9 महीने तक शिशु को अपने गर्भ में पालने के बाद अब आपका शिशु जन्म के बाद अपने नौवें महीने में कदम रख चुका है। शिशु के विकास के लिहाज से नौवां महीना सबसे रोमांचक चरणों में से एक है। आपका शिशु अपना पहला जन्मदिन मनाने से अब सिर्फ 3 महीने दूर है। आप महसूस करेंगी कि इस स्टेज में आते-आते आपका शिशु पहले से कहीं ज्यादा चुस्त और नटखट हो गया है। 

अब आपका शिशु पहले की तुलना में ज्यादा गतिशील हो गया है, तरह-तरह की आवाजें निकालने लगा है और हर वक्त उत्साह में नई-नई चीजें करने की कोशिश करता नजर आता है। जन्म के बाद 9वें महीने में आते-आते आपका शिशु किस तरह से खेलता है, बोलता है, व्यवहार करता है, नई-नई चीजें सीखता है- ये सारी बातें शिशु के विकास के बारे में अहम संकेत देती हैं। 

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9 महीने का शिशु पिछले कुछ महीने की तुलना में ज्यादा ऐक्टिव हो जाता है। वह घुटने के बल तेजी से पूरे घर में यहां से वहां भागना सीख जाता है और यहां तक की कुछ चीजों के सहारे खड़ा होना और चलने के लिए पैर आगे बढ़ाना भी सीख जाता है। पैरंट्स या परिवार के बाकी सदस्यों की नकल करना या फिर कोई नई चीज खिलाने पर तीव्र प्रतिक्रिया देना। ये कुछ ऐसी चीजें हैं जिसे अपने शिशु को करता देख आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। 

वैसे तो हर बच्चे के विकास की दर अलग-अलग होती है, लेकिन हर महीने के हिसाब से शिशु को किस तरह और कितना विकास करना चाहिए इसके कुछ पैमाने बने हुए हैं। ऐसे में 9 महीने के शिशु का वजन कितना होना चाहिए, उसकी हाइट कितनी होनी चाहिए, उसे कितना सोना चाहिए, कितनी गतिविधियां करनी चाहिए, इन सभी के बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

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  1. 9 महीने के शिशु का वजन और लंबाई - 9 month baby ka weight aur height
  2. 9 महीने के शिशु की गतिविधियां - 9 month baby ki movements
  3. 9 महीने के शिशु के दिमाग का विकास कैसे होता है? - 9 mahine ke baby ka brain related vikas
  4. 9 महीने के शिशु का कम्यूनिकेशन से जुड़ा विकास - 9 mahine ke shishu ka communication se juda vikas
  5. 9 महीने के शिशु का भोजन कैसा होता है? - 9 month ke baby ka aahar
  6. 9 महीने का शिशु कितना सोता है? - 9 mahine ka shishu kitna sota hai?
  7. सारांश
9 महीने के शिशु का वजन, खानपान और विकास से जुड़ी बातें के डॉक्टर

9 महीने का होते-होते शिशु का वजन अपने जन्म के समय के वजन की तुलना में दोगुना या इससे ज्यादा हो जाता है। आमतौर पर 9 महीने के बेबी बॉय का वजन 7 से 10.9 किलो के बीच और बेबी गर्ल का वजन 6 से 10 किलो के बीच होता है। वहीं लंबाई की बात करें तो 9 महीने के बेबी बॉय की लंबाई 67 से 76 सेंटीमीटर के बीच और बेबी गर्ल की लंबाई 65 से 74 सेंटीमीटर के बीच होती है। जन्म के बाद से 9 महीने का होते-होते शिशु की लंबाई करीब 10 इंच यानी 25 सेंटीमीटर तक बढ़ जाती है। 

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वैसे तो हर शिशु का शारीरिक विकास अलग-अलग तरह से होता है। इसलिए 9 महीने के सभी शिशु का वजन और लंबाई औसतन एक जैसी हो यह जरूरी नहीं। लेकिन अगर आपको अपने शिशु के वजन या लंबाई में जरूरत से ज्यादा कमी या बढ़ोतरी नजर आ रही हो, तो अपने पीडियाट्रिशन से इस बारे में सलाह मशविरा जरूर करें।

