वैसे तो दुनियाभर के डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स यही सलाह देते हैं कि जब तक नवजात शिशु 6 महीने का न हो जाए उसे सिर्फ मां का दूध ब्रेस्टमिल्क ही पिलाना चाहिए। लेकिन कई बार नई मांओं के ब्रेस्ट में सही तरीके से दूध नहीं बन पाता या फिर इतना दूध नहीं बन पाता कि उससे शिशु को पेट भर पाए या फिर किसी और मेडिकल कारण की वजह से नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाने की जरूरत पड़ती है। नवजात शिशु को बोतल में भरकर जो पाउडर वाला दूध पिलाया जाता है उसे ही फॉर्मूला मिल्क कहते हैं।
ऐसे में आपने शिशु के जन्म के बाद से ही उसे फॉर्मूला मिल्क देने का फैसला किया हो या फिर ब्रेस्टमिल्क के साथ-साथ पूरक के तौर पर फॉर्मूला मिल्क देने के बारे में सोच रही हों या फिर ब्रेस्टमिल्क से फॉर्मूला मिल्क पर बच्चे को ट्रांसफर कर रही हों, आपके मन में कई तरह के सवाल होंगे कि आखिर शिशु को कितनी बार पाउडर वाला फॉर्मूला मिल्क देना चाहिए, कितनी मात्रा में देना चाहिए, दूध को तैयार करने का सही तरीका क्या है, शिशु को बोतल से किस तरह से दूध पिलाना चाहिए आदि।
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वैसे तो मां का दूध ही शिशु के लिए सबसे उत्तम माना जाता है लेकिन अगर किन्हीं कारणों से शिशु को मां का दूध न मिल पाए तो विकल्प के तौर पर शिशु को फॉर्मूला मिल्क दिया जाता है। ऐसे में इस आर्टिकल में हम फॉर्मूला मिल्क से जुड़े कई कॉमन सवालों के जवाब दे रहे हैं।