खाना खाने के बाद जी मिचलाना या उल्टी आने की समस्या किसी के साथ भी हो सकती है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ अपने आप ठीक हो जाते हैं. वहीं, कुछ स्थितियों में यह समस्या बैक्टीरियल इंफेक्शन या फिर किसी बीमारी के कारण होती है. ऐसी अवस्था में डॉक्टर से उचित इलाज करवाने की जरूरत होती है. डॉक्टर मरीज के लक्षणों की पहचान कर कारण का पता लगाते हैं और उसी के अनुसार इलाज करते हैं.

आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि खाने के बाद उल्टी आने के पीछे क्या कारण होते हैं और इस समस्या का इलाज कैसे किया जाता है -

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  1. खाना खाने के बाद उल्टी आने के कारण
  2. खाने के बाद उल्टी आने की समस्या होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं?
  3. खाना खाने के बाद उल्टी आने का इलाज
  4. खाने के बाद उल्टी को रोकने के उपाय
  5. सारांश
खाना खाने के बाद उल्टी आने के कारण व इलाज के डॉक्टर

ऐसे कई कारण हैं, जिनके चलते खाना खाने के बाद जी मिचलाना या उल्टी आने जैसी समस्या हो सकती है. इसमें फूड एलर्जी से लेकर फूड पॉइजनिंग व एसिड रिफ्लक्स आदि शामिल है. आइए, इन कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

फूड एलर्जी

शेलफिश, नट्स व अंडे आदि ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं, जो फूड एलर्जी का कारण बन सकते हैं. अगर जिस भी चीज से एलर्जी है, तो उसे खाते ही इम्यून सिस्टम शरीर में हिस्टामाइन व अन्य केमिकल को रिलीज करता है. ये केमिकल एलर्जी के लक्षण पैदा करते हैं, जैसे - हाइव्स, मुंह में सूजन, दस्त व मतली आदि. आमतौर पर लोग डेयरी प्रोडक्टग्लूटेन व कुछ खास प्रकार के कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों से फूड एलर्जी का शिकार होते हैं.

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फूड पॉइजनिंग

सेंट्रस फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार निम्न स्थितियों में फूड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है -

  • जब भोजन को जरूरी तापमान पर अच्छी तरह से गर्म नहीं किया जाता है.
  • खाना बनाने से पहले हाथों व किचन को अच्छी तरह से साफ नहीं किया जाता है.
  • जब मीटसी-फूड और अंडे जैसे कच्चे उत्पाद खाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थों के संपर्क में आते हैं.

फूड पॉइजनिंग के लक्षण जैसे - मतली, उल्टी और दस्त आमतौर पर दूषित भोजन करने के 30 मिनट से लेकर कुछ घंटों के अंदर नजर आना शुरू हो सकते हैं.

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पेट का वायरस

नोरोवायरस को पेट का फ्लू भी कहा जाता है. यह आंतों को संक्रमित करता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) के लक्षण जैसे - मतली, उल्टी और दस्त का कारण बन सकता है. यह संक्रमित रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. यह वायरस दूषित पानी या भोजन को खाने से शरीर में जाता हैं.

प्रेग्नेंसी

जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो शरीर में हार्मोन के स्तर में बदलाव होने के चलते जी मिचलाना व उल्टी होने की समस्या शुरू हो जाती है. इस समस्या को मॉर्निंग सिकनेस भी कहा जाता है, लेकिन यह समस्या दिन के किसी भी समय हो सकती है. यहां तक कि भोजन करने के बाद भी हो सकती है. कभी-कभी कुछ खाद्य पदार्थों की गंध या स्वाद से भी गर्भवती महिला को मतली की समस्या हो सकती है. यह समस्या अस्थाई होती है और गर्भ में पल रहे शिशु को इससे कोई नुकसान नहीं होता. हां, अगर कोई महिला गर्भावस्था के दौरान अधिक मतली व उल्टी का अनुभव करती हैं, तो उसे डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए.

एसिड रिफ्लक्स

सीने में जलन होने को गैस्ट्रोओसोफेगल रोग (जीईआरडी) का लक्षण माना गया है, लेकिन यह स्थिति मतली व उल्टी का कारण भी बन सकती है. जीईआरडी की समस्या तब होती है, जब एसोफैगस और पेट के बीच मांसपेशियों में खराब आती है. इससे पेट का एसिड एसोफैगस में लीक होने लगता है. जीईआरडी की समस्या होने पर सीने में जलन, अपच, पेट का भरा महसूस होना या मुंह के पिछले हिस्से में खट्टे स्वाद का अनुभव हो सकता है.

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चिंता और तनाव

चिंता और तनाव न सिर्फ हमारी भावनाओं पर असर डालते हैं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी असर डालते हैं, जिसमें डायजेशन सिस्टम भी शामिल है. इसके चलते मतली व उल्टी की समस्या भी हो सकती है. 2009 की पुरानी मेडिकल स्टडी के अनुसार, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) के लक्षणों और चिंता व अवसाद के बीच सीधा संबंध हो सकता है. वहीं, पाचन तंत्र और मस्तिष्क नसों से जुड़े होते हैं. इसे गट-ब्रेन कनेक्शन के रूप में जाना जाता है. जब कोई तनावग्रस्त होता है, तो कुछ हार्मोन व रसायन शरीर में रिलीज होने लगते हैं और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं.

