आयुर्वेदिक चिकित्सा का इतिहास 5,000 वर्षों से भी ज्यादा प्राचीन है। सदियों से आयुर्वेदिक उपचारों में औषधीय गुण रखने वाली जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। इन्हीं जड़ी बूटियों में से एक त्रिफला भी है। आयुर्वेदिक औषधियों की बात जहां होती है वहां पर त्रिफला का नाम जरूर आता है एवं अगर आप भी आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो आपको भी त्रिफला के बारे में पता होगा।
त्रिफला या त्रिफला चूर्ण एक हर्बल मिश्रण है जिसे एक से अधिक जड़ी बूटियों से तैयार किया गया है। चरक संहिता में भी त्रिफला के स्वास्थ्यवर्द्धक फायदों के बोर में उल्लेख किया गया है। त्रिफला को आंवला, विभीतकी और हरीतकी के मिश्रण से तैयार किया गया है। ये आयुर्वेदिक मिश्रण अनेक रोगों के इलाज एवं बचाव में प्रभावकारी होता है।
क्या आप जानते हैं?
आयुर्वेद में त्रिफला को शरीर में त्रिदोष (वात,पित्त और कफ) को संतुलित करने के लिए जाना जाता है। त्रिफला पांच प्रकार के रस या स्वाद से युक्त है। इसका स्वाद मीठा, खट्टा, कसैला, कड़वा और तीखा होता है। इसमें केवल नमकीन स्वाद नहीं होता है।