वैरीकोसेल समस्या वैरीकोज वेंस की तरह होती है. अंतर बस इतना है कि यह पैरों में होने की जगह पुरुषों के टेस्टिकल्स यानी अंडकोष में होती है. यह समस्या पुरुषों की फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है. यह स्थिति तब होती है, जब खून को पंप करने में शामिल कुछ वॉल्व में खराबी आने से अंडकोष में सूजन आ जाती हैं.
आंकड़े बताते हैं कि वैरीकोसेल करीब 15% पुरुषों को प्रभावित करता है. अमूमन वैरीकोसेल टेस्टिकल के एक तरफ के भाग को प्रभावित करता है, वह भी बाईं ओर. वैरीकोसेल का इलाज तभी जरूरी होता है, जब उसकी वजह से दर्द और डिस्कंफर्ट, स्पर्म काउन्ट में कमी और इनफर्टिलिटी की समस्या होती है. वैरीकोसेल के इलाज में पतंजलि की दवाइयों के इस्तेमाल से मदद मिलती है.
आज इस लेख में जानेंगे कि पतंजलि की वैरीकोसेल की दवाएं कौन-कौन सी हैं-
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वैरीकोसेल में लाभकारी पतंजलि की दवा
वैरीकोसेल को ठीक करने में पतंजलि की निम्न दवाएं सहायता कर सकती हैं-
दिव्य हरीतकी चूर्ण
यह पाचन संबंधी हर समस्या के लिए क्लिनिकली तौर पर साबित हो चुकी आयुर्वेदिक औषधि है. यह हाइपरएसिडिटी को दबाकर, न्यूट्रिएन्ट्स के अवशोषण में सुधार लाकर और डाइजेस्टिव एंजाइम को बढ़ाकर पाचन में मदद करती है. यह शरीर से टॉक्सिन निकालकर शरीर को डिटॉक्सिफाई करने में अहम भूमिका निभाती है. इन गुणों की वजह से इस औषधि का इस्तेमाल वैरीकोसेल के इलाज के लिए किया जाता है.
दिव्य गोक्षुरादि गुग्गुल
नागरमोठ, सोंठ, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, शुद्ध गुग्गुल और गोखरू इस औषधि के मुख्य इनग्रेडिएंट्स हैं. यदि वैरीकोसेल में दर्द या डिस्कंफर्ट जैसी स्थिति होती है, तो यह औषधि राहत दिलाने में मदद करती है. इसे ड्यूरेटिक और एंटीबैक्टीरियल गुणों के साथ जड़ी-बूटियों के कॉम्बिनेशन से बनाया गया है. यह दवा बैक्टीरिया को शरीर से बाहर निकालकर, समस्या की जड़ को ठीक करने और डिस्कंफर्ट से राहत दिलाने में सहायता करती है.
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दिव्य त्रिफला गुग्गुल
इसमें हरड़, बहेड़ा व आंवला के बाद के साथ ही शुद्ध गुग्गुल का पाउडर है. वैरीकोसेल होने का एक कारण वात की समस्या होना भी है. दिव्य त्रिफला गुग्गुल का इस्तेमाल हर तरह की वात संबंधी बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है. यह अग्नि की गतिविधि में वृद्धि, गर्भाशय को उत्तेजित, खून में व्हाइट ब्लड सेल्स की वृद्धि, ड्यूरेटिक, म्यूसलिज सक्रीशन यानी श्लेष्मा स्रावी और कीटाणुनाशक भी है. यह एक सुरक्षित दवा है और अमूमन इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता है.
पंचामृत लौह गुग्गुल
यह एक एंटी इंफ्लेमेटरी, एनाल्जेसिक, नर्वीन टॉनिक और फ्लेबोटोनिक आयुर्वेदिक दवा है. इसमें शुद्ध गंधक, रजत भस्म, अभ्रक भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म, लौह भस्म, शुद्ध गुग्गुल और सरसों का तेल मुख्य इनग्रेडिएंट के तौर पर हैं. यह शानदार तरीके से नसों और रक्त कोशिकाओं पर काम करते हुए उन्हें मजबूत करता है. इन गुणों की वजह से पंचामृत लौह गुग्गुल के सेवन की सलाह वैरीकोसेल की दवा के तौर पर दी जाती है.
दिव्य चंद्रप्रभा वटी
चंद्रप्रभा वटी यूरिनरी ट्रैक्ट डिसऑर्डर, मांसपेशियों दर्द व जोड़ों में दर्द और सामान्य कमजोरी की स्थिति में मददगार है. वैविदंग, चित्रक छाल, देवदारू, कपूर, नागरमोठ, पिप्पली, काली मिर्च, यवक्षर, दारू हल्दी, वच, पीपलामूल, धनिया, चव्या, गजपीपल, सोंठ, सेंधा नमक, निशोथ, तेज पत्र और छोटी इलायची इसके इनग्रेडिएंट्स हैं. ड्यूरेटिक गुणों की वजह से चंद्रप्रभा वटी खून से टॉक्सिन को बाहर निकालने में प्रभावी तरीके से काम करती है. साथ ही यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन का कारण बनने वाले माइक्रो ऑर्गेनिज्म को भी खत्म करती है.
