वैसे तो दुनियाभर के डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स यही सलाह देते हैं कि जब तक नवजात शिशु 6 महीने का न हो जाए उसे सिर्फ मां का दूध ब्रेस्टमिल्क ही पिलाना चाहिए। लेकिन कई बार नई मांओं के ब्रेस्ट में सही तरीके से दूध नहीं बन पाता या फिर इतना दूध नहीं बन पाता कि उससे शिशु को पेट भर पाए या फिर किसी और मेडिकल कारण की वजह से नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाने की जरूरत पड़ती है। नवजात शिशु को बोतल में भरकर जो पाउडर वाला दूध पिलाया जाता है उसे ही फॉर्मूला मिल्क कहते हैं।

ऐसे में आपने शिशु के जन्म के बाद से ही उसे फॉर्मूला मिल्क देने का फैसला किया हो या फिर ब्रेस्टमिल्क के साथ-साथ पूरक के तौर पर फॉर्मूला मिल्क देने के बारे में सोच रही हों या फिर ब्रेस्टमिल्क से फॉर्मूला मिल्क पर बच्चे को ट्रांसफर कर रही हों, आपके मन में कई तरह के सवाल होंगे कि आखिर शिशु को कितनी बार पाउडर वाला फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए, कितनी मात्रा में देना चाहिए, दूध को तैयार करने का सही तरीका क्या है, शिशु को बोतल से किस तरह से दूध पिलाना चाहिए आदि।

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वैसे तो मां का दूध ही शिशु के लिए सबसे उत्तम माना जाता है लेकिन अगर किन्हीं कारणों से शिशु को मां का दूध न मिल पाए तो विकल्प के तौर पर शिशु को फॉर्मूला मिल्क दिया जाता है। ऐसे में इस आर्टिकल में हम फॉर्मूला मिल्क से जुड़े कई कॉमन सवालों के जवाब दे रहे हैं।

  1. शिशु को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए? - shishu ko kitni baar doodh pilana chahiye?
  2. कैसे पता चलेगा कि बच्चे को भूख लगी है? - kaise pata chalega ki shishu ko bhukh lagi hai?
  3. बच्चे को कितनी मात्रा में फॉर्मूला मिल्क की जरूरत है? - shishu ko kitna formula milk ki zarurat hai?
  4. कैसे पता चलेगा कि बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध मिल रहा है? - kaise pata chalega ki shishu ko paryapt doodh mil rha hai?
  5. बच्चा आम दिनों की तुलना में ज्यादा भूखा क्यों महसूस होता है? - shishu ko zyada bhukh kab lagti hai?
  6. सारांश
नवजात शिशु को कितना और कितनी बार पाउडर वाला दूध देना चाहिए? के डॉक्टर

आमतौर पर नई मांओं को यही सुझाव दिया जाता है कि जब भी उनका शिशु भूखा तो वे उन्हें दूध जरूर पिलाएं, फिर चाहे शिशु ब्रेस्ट मिल्क का सेवन कर रहा हो या फिर फॉर्मूला मिल्क का। ज्यादातर नवजात शिशु जिन्हें सिर्फ पाउडर वाला फॉर्मूला मिल्क दिया जाता है उन्हें हर 2 से 3 घंटे में दूध पिलाने की जरूरत होती है। जैसे-जैसे शिशु और उसका पेट बड़ा होता जाता है, शिशु को हर 3 से 4 घंटे में दूध पिलाने की जरूरत पड़ती है। 

अगर आपका शिशु बेहद छोटा है और उसे वजन बढ़ाने में समस्या हो रही है तब तो आपको शिशु को दूध पिलाने के लिए बहुत ज्यादा इंतजार नहीं करना चाहिए। इसके लिए आपको भले ही शिशु को नींद से जगाकर ही क्यों न दूध पिलाना पड़े। इस तरह के मामलों में अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा करें कि आखिर शिशु को कितनी बार दूध पिलाना जरूरी है।

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अब नवजात शिशु आपको बोलकर तो बता नहीं पाएगा कि उसे भूख लगी है, लिहाजा आपको उसके संकेतों पर ध्यान देना होगा। भूख लगने पर नवजात शिशु कई तरह के संकेत देते हैं, जैसे:

