ट्रोपोनिन आई टेस्ट क्या है? 

ट्रोपोनिन एक प्रकार का प्रोटीन है जो कि स्केलेटल मसल फाइबर और हृदय के अधिक संकुचित या ढीला पड़ने की स्थिति को नियंत्रित करता है। इसके तीन प्रकार होते हैं:

  • ट्रोपोनिन सी 
  • ट्रोपोनिन आई 
  • ट्रोपोनिन टी 

ट्रोपोनिन आई और टी को कार्डिएक ट्रोपोनिन भी कहते हैं। यह हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन के बाद खून में स्रावित हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप हृदय में खून की सप्लाई कम हो जाती है। हृदय में खून की सप्लाई कम होने पर छाती में दर्द और मायोकार्डियल इस्कीमिया जैसे रोग हो जाते हैं। 

ट्रोपोनिन आई टेस्ट विशेष रूप से हृदय की चोट और क्षति की जांच करने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट हृदय की स्थितियों (छाती में दर्द, हार्ट अटैक आदि) के जल्द परीक्षण में भी मदद करता है।

  1. ट्रोपोनिन आई टेस्ट क्यों किया जाता है - Troponin-I Test Kyu Kiya Jata Hai
  2. ट्रोपोनिन आई टेस्ट से पहले - Troponin-I Test Se Pahle
  3. ट्रोपोनिन आई टेस्ट के दौरान - Troponin-I Test Ke Dauran
  4. ट्रोपोनिन आई टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Troponin-I Test Result and Normal Range

ट्रोपोनिन आई टेस्ट क्यों किया जाता है?

ट्रोपोनिन आई टेस्ट निम्न स्थितियों की जांच करता है:

  • किसी भी शारीरिक क्रिया के बाद या आराम करते हुए छाती में दर्द या छाती में भारीपन महसूस होना
  • ज्यादा पसीना आने के साथ छाती में दबाव महसूस होना और दर्द होना
  • जिन लोगों में उपरोक्त लक्षण दिखें उनमें मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन के खतरे की जांच करने के लिए
  • हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन 
  • रक्त के प्रवाह को ठीक करने के लिए की गई विभिन्न मेडिकल प्रक्रियाएं होने के बाद यह पता लगाने के लिए की हृदय में कितनी क्षति हुई है। इन प्रक्रियाओं में मुख्य रूप से रुकी हुई रक्त वाहिकाओं में स्टेंट लगाना और बाईपास सर्जरी करना आदि शामिल है। 

हृदय में रक्त का प्रवाह कम होने से हृदय की कोशिकाओं में किसी प्रकार की क्षति हो जाती है, जिनका पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। यह टेस्ट कम तीव्रता वाले और शुरुआती अवस्था के ऐसे हार्ट अटैक की पहचान करने में भी सहायक है, जिसकी पहचान स्टैंडर्ड टेस्ट जैसे ईसीजी में नहीं हो पाती। हृदय की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के आठ घंटे बाद ही रक्त में ट्रोपोनिन का स्तर बढ़ने लगता है और यह स्तर अगले चौबीस घंटो में अधिकतम हो जाता है। यह प्रोटीन हृदय की कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के सात दिन बाद रक्त में देखा जा सकता है। इसके अलावा ट्रोपोनिन आई टेस्ट स्केलेटल मसल, किडनी और फेफड़ों से जुड़ी स्थितियों की जांच में भी किया जाता है।

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ट्रोपोनिन आई टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

ट्रोपोनिन आई टेस्ट के लिए भूखे रहने की जरूरत नहीं होती। टेस्ट से पहले ली जा रही दवाओं पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं होती।

 

ट्रोपोनिन आई टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए बांह की नस से ब्लड सैंपल लिया जाता है। सही परिणाम के लिए लक्षण दिखने के तीन से छह घंटे में ही ब्लड सैंपल ले लेने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर लक्षण दिखने के तुरंत बाद सैंपल लिए जाएंगे तो परिणाम सामान्य ही आएँगे। 

ब्लड सैंपल अलग-अलग समय के अंतराल पर लिए जाते हैं, ताकि ट्रोपोनिन आई के बढ़ते और घटते स्तर का पता लगाया जा सके। 

खून निकलने वाली जगह से अतिरिक्त खून बहने का खतरा होता है। यह खतरा उन लोगों को होता है जो टेस्ट से पहले ब्लड क्लॉट के लिए ब्लड थीनिंग दवाएं ले रहे होते हैं। ये दवाएं खून को पतला करने और थक्के को खून में घोलने का काम करती हैं, जिससे अधिक खून बहने का खतरा बढ़ जाता है।

ट्रोपोनिन आई टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम:

  • रक्त में ट्रोपोनिन आई की सामान्य मात्रा <0.4 ng/mL होती है 
  • यह टेस्ट किसी भी हृदय सम्बन्धी लक्षण दिखने पर 5-6 घंटे में फिर से किया जाना चाहिए

असामान्य परिणाम:
असामान्य वैल्यू और उन वैल्यू से जुड़े संकेत निम्न हैं:

  • 0.05 से 0.49 ng/mL: भविष्य में हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ना
  • ≥0.50 ng/mL: हार्ट अटैक या मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन का अत्यधिक खतरा होना

ट्रोपोनिन आई का स्तर निम्न स्थितियों में अधिक हो सकता है:

संदर्भ

  1. Guyton and Hall. Guyton and Hall Textbook of Medical Physiology 11th Edition U.S : Elsevier Saunders, 2006, Page no: 76
  2. Denise Wilson. Manual of Laboratory and Diagnostic Tests 7th Edition New York: McGraw-Hill Education, 2008, Page no: 571
  3. Sir Stanley Davidson. Davidsons Principles And Practice Of Medicine . 21st Edition China: Elsevier Publishing, 2010, Page no: 588
  4. Frances Fischbach.Manual of Laboratory and Diagnostic Tests 7th Edition New York: McGraw-Hill Education, July 2003, Page no: 262
  5. Provan D. Oxford Handbook of Clinical and Laboratory Investigation 4th ed. United Kingdom: Oxford University Press; 2018. Chapter 2, Page no: 441, ISBN-13: 9780199233717
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