गर्भावस्था में अधिकतर महिलाओं का मन बहुत कुछ खाने का करता है। किसी का मन कैरी खाने को करता है तो किसी का अचार खाने का, गर्भावस्था में कुछ न कुछ खाने की इसी इच्छा को क्रेविंग कहते हैं। प्रेगनेंसी में क्रेविंग होना बेहद आम बात है लेकिन क्रेविंग होने के क्या कारण हैं यह ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं।आज हम इस लेख के जरिए जानेंगे कि गर्भावस्था के दौरान क्रेविंग क्यों होती है?

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  1. प्रेगनेंसी में कुछ भी खाने की इच्छा क्यों होती है? - Kyon hoti hai pregnancy me Craving
  2. प्रेगनेंसी में खाने की इच्छा कब शुरू होती है? - Pregnancy mein kb shuru hoti hai Craving
  3. प्रेगनेंसी में क्या खाने का मन करता है? - Pregnancy me kya khane ka man karta hai
  4. प्रेगनेंसी में क्रेविंग से कैसे बचें? - Pregnancy mein Craving se kaise bache
  5. सारांश

हाल ही में प्रकाशित हुए जर्नल ऑफ अमेरिकन डाइटेटिक एसोसिएशन के एक शोध के अनुसार आयरन की कमी के कारण क्रेविंग होती है। सामान्य भोजन से शरीर को पर्याप्त विटामिन और मिनरल्स नहीं मिल पाते हैं जिनकी पूर्ति करने के लिए भी क्रेविंग उठती है। 

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अधिकांश महिलाओं को पहली तिमाही में क्रेविंग शुरू होती है, दूसरी तिमाही में क्रेविंग और बढ़ जाती है तथा तीसरी तिमाही में क्रेविंग काफी हद तक कम होने लगती है। डॉक्टरों के अनुसार कई बार क्रेविंग प्रसव के बाद भी जारी रहती है।  

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गर्भावस्था में निम्नलिखित चीजों की क्रेविंग हो सकती है:

  • कॉफी:
    कॉफी की खुशबू इतनी तेज होती है कि वो सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। कॉफी गर्भवती महिलाओं को भी अपनी तरफ खींचती है। यह थकान और अवसाद से लड़ने में असरकारी होती है। चूंकि कॉफी में कैफीन होता है जो प्रेगनेंसी में नुकसानदेह होता है, इसलिए गर्भावस्था में इसे अधिक मात्रा में सेवन करने से पहले प्रसूति विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। 
     
  • नींबू और अचार: 
    ये दोनों ही स्वाद में खट्टे होते हैं और गर्भावस्था में खट्टा खाने से ज्यादा मन शायद ही किसी और चीज का करता हो। कुछ महिलाओं को सोडियम की कमी के कारण नींबू और अचार की क्रेविंग हो सकती है। नींबू और अचार दोनों ही मतली से लड़ने में मदद करते हैं और शरीर को तरोताजा रखते हैं। 
     
  • मीट और मसालेदार खाना : 
    मीट में आयरन और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होता है लेकिन इसमें फैट ज्यादा होता है इसलिए लो फैट मीट खाएं और उसे अच्छी तरह पका लें। गर्म और मसालेदार खाना खाने से पसीना आता है जिससे शरीर का तापमान बढ़ने लगता है और गर्भवस्था की स्थिति में शरीर का तापमान सामन्य करने में दिक्क्त आती है इसलिए मसालेदार भोजन से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

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गर्भावस्था में क्रेविंग से बचने के लिए आप निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं: 

  • जब कभी भी भूख लगे तो पौष्टिक आहार ही लें।
  • अपने फ्रिज में हमेशा हेल्दी स्नैक्स ही रखें। (और पढ़ें - कम कैलोरी वाले स्नैक्स)
  • जब भी भूख लगे तो घर पर ही कुछ हेल्दी बनाकर खाएं मार्केट से पैकेट बंद चिप्स आदि लेकर न खाएं।

गर्भावस्था में अक्सर कुछ न कुछ खाने का मन करता ही रहता है जैसे खट्टा-तीखा लेकिन अगर किसी चीज को ज्यादा खाने का मन करे तो डॉक्टर से सलाह लेना ज्यादा बेहतर रहेगा। चूंकि किसी खाद्य पदार्थ को खाने की क्रेविंग हो रही है सिर्फ इसलिए उसे खा लेना ठीक नहीं है इसलिए पहले सुनिश्चित कर लेना चाहिए। 

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प्रेगनेंसी में फूड क्रेविंग्स एक सामान्य अनुभव है, जो आमतौर पर हार्मोनल बदलाव, पोषण संबंधी जरूरतों और मनोवैज्ञानिक कारणों से होती हैं। महिलाओं को मीठा, खट्टा, मसालेदार या नमकीन खाने की तीव्र इच्छा हो सकती है। क्रेविंग्स का सही तरीके से प्रबंधन करना जरूरी है, ताकि गर्भावस्था के दौरान पोषण संतुलित बना रहे। पौष्टिक विकल्प चुनकर इन इच्छाओं को संतुष्ट करना सबसे अच्छा तरीका है, जैसे फल, नट्स, या घर के बने हेल्दी स्नैक्स। अत्यधिक प्रोसेस्ड या जंक फूड से बचना चाहिए, क्योंकि यह मां और बच्चे दोनों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यदि क्रेविंग्स असामान्य या अत्यधिक हो, तो डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।

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