी के कारण)
- अचानक चलने में और संतुलन बनाने में दिक्कत होना।
- बोलने में अचानक दिक्कत होना। (और पढ़ें - हकलाने के कारण)
- उलझन होना।
अगर आपको संदेह है कि किसी व्यक्ति को ब्रेन स्ट्रोक होने वाला है, तो आप ‘फास्ट’ टेस्ट से अपने संदेह की पुष्टि कर सकते हैं और उनकी मदद कर सकते हैं। फास्ट (F.A.S.T.) टेस्ट नीचे गए तरीके से किया जाता है -
- एफ (F) - एफ का मतलब है फेस या चेहरा। व्यक्ति को मुस्कुराने के लिए कहें और देखें कि क्या उसके चेहरे का एक तरफ का भाग लटक रहा है। (और पढ़ें - चेहरे के चकत्तों का घरेलू इलाज)
- ए (A) - ए का मतलब है आर्म या बाजु। व्यक्ति को अपने दोनों हाथ ऊपर उठाने के लिए कहें और देखें कि कहीं उसकी एक बाजु अपने आप नीचे तो नहीं हो जाती। (और पढ़ें - कलाई में दर्द के कारण)
- एस (S) - इस का मतलब है स्पीच या बोलना। व्यक्ति को एक ही वाक्य को बार-बार दोहराने के लिए कहें और देखें कि उसे बोलने में दिक्कत हो रही है या नहीं।
- टी (T) - टी का अर्थ है टाइम या समय। अगर आपको ऊपर दिए गए लक्षण दिखें, तो अब बिना समय बर्बाद किए तुरंत एम्बुलेंस को फोन कर दें।
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