  • अपने सिर को एक तरफ से दूसरी तरफ घुमाना
  • अपने मुंह को खोलना
  • अपनी जीभ को बाहर निकालना
  • अपने हाथ, उंगली या मुट्ठी को अपने मुंह पर रखना
  • होंठों को सिकोड़ना
  • जोर से रोने लगना
  • मां की छाती से चिपक जाना

अगर आप सोचती हैं कि शिशु को भूख लगने का संकेत सिर्फ उसका रोना है तो आप गलत हैं। आपको शिशु के भूख से परेशान होने और रोने का इंतजार नहीं करना चाहिए कि उन्हें शांत करना मुश्किल हो जाए। लिहाजा रोने से पहले बच्चे द्वारा दिए जा रहे संकेतों को समझकर पहले ही बच्चे को दूध पिलाएं और उसका पेट भर दें।

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साथ ही ये समझना भी जरूरी है कि हर बार जब शिशु रो रहा है तो इसका मतलब ये नहीं वह भूख की वजह से ही रो रहा है। हो सकता है वह गीले डायपर की वजह से, ज्यादा गर्मी या सर्दी लगने की वजह से, हद से ज्यादा थक जाने की वजह से या फिर आपके पास आने के लिए रो रहा हो।

नवजात शिशु को शुरुआत में बेहद कम मात्रा में फॉर्मूला मिल्क की जरूरत होती है। जन्म के पहले सप्ताह के अंत तक ज्यादातर नवजात शिशु को रोजाना अपने वजन के हिसाब से 150ml से 200ml दूध की जरूरत होती है और यह सभी बच्चों के लिए एक समान नहीं है। अलग-अलग बच्चों की जरूरत अलग-अलग हो सकती है।

शिशु के जन्म के बाद शुरुआती कुछ हफ्तों में 2 से 3 आउंस यानी 60 से 90 मिलीलीटर दूध तैयार करें और जैसे-जैसे आप शिशु की भूख और दूध पीने के पैटर्न से परिचित होते जाएं इस मात्रा को भी बढ़ाते जाएं। अलग-अलग स्टेज में शिशु के लिए कितनी दूध की जरूरत होती है:

  • औसतन नवजात शिशु हर 2 से 3 घंटे में 45 से 90 मिलिलीटर दूध पीता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता जाता है, उसका विकास होता जाता है और एक बार में ज्यादा दूध पीने लगता है, वैसे-वैसे यह मात्रा में बढ़ने लगती है।
  • करीब 2 महीने का होने पर शिशु हर 3 से 4 घंटे में दूध पीने लगता है और अब उसकी खुराक बढ़कर 120 से 150 मिलिलीटर दूध के करीब हो जाती है।
  • 4 महीने का होते-होते शिशु हर बार दूध पीने के दौरान 120 से 180 मिलिलीटर दूध पीता है। दूध कितनी बार पीना है यह शिशु के वजन और उसकी भूख की मांग पर निर्भर करता है।
  • 6 महीने के शिशु की बात करें तो वह हर 4 से 5 घंटे में 180 से 230 मिलिलीटर के करीब दूध पीता है। दूध की यह मात्रा इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपने अपने 6 महीने के शिशु को कुछ ठोस आहार खिलाना शुरू किया है या नहीं।

शिशु को दूध तब पिलाना चाहिए जब वे भूख लगने के संकेत दे रहे हों। शिशु अक्सर एक बार में अपनी बोतल का दूध खत्म नहीं करता है। उन्हें थोड़ा थोड़ा दूध बार-बार चाहिए होता है। इतना ही नहीं, शिशु कितना फॉर्मूला मिल्क ले रहा है उसकी मात्रा उस वक्त भी बदल जाती है जब शिशु की तबीयत खराब हो, दांत निकलने की वजह से शिशु को दर्द हो रहा हो या फिर जब शिशु के विकास में तेज गति से उछाल आ रहा हो।