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9 महीने के शिशु में मुख्य रूप से 2 बातें देखी जाती हैं। पहला- शिशु शारीरिक रूप से कितना आत्मनिर्भर है और दूसरा- उसमें नई-नई चीजों को खोजने की कितनी तीव्र इच्छा है। इस दौरान आप देखेंगे कि कई बार शिशु अगर किसी काम को नहीं कर पाते तो उसमें गुस्सा और झुंझलाहट भी नजर आती है। 9 महीने का होते-होते बहुत से शिशुओं में सावधानी और डर जैसी भावनाएं भी विकसित हो जाती हैं। इसलिए आप देखेंगे कि बहुत से बच्चे बेहद तेज गति से घुटने के बल भागने की बजाए सावधानी से चलते हैं, किसी चीज को पकड़कर खड़े होते वक्त भी 10 बार सोचते हैं कि कहीं चोट न लग जाए। 9 महीने के शिशु की गतिविधियों की बात करें तो इस समय तक आपका शिशु:

  • बिना किसी सहारे के अपने आप उठकर बैठना सीख जाता है।
  • धीरे-धीरे घुटने के बल जमीन पर क्रॉल करना सीख जाता है।
  • अपने खिलौने या किसी सामान को देखने के लिए दोनों हाथों का इस्तेमाल करता है।
  • बैठते और उलटते-पलटते वक्त शिशु का अपने शरीर पर ज्यादा नियंत्रण होता है।
  • आंखों को पसंद आने वाली किसी चीज की तरफ अपने आप शिशु का सिर घूम जाता है।
  • किसी चीज को पकड़कर खींचना ताकि वह उसे पकड़कर खड़ा हो सके।
  • आगे की तरफ या नीचे की तरफ झुककर किसी खिलौने या किसी चीज को उठाने की कोशिश करना।
  • अपने साथ खेल रहे पैरंट या परिवार के किसी सदस्य की नकल करना।

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अगर आपको अपने 9 महीने के शिशु में निम्नलिखित लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:

  • अगर आपका बच्चा मुख्य रूप से सिर्फ अपने एक हाथ का ही इस्तेमाल कर रहा हो।
  • घुटने के बल चलने में अगर उसे दिक्कत महसूस होती हो।
  • अपने शरीर के सिर्फ एक तरफ के हिस्से को ही अगर शिशु मूव कर पाता हो।
  • अगर शिशु अपने पैरों पर अपना वजन उठाने में अक्षम है।
  • एक हाथ से दूसरे हाथ में खिलौनों को ट्रांसफर न कर पाता हो।

शिशु की संवेदनाओं और मस्तिष्क से जुड़े विकास के संबंध में यह एक बेहद अहम स्टेज है। इस दौरान आपका शिशु अपने आसपास के वातावरण की पूरी तरह से जांच-पड़ताल करना चाहता है। ऐसे में आपको अपने शिशु में ये सारी चीजें नजर आएंगी:

  • शिशु अपने दोनों हाथों और मुंह का इस्तेमाल कर किसी सामान का निरीक्षण कर उसे समझने की कोशिश करता है।
  • किसी मोटी किताब के कई पन्नों को एक साथ शिशु का पलटना।
  • गोद में लेकर ऊपर-नीचे करना या आगे-पीछे करने जैसी गतिविधियों को शिशु द्वारा पसंद किया जाना।
  • अलग-अलग सामान को उठाने के लिए अलग-अलग तरह से जोर लगाना।
  • खिलौने के साथ-साथ दूसरे सामानों के भी आकार, रंग, साइज और टेक्सचर को ध्यान से देखना।
  • पेट के बल लेटे हुए, बैठे हुए, घुटने के बल चलते हुए- अलग-अलग पोजिशन से आसपास के वातावरण पर नजर रखना।

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  • आप महसूस करेंगी कि 9 महीने का होते-होते आपका शिशु तुतलाते हुए कुछ भी बड़-बड़ की आवाज निकालने की बजाए कई तरह की आवाजें और शब्दों को बोलने की कोशिश करने लगता है। जैसे- दादा, बाबा, मामा आदि।
  • जब आप उसे उसके नाम से बुलाते हैं तो वह खुद को पहचानना शुरू कर देता है।
  • इतना ही नहीं परिचित लोगों और सामानों को भी पहचानना शुरू कर देता है। उदाहरण के लिए अगर आप कहें कि दादा बुला रहे हैं तो वह दादा की ओर इशारा करने की कोशिश करता है।
  • जब आप शिशु से बातें करती हैं तो वह भी अपनी तरफ से बोलने और प्रतिक्रिया देने की कोशिश करता है।
  • जब आप शिशु से कुछ करने को कहती हैं तो वह उस बात को ध्यान से सुनता है।
  • आसान संकेत या इशारा जैसे ना के लिए सिर हिलाना- ये सब भी सीखने लगता है।
  • आप जब कोई आवाज निकालती हैं तो उसकी नकल करने की कोशिश करता है।

