आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज व्यक्ति की प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा वात, पित्त और कफ पर आधारित होती है. स्वस्थ रहने के लिए इन तीनों का संतुलित होना जरूरी होता है. जब शरीर में इनमें से कोई भी असंतुलित होता है, तो कई रोग जन्म लेने लगते हैं. इसलिए हर व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ को हमेशा संतुलित रखने की कोशिश की जानी चाहिए. अगर वात रोग की बात की जाए, तो इसके असंतुलित होने पर शरीर में रूखापन महसूस होता है और त्वचा फीकी पड़ जाती है.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि वात रोग क्या होता है और इसे कैसे संतुलित रखा जा सकता है -
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वात रोग क्या होता है?
वात दो तत्वों ‘वायु और आकाश’ से मिलकर बना है. इसे आमतौर पर ठंडा, हल्का और खुरदरे के रूप में परिभाषित किया जाता है. वात प्रकृति के लोगों को पतला व ऊर्जावान माना जाता है. वात रोग सर्दी के मौसम में बढ़ सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति को जोड़ों में दर्द आदि का सामना करना पड़ सकता है. वहीं, वात वाले लोगों को गैस की समस्या से भी परेशान रहना पड़ता है. वात रोगों से बचने के लिए हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि इसे संतुलित रखा जाए. सही लाइफस्टाइल और खान-पान की मदद से वात रोग को संतुलन में रखा जा सकता है.
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वात रोग के लक्षण
शरीर में वात दोष के बढ़ने पर निम्न प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं -
- त्वचा, बाल, कान, होंठ, जोड़ों में सूखापन
- सूजन
- गैस
- कब्ज
- डिहाइड्रेशन
- वजन घटना
- बेचैनी
- चक्कर आना
- सर्दी
- मांसपेशियों में ऐंठन
- दमा
- दर्द
- जकड़न
- चिंता
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वात रोग के कारण
शरीर में वात रोग का स्तर बढ़ने के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं -
- शुष्क और ठंडे मौसम के कारण शरीर में वात दोष का स्तर बढ़ सकता है.
- शुष्क व ठंडी प्रकृति वाला भोजन करने पर भी यह समस्या हो सकती है.
- स्वभाव के ठंडा रहने पर भी शरीर में वात दोष बढ़ सकता है.
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वात रोग को कैसे ठीक करें?
वात, पित्त हो या फिर कफ, सभी का संतुलन में होना जरूरी होता है. वात रोग को अच्छी डाइट और लाइफस्टाइल की मदद से संतुलित किया जा सकता है. वात रोग को संतुलित करने के तरीके निम्न प्रकार से हैं -
गर्म तासीर की चीजें खाएं
ठंडी तासीर की चीजें वात रोग को बढ़ा सकती हैं. इसलिए, अगर आपके शरीर में वात बढ़ गया है, तो गर्म तासीर के खाद्य पदार्थों का सेवन करना शुरू कर दें. गर्म चीजें खाने से वात संतुलित हो सकता है. इसके लिए आप जामुन, केले, आड़ू, पकी हुई सब्जियां, ब्राउन राइस व अंडे का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा, आप गर्म मसाले जैसे - काली मिर्च, दालचीनी व लौंग आदि को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं.
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कड़वे फूड्स से बनाएं दूरी
ठंडे के साथ ही सूखे और कड़वे खाद्य पदार्थ भी वात रोग को बढ़ा सकते हैं. इसलिए, वात को संतुलन में रखने के लिए कभी भी कड़वे, सूखे और ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें. कच्ची सब्जियां, ठंडी मिठाइयां, सूखे मेवे और बीजों के सेवन से परहेज करें. वात रोग को संतुलित रखने के लिए कैफीन और शराब से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
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एक्सरसाइज करें
वात रोगों वाले लोगों को जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द का अधिक सामना करना पड़ता है. ऐसे में वात को संतुलन में रखने के लिए एक्सरसाइज को अपनी रूटीन में जरूर शामिल करें. वात को संतुलित रखने के लिए आप साइकिलिंग, वॉकिंग, योग और लाइट एक्सरसाइज कर सकते हैं. इससे शरीर में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है.
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सारांश
स्वस्थ रहने के लिए पित्त और कफ की तरह ही वात का संतुलन में रहना भी बहुत जरूरी होता है. जब वात असंतुलित होता है, तो जोड़ों और पाचन से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. आप सिर्फ सही लाइफस्टाइल और खान-पान की मदद से वात को संतुलित कर सकते हैं. अगर इससे आपको आराम न मिले, तो एक बार आयुर्वेदिक डॉक्टर से जरूर मिलें.
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