गर्दन में चोट क्या है

गर्दन के किसी भी हिस्से जैसे मांसपेशियों, हड्डियों, जोड़ों, टेंडन या तंत्रिकाओं के प्रभावित होने से गर्दन में चोट लग सकती है। कई बार कंधे, जबड़े, सिर या ऊपरी बांह में होने वाले दर्द से भी मांसपेशियों में खिचाव हो सकता है। आमतौर पर मांसपेशियों में खिचाव तब अधिक होता है, जब कोई व्यक्ति कंप्यूटर के सामने बहुत देर तक बैठ कर काम करता है।

कभी-कभी गलत मुद्रा में सोने से भी गर्दन में खिचाव हो सकता है या व्यायाम के दौरान भी सावधानी न बरतने से मांसपेशियों में खिचाव के जोखिम बढ़ सकते हैं। इस सबसे अलावा कार दुर्घटना, गिरना या अन्य कारणों से भी गर्दन में चोट लग सकती है।

  1. गर्दन में चोट लगने पर कैसे पहचाने? - Gardan me chot ke samanya lakshan
  2. गर्दन में चोट के कारण - Gardan me chot kis vajah se lagti hai
  3. गर्दन की चोट का उपचार - Gardan ki chot lagne par ilaj
  4. सारांश
गर्दन में चोट लगने पर इलाज कैसे करें? के डॉक्टर
  • मांसपेशियों में खिचाव के कारण गर्दन मोड़ने में दिक्कत
  • गर्दन में जकड़न
  • गर्दन की मांसपेशियों का कठोर होना
  • गांठ बनना
  • सिर को एक तरफ से दूसरी तरफ घूमाते या हिलाते समय गर्दन में दर्द

कभी-कभी, गर्दन में दर्द या तकलीफ अचानक से हो सकती है, जबकि कुछ मामलों में कई घंटे या दिनों के बाद गर्दन में दर्द महसूस हो सकता है।

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गर्दन की चोट अक्सर गर्दन की मांसपेशियों में खिंचाव या ऐंठन या गर्दन के जोड़ों में सूजन के कारण होती है। हम यहां ऐसी सामान्य गतिविधियों की बात कर रहे हैं, जिनके कारण गर्दन में अत्यधिक खिचाव आ सकता है:

  • कोई काम करते हुए, टीवी देखते हुए या पढ़ते हुए सिर को आगे की ओर झुखाकर रखने से 
  • ज़्यादा उंचे या ज़्यादा पतले तकिया पर सोने से 
  • पेट के बल सोते वक्त गर्दन के मुड़ने पर
  • सोचने वाली मुद्रा में, सर को हाथ पर टिका कर रखने पर

इस  समस्या का इलाज निम्नलिखित बातों पर निर्भर है:

  • चोट की जगह, प्रकार और गंभीरता
  • मरीज की उम्र
  • मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति 
  • मरीज की गतिविधियां (जैसे काम, खेल में भागीदारी)।

गर्दन की चोट से निजात दिलाने के लिए डॉक्टर जांच कर सकते हैं। वे कुछ गंभीर मामलों में एक्स-रेसीटी स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी) और अन्य परीक्षणों की सलाह दे सकते हैं।

गर्दन में चोट का इलाज इसके किस्म (प्रकार) पर निर्भर है। इसमें बर्फ की सिकाईपेन किलर लेना, फिजियोथेरेपी लेना या सर्वाइकल कॉलर पहनना जैसे उपचार शामिल हैं। ऐसा बहुत कम होता है कि किसी को सर्जरी की आवश्यकता पड़े।

  • बर्फ की सिकाई: गर्दन पर चोट के बाद जितनी जल्दी हो सके दर्द और सूजन को कम करने के लिए बर्फ की सिकाई करनी चाहिए। बर्फ को किसी तौलिया या कपड़े में लपेटकर इसे 2 से 3 दिनों के लिए हर 3 से 4 घंटे में 15 मिनट तक कर सकते हैं।
     
  • दर्द की दवा या अन्य उचित दवाइयां: यदि चिकित्सक दर्द के लिए दवा लेने की सलाह देता है तो दर्द निवारक या अन्य दवाएं जैसे इबुप्रोफेन (एडविल, मोट्रिन) या नेप्रोक्सेन (एलेव) ली जा सकती हैं। यह दवाएं दर्द और सूजन में मददगार होती हैं, लेकिन किसी भी दवा के प्रयोग से पहले डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें। 
     
  • नेक ब्रेस या कॉलर: यदि गर्दन हिलाने में दिक्कत है तो डॉक्टर नेक ब्रेस या कॉलर उपयोग करने की सलाह दे सकते हैं, यह गर्दन को सीधा रखने में मदद करता है। हालांकि, डॉक्टर लंबे समय तक मरीजों को इसका उपयोग करने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि ऐसा होने पर गर्दन की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
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गर्दन में चोट लगने पर सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र में आराम और स्थिरता बनाए रखना ज़रूरी है। हल्की चोट होने पर बर्फ से सिकाई करें, जिससे सूजन कम होगी और दर्द में राहत मिलेगी। चोट की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दर्दनिवारक दवाइयाँ, जैसे कि इबुप्रोफेन, ली जा सकती हैं। गर्दन को अधिक न मोड़ें और भारी काम करने से बचें। कुछ दिनों में आराम न मिलने पर, एक्स-रे या एमआरआई के लिए डॉक्टर से संपर्क करें ताकि गंभीर चोट या हड्डी की समस्या की पहचान हो सके।

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