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6 महीने का होते-होते ही ज्यादातर शिशुओं को मां के दूध या फॉर्मूला मिल्क के साथ थोड़ा-थोड़ा ठोस आहार देना शुरू कर दिया जाता है। ऐसे में 9 महीने का होते-होते आपको शिशु को हर चीज का प्यूरी बनाकर खिलाने की जरूरत नहीं। आप चाहें तो शिशु को चम्मच से खिलाना शुरू कर सकती हैं और साथ में फिंगर फूड देना भी शुरू कर दें।

हालांकि जब तक शिशु 1 साल का न हो जाए उसे मां का दूध या फॉर्मूला मिल्क पिलाना पूरी तरह से बंद न करें। दूध में मौजूद पोषक तत्व शिशु के लिए बेहद जरूरी हैं। लिहाजा ठोस आहार को पूरक भोजन की तरह की इस्तेमाल करें। साथ ही जहां तक संभव हो शिशु को बाजार से खरीदा हुआ पैक्ड फूड खिलाने की बजाए घर का बना हुआ ताजा होममेड फूड ही खिलाएं।

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9 महीने के शिशु की आहार की बात करें तो उसे ठोस आहार दिन में 3 से 4 बार ही दें और साथ में 25 से 30 आउंस ब्रेस्ट मिल्क और फॉर्मूला मिल्क भी जरूर दें। 9 महीने का होते-होते शिशु कई तरह की अलग-अलग चीजें खाना शुरू कर देता है और खाने के टाइम को इंजॉम भी करने लगता है क्योंकि वह अपने हाथों से खाना या पीना चाहता है।

आप चाहें तो 9 महीने के शिशु के आहार में सेब, केला, पपीता, बेरीज, आम, अंगूर जैसे फल और गाजर, शकरकंद, कद्दू, चुकंदर, लौकी, हरी मटर, आलू जैसी सब्जियां शामिल कर सकती हैं। इसके अलावा हरी मूंग दाल, पीली मूंग दाल, लाल वाली मसूर दाल के अलावा चावल, सूजी, साबूदाना, रागी, बार्ली, दलिया, मखाना और पोहा जैसी चीजें भी शिशु को खिला सकती हैं।

9 महीने का होते-होते ज्यादातर शिशु रोजाना 24 घंटे में से 12 से 16 घंटे की नींद लेने लगते हैं जिसमें रात के समय बिना जगे एक बार में 9 से 10 घंटे की नींद लेना भी शामिल है। इसके अलावा दिन के समय जब शिशु खेल-खेल कर थक जाता है तो इस दौरान ली जाने वाली छोटी-छोटी झपकी भी शामिल है। कुछ बच्चे जहां दिन के समय सिर्फ 30 मिनट के लिए सोते हैं वहीं कुछ बच्चे 1 या 2 घंटे की नींद भी ले लेते हैं।

9 महीने के शिशु का वजन आमतौर पर जन्म के वजन का लगभग तीन गुना होता है, यानी 7-10 किलोग्राम के बीच। इस उम्र में शिशु ठोस आहार जैसे मसला हुआ फल, सब्जियां, दाल, चावल और दलिया खाने लगता है। स्तनपान या फार्मूला दूध अभी भी उसकी पोषण की जरूरतें पूरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिशु का शारीरिक विकास तेजी से होता है; वह बैठना, घुटनों के बल चलना (क्रॉल करना) और खड़े होने की कोशिश करने लगता है। इस समय मानसिक और सामाजिक विकास भी महत्वपूर्ण होता है, जैसे छोटे शब्दों पर प्रतिक्रिया देना, खिलौनों के साथ खेलना और आसपास की चीजों को समझना। उसे पौष्टिक भोजन और पर्याप्त ध्यान देकर उसकी सेहत और विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

Dr. Pritesh Mogal

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