इसमें मांसपेशियों को राहत पहुंचाने वाले गुण भी होते हैं, जो वैरीकोसेल रोग में होने वाले दर्द से निजात दिलाने में मदद करते हैं. यह मल्टीविटामिन का प्राकृतिक स्रोत भी है, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करता है. पेशाब करने के दौरान पेट के निचले हिस्से में होने वाली जलन, खुजली और दर्द की स्थिति में भी इसके सेवन से तुरंत राहत मिलती है. ऐसे ही कई कारणों की वजह से वैरीकोसेल में दिव्य चंद्रप्रभा वटी के सेवन की सलाह दी जाती है.
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दिव्य पुनर्नवादि मंडूर
मंडूर व पुनर्नवा इस औषधि के मुख्य इनग्रेडिएंट्स हैं. किडनी से संबंधित रोग की स्थिति में यह औषधि हर्बल इलाज के तौर पर मदद करती है, क्योंकि किडनी की समस्या पेशाब से जुड़ी होती है. इसलिए, यह दवा वैरीकोसेल में भी मदद करती है.
दिव्य कांचनार गुग्गुल
कांचनार की छाल, त्रिफला, त्रिकटु, वरुण की छाल, छोटी इलायची, दालचीनी, तेज पत्र और गुग्गुल से तैयार इस औषधि का सेवन वैरीकोसेल की स्थिति में फायदेमंद साबित हो सकता है. प्राकृतिक ड्यूरेटिक गुणों की वजह से यह दवा खून को साफ करके यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और नीचे की जगह पर होने वाले किसी भी डिस्कंफर्ट से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभाती है.
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दिव्य वृद्धिवाधिका वटी
आयुर्वेद के अनुसार यह दवा वात दोष पर शानदार तरीके से काम करती है. यह अतिरिक्त कफ को भी कम करने में मददगार है. वात दोष में वृद्धि वैरीकोसेल के विकास में अहम भूमिका निभाती है. इस तरह से यह दवा इस रोग को कम करने में अपनी भूमिका निभाती है. इसमें शुद्ध पारा के साथ शुद्ध गंधक, कई तरह की भस्म, सोंठ, काली मिर्च, पिप्पल, हरड़, बहेड़ा व आंवला जैसी जड़ी-बूटियों का सम्मिश्रण उपस्थित है.
पतंजलि अश्वशिला कैप्सूल
यह अश्वगंधा और शिलाजीत का कॉम्बिनेशन है, जो इसे सेक्सुअल कमजोरी, थकान, तनाव, यूरिनरी डिसऑर्डर व कमजोर इम्यूनिटी के लिए पावरफुल रेमिडी बनाती है। कई बार वैरीकोसेल होने से स्पर्म काउंट भी कम हो जाता है, जो पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण बनता है. अश्वशिला कैप्सूल पुरुषों की फर्टिलिटी के लिए एक खास टॉनिक है, जो रसायन गुणों के चलते सीमन के उत्पादन और गुणवत्ता में सहायता करती है. यह स्तंभन दोष को ठीक करने में भी मदद करती है.
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दिव्य कैशोर गुग्गुल
यह दवा खून से टॉक्सिन को बाहर निकालकर यूरिक एसिड के उत्पादन और गाउट को नियंत्रित करने के लिए शरीर को संतुलित करने में मदद करती है. शुद्ध गुग्गुल, सोंठ, काली मिर्च, पिप्पल, वैविदंग, हरड़, बहेड़ा, आंवला और गिलोय के गुण इस दवा में हैं. वात रोग में यह एक प्रभावशाली औषधि है और वैरीकोसेल होने का एक अन्य कारण वात दोष भी है. इसका एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण दर्द और डिस्कंफर्ट की स्थिति में राहत दिलाता है.
दिव्य अभयारिष्ट
क्लिनिकली तौर पर साबित हो चुका है कि यह दवा आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन है, जो पाचन तंत्र को बूस्ट करके शरीर से टॉक्सिन का खात्मा करने में अहम भूमिका निभाती है. इसमें हरड़, मुनक्का, महुआ, वैविदंग, गोखरू, निशोथ व धायफूल जैसे इनग्रेडिएंट्स मुख्य तौर पर उपस्थित हैं. इसे नैचुरल एक्स्ट्रैक्ट से तैयार किया जाता है, जिसमें लैक्सेटिव गुण होते हैं और पेट को साफ करने में मदद करता है. इससे कब्ज की समस्या नहीं होती है, जो वैरीकोसेल का एक अन्य लक्षण है.
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सारांश
वैरीकोसेल तब तक व्यक्ति को परेशान नहीं करता है, जब तक कि यह दर्द, डिस्कंफर्ट और पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण नहीं बनता है. ऐसी स्थिति में पतंजलि की वैरीकोसेल की दवा फायदेमंद साबित हो सकती है. इनमें से किसी भी दवा का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए, क्योंकि यह जरूरी नहीं कि पतंजलि की दवा का असर सब पर एक जैसा ही हो.
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