कैंसर का इलाज

कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी दवाओं के चलते भी मतली व उल्टी की समस्या हो सकती है. 2017 की स्टडी के अनुसार, 50 वर्ष से कम आयु के लोगों को भी कीमोथेरेपी दवाओं से उल्टी होने का खतरा रहता है. अगर कीमोथैरेपी के बाद मिचली व उल्टी आने के चलते ज्यादा परेशानी होती है, तो इस संबंध में डॉक्टर से बात जरूर करनी चाहिए.

पित्ताशय की बीमारी

पित्ताशय पेट के दाहिनी तरफ ऊपर की ओर होता है. यह शरीर में वसा को पचाने में मदद करता है. पित्ताशय में पथरी या अन्य रोग होने पर वसा को पचाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में कुछ भी खाने पर खासकर वसा वाली चीजें खाने पर पेट में परेशानी महसूस हो सकती है और मतली व उल्टी जैसी समस्या हो सकती है.

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आईबीएस

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) जीआई ट्रैक्ट से जुड़ी समस्या है. इसके लक्षणों में पेट दर्द, दस्त, कब्ज और मतली आदि शामिल है. आईबीएस से ग्रस्त लोग अक्सर मतली व उल्टी होने की परेशानी का सामना सबसे ज्यादा करते हैं.

मोशन सिकनेस

कुछ लोग मोशन सिकनेस के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं. ऐसे लोगों को ट्रेवल के दौरान मतली व उल्टी की समस्या होती है और ट्रेवल के बाद भोजन करने से भी इस परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. मोशन सिकनेस के कारण होने वाली मतली व उल्टी आमतौर पर ट्रिगरिंग मोशन के रुकने के बाद या 24 घंटे के भीतर ठीक हो जाती है.

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भोजन करने के बाद कभी-कभी मतली या उल्टी होना गंभीर विषय नहीं है. वहीं, अगर यह समस्या एक हफ्ते में ठीक नहीं होती है, तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए. साथ ही अगर निम्न प्रकार के लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए -

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यह समस्या जिन कारणों के चलते होती है, उसी के अनुसार इसका इलाज किया जाता है -

  • कैंसर - डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटी-नॉजिया दवा लें. थोड़ी-थोड़ी मात्रा में बार-बार खाएं और कोशिश करें कि आसानी से हजम होने वाली चीजें ही खाएं. डॉक्टर की सलाह पर एक्यूपंक्चर थेरेपी भी ले सकते हैं.
  • फूड एलर्जी - सबसे पहले तो ऐसे खाद्य पदार्थों की पहचान करें, जिन्हें खाने से एलर्जी होती है. फिर ऐसी चीजाें काे खाने से बचें या फिर आहार विशेषज्ञ से उन खाद्य पदार्थों के विकल्पों के बारे में पूछें.
  • पित्ताशय की बीमारी - डॉक्टर की सलाह पर पित्त की पथरी को खत्म करने वाली दवा लें. मरीज की स्थिति के अनुसार डॉक्टर पित्ताशय की थैली को हटाने के लिए सर्जरी भी कर सकते हैं.
  • एसिड रिफ्लक्स - मसालेदार और वसायुक्त खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, वजन कम करें और पेट के एसिड को कम करने के लिए एंटासिड या अन्य दवाएं लें.
  • आईबीएस - ऐसे तरह के खाद्य पदार्थों से दूरी बनाएं, जो पाचन तंत्र को खराब करने का कारण बनते हैं.
  • मोशन सिकनेस - यात्रा करते समय ऐसी जगह बैठें, जहां आपको कम झटके लगें, जैसे ट्रेन में सबसे आगे की तरफ, हवाई जहाज में विंग के पास वाली सीट आदि.
  • प्रेग्नेंसी - हर थोड़ी-थोड़ी में कुछ न कुछ खाते रहें, कार्बोहाइड्रेट से युक्त डाइट लें, खाली पेट न रहें और डॉक्टर की सलाह पर अदरक लेने से भी फायदा हो सकता है.
  • फूड पॉइजनिंग - इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करें, डॉक्टर की सलाह पर एंटीबायोटिक्स लें और कैफीन से युक्त चीजों से दूरी बनाकर रखें.
  • चिंता व तनाव - इस संबंध में थेरेपिस्ट से मिलकर अपनी समस्या बताएं और रिलैक्सेशन तकनीक का इस्तेमाल करें. साथ ही योग व मेडिटेशन करें.

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खाने के बाद मतली व उल्टी आने जैसी समस्या न हो, उसके लिए निम्न उपायों को इस्तेमाल करके देखें -

  • मतली व उल्टी जैसा महसूस होने पर बर्फ के टुकड़े को चूसें.
  • चिकना, तला हुआ और मसालेदार भोजन को करने से बचें.
  • दिनभर में 3 बार पेटभर खाने की जगह थोड़ा-थोड़ा करके बार-बार खाएं.
  • खाने के बाद आराम से बैठें ताकि भोजन को पचने का समय मिल सके.
  • अगर गर्म भोजन की गंध से बेचैनी महसूस होती है, तो भोजन को हल्का ठंडा करके खाएं.

भोजन करने के बाद मतली व उल्टी जैसी समस्या होना गंभीर नहीं है, लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है, तो इसका इलाज किया जाना जरूरी है. इस समस्या के पीछे मुख्य कारण एसिड रिफ्लैक्स, फूड एलर्जी व फूड पॉइजनिंग आदि हो सकते हैं और इन कारणों का इलाज करके ही खाने के बाद उल्टी आने की समस्या को ठीक किया जा सकता है.

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