अफ्रीकन देश माली में 3 नवंबर से 8 दिसंबर के बीच पीले बुखार के कई मामले सामने आए हैं। पीले बुखार की वजह से माली में दो लोगों की मौत हो चुकी है। पीले बुखार में मृत्यु दर 67 प्रतिशत तक होती है।
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क्या होता है पीला बुखार
पीला बुखार एक तरह का वायरल इंफेक्शन है जो विशेष तरह के मच्छर से फैलता है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है पर खास तरह के टीके से इस संक्रमण से बचा जा सकता है। माली ने इस बीमारी को कंट्रोल करने के लिए ईवाएई (एलिमिनेट येलो फीवर एपिडेमिक) स्ट्रेटजी शुरू की है। टीकाकरण इस बीमारी को रोकने का एकमात्र तरीका है।
कैसे होता है पीला बुखार
पीला बुखार एक वायरस से होता है। ये वायरस एडीस इजिप्ती नामक मच्छर से फैलता है। ये मच्छर लोगों की रहने वाली जगह के आसपास ही पाए जाते हैं। ये मच्छर साफ पानी में भी पैदा हो सकते हैं।
मानव और बंदर पीले बुखार वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित होते हैं। मच्छर, बंदरों और मनुष्यों में इस वायरस को फैलाते हैं।
जब एक मच्छर पीले बुखार से संक्रमित, मानव या बंदर को काटता है, तो वायरस बंदर के खून में प्रवेश करता है और इधर-उधर घूमकर लार ग्रंथियों में ठहर जाता है। फिर संक्रमित मच्छर किसी दूसरे बंदर या मानव को काटने पर उसके खून में वायरस पहुंचा देता है, जिससे यह बीमारी हो जाती है।
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पीले बुखार के शुरुआती स्तर पर आप इस तरह की परेशानियों का सामना करेंगे
- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द, विशेष रूप से पीठ और घुटनों में
- रोशनी के प्रति संवेदनशील होना
- मितली और उल्टी दोनों का आभास होना
- भूख में कमी
- चक्कर आना
- चेहरे, जीभ और आंखों का लाल होना
दूसरा खतरनाक फेज
पहला फेज (शुरुआती स्तर) एक या दो दिन तक रहता है। पहले फेज के लक्षण गायब होते ही मरीज दूसरे फेज में पहुंच जाता है। अब ये लक्षण भयानक रूप ले लेते हैं।
- आंखें और त्वचा पीली पड़ जाती है
- पेट दर्द और उल्टियां होती हैं, कभी-कभार तो खून की उल्टी भी हो जाती है
- पेशाब कम आता है
- नाक, मुंह और आंखों से खून बहता है
- दिल की धड़कने की रफ्तार कम हो जाती है
- लिवर और गुर्दे फेल हो सकते हैं
- मस्तिष्क से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं जैसे- भ्रम होना, दौरे पड़ना और कोमा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीले बुखार के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है। हर अंतरराष्ट्रीय यात्री को जिनकी उम्र नौ महीने से ज्यादा है और माली आए हैं, उन्हें बीमारी से बचने के लिए टीके लगाए जा रहे हैं।
पीले बुखार में टीकाकरण के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
छह महीने से कम उम्र के बच्चे को ये टीका नहीं लगाया जा सकता। छह से आठ महीने के बच्चे को पीले बुखार का रिस्क बढ़ जाने पर ही टीका लगाया जाता है। पीले बुखार में लगाया गया टीका अंडों के प्रति बहुत सेंसिटिव होता है, यानि अंडों से मिलने वाले प्रोटीन के साथ जल्दी रिएक्ट करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। किसी भी 60 साल से ऊपर के व्यक्ति को ये टीका लगाने से पहले खास सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। यात्रियों और गर्भवती महिलाओं को पीले बुखार से ग्रसित इलाकों में पहुंचने पर ही ये टीका लगाया जाता है।
माली में टीकाकरण मुहिम
माली में साल 2008 में बहुत बड़े स्तर पर टीकाकरण शुरू करवाया गया था, जिसमें 58 लाख लोगों को इस बीमारी से सुरक्षा प्रदान करवाई गई। 2018 में माली की राष्ट्रीय टीकाकरण कवरेज 67 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
विश्व के किन इलाकों में पीले बुखार का सबसे ज्यादा खतरा रहता है
भूमध्य रेखा के पास के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के इलाकों में पाए जाने वाले मच्छरों से पीला बुखार फैलता है।
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