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सभी शिशु एक तरह से नहीं बढ़ते बल्कि हर शिशु के बढ़ने और विकास की दर अलग-अलग होती है। ऐसे में आपके मन में भी कई बार यह सवाल आता होगा कि क्या मेरे शिशु को सही ढंग से विकास करने के लिए उचित पोषक तत्व (न्यूट्रिएंट्स) मिल रहे हैं या नहीं। ऐसे में आपके शिशु को पर्याप्त मात्रा में फॉर्मूला मिल्क मिल रहा है या नहीं इस बात का सबूत है आपके शिशु का वजन बढ़ना और वह कितनी बार सूसू-पॉटी कर रहा है।

जन्म के कुछ दिनों बाद आपके शिशु को रोजाना दिन में कम से कम 6 बार पेशाब और 4 बार पॉटी करनी चाहिए। इस दौरान पेशाब का रंग साफ या हल्के पीले रंग का होना चाहिए। नवजात शिशु की पॉटी शुरुआत में अलकतरे जैसी होती है लेकिन धीरे-धीरे वह पीली या हरी होने लगती है। फॉर्मूला मिल्क पीने वाले शिशु की पॉटी ब्रेस्टमिल्क पीने वाले शिशु की तुलना में ज्यादा कड़ी होती है।

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आमतौर पर जन्म के वक्त शिशु का वजन लिया जाता है और उसके बाद 5वें और 10वें दिन पर। इसके बाद अगर शिशु स्वस्थ है तो 6 महीने तक उसका वजन सिर्फ महीने में एक बार ही लिया जाएगा। ऐसे में अगर आपके शिशु का वजन नहीं बढ़ रहा है या फिर दूध पिलाने के बाद भी शिशु असंतुष्ट नजर आ रहा है तो यह जरूरत से कम भोजन मिलने का संकेत हो सकता है। लिहाजा अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

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जैसे-जैसे शिशु का वजन बढ़ने लगता है वह हर बार फीडिंग के दौरान ज्यादा दूध पीने लगता है और उनके फीडिंग यानी दूध पीने का समय बढ़ने लगता है। यानी जो शिशु पहले 2-3 घंटे में दूध पीता था वह अब 3-4 घंटे या 4-5 घंट में पीने लगता है। बावजूद इसके कई बार ऐसा लगता है मानो आपको शिशु आम दिनों की तुलना में ज्यादा भूखा हो। इसका कारण है शिशु की ग्रोथ यानी विकास में तेज उछाल आना। वैसे तो ग्रोथ स्पर्ट (तेज गति से विकास होना) कभी भी हो सकता है लेकिन शुरुआती कुछ महीनों में यह इस समय नजर आता है:

  • जब शिशु 7 से 14 दिन के बीच का हो
  • जब शिशु 3 से 6 सप्ताह के बीच का हो
  • जब शिशु 4 महीने का हो जाए
  • जब शिशु की उम्र 6 महीने हो जाए

शिशु के तेज गति से हो रहे विकास के समय और जब भी आपको लगे कि आपका शिशु भूखा है, शिशु के द्वारा दिए जा रहे संकेतों पर नजर रखें और शिशु को उसकी मांग के अनुसार दूध जरूर पिलाएं। अगर आपको महसूस हो कि आप शिशु को जितना दूध पिला रही हैं उससे उसका पेट नहीं भर रहा तो आपको फॉर्मूला मिल्क की मात्रा जरूरत के हिसाब से बढ़ा भी सकती हैं।

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नवजात शिशु को पाउडर वाला दूध (फॉर्मूला मिल्क) देने की मात्रा और आवृत्ति उसकी उम्र, वजन, और भूख पर निर्भर करती है। आमतौर पर, जन्म से 6 महीने तक के शिशु को हर 2-3 घंटे में फॉर्मूला दूध दिया जाता है, जो दिन में लगभग 6-8 बार हो सकता है। पहले कुछ हफ्तों में, शिशु को प्रति फीडिंग लगभग 60-90 मिलीलीटर दूध की आवश्यकता होती है, जो धीरे-धीरे बढ़ता है। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता है, उसकी दूध की मात्रा और समय अंतराल भी बढ़ते जाते हैं। शिशु के भूख के संकेतों पर ध्यान देना ज़रूरी है और ज़रूरत से ज़्यादा दूध न देने का ध्यान रखना चाहिए। हमेशा साफ-सफाई का ध्यान रखें और डॉक्टर से परामर्श भी लें।

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