खाना पेट तक पेट की वॉल्व से होकर जाता है. यह वॉल्व खाने के अंदर जाते ही बंद हो जाती है, लेकिन कभी कबार ऐसा होता है कि यह वॉल्व तुरंत बंद नहीं हो पाती. इसके कारण पेट में बना हुआ एसिड खाने वाली नली तक पहुंच जाता है. इस कारण ही एसिडिटी बनती है. एसिडिटी के समय हृदय में जलन (हार्ट बर्न), खट्टी डकारें व पेट फूलना आदि समस्या होती है. अगर सप्ताह में दो बार से अधिक एसिडिटी होती है, तो दवाइयों का सेवन शुरू कर देना चाहिए.
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आज इस लेख में जानेंगे कि एसिडिटी में कौन-कौन सी दवाइयां लेनी चाहिए-
एसिडिटी होने पर लें ये दवाइयां
एसिडिटी में ली जाने वाली दवाइयां अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं. कुछ दवाइयों से फौरन आराम मिलता हैं, तो कुछ दवाएं एसिडिटी में थोड़े समय के लिए ही राहत देती हैं, लेकिन एसिड प्रोडक्शन को बंद नहीं करती. आइए विस्तार से जानते हैं कि एसिडिटी होने पर कौन-सी दवाई लेनी चाहिए-
प्रोटोन पंप इन्हिबिटर्स
यह दवाई पेट द्वारा बनाए जाने वाले एसिड की मात्रा कम करती है. इन दवाइयों का सेवन एक व्यक्ति 1 साल में 14 दिन तक सिर्फ 3 बार तक कर सकता है. इनमें ओमिप्रेजोल और लैंसोप्रेजोल दवाएं प्रमुख हैं. इन दवाइयों का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. अधिक मात्रा में या लंबे समय तक इसका सेवन करने पर जी मिचलना, सिर दर्द होना, पेट दर्द होना व डायरिया आदि की समस्या हो सकती है.
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एच 2 रिसेप्टर ब्लॉकर
अगर काफी समय तक एसिडिटी रहती है, तो इन दवाइयों का सेवन कर सकते हैं. एच 2 रिसेप्टर पेट में हिस्टामाइन 2 को ब्लॉक करते हैं. इससे पेट में एसिड का उत्पादन कम मात्रा में होता है. अगर एसिडिटी से हार्ट बर्न की समस्या है, तो फैमोटिडिन, निजाटीडीन, सिमेटिडाइन आदि का सेवन कर सकते हैं, लेकिन इनकी हाई डोज के सेवन करने की आवश्यकता होती है.
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एंटासिड
एंटासिड पेट में बनने वाले एसिड को कंट्रोल करती हैं. यह दवाइयां कुछ समय के लिए ही एसिडिटी में आराम दे सकती हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका अधिक समय तक प्रयोग करना भी सही नहीं. कैल्शियम कार्बोनेट व सोडियम बायकार्बोनेट आदि कुछ फायदेमंद एंटासिड हैं. हालांकि, किडनी के रोगियों और बच्चों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. इसका ज्यादा सेवन करने से सिर दर्द, पेट दर्द व उल्टियों जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं.
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प्रोमोटिलिटी एजेंट्स
यह दवाइयां आपके जीआई ट्रैक्ट की मांसपेशियों को स्टिमुलेट करती हैं. इससे पेट का एसिड पेट में ही रहता है और खाने की नली तक नहीं पहुंच पाता. इन दवाइयों से एसोफैगस में मौजूद एसिड भी कम होता है. इसका प्रयोग करने से भी हार्ट बर्न जैसे लक्षण कम होते हैं. इस दवा के साइड इफेक्ट्स भी काफी तेजी से होते हैं, जैसे थकान होना, बेचैनी होना आदि.
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लाइफस्टाइल में बदलाव
यहां में कुछ सुझाव दे रहे हैं, जिनका पालन करने से एसिडिटी की समस्या से कुछ राहत मिल सकती है-
- अगर किसी एक प्रकार के खाने के बाद ही हार्ट बर्न और एसिडिटी के लक्षण महसूस होते हैं, तो उस खाने को कम ही खाएं और ऐसी ड्रिंक्स से भी खुद को बचाएं.
- शराब पीना और धूम्रपान करना बंद कर दें, क्योंकि इनसे आपकी खाने की नली अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती और एसिडिटी होती है.
- एक समय पर अधिक खाना न खाएं. इससे पेट की वॉल्व जल्दी खुलनी शुरू हो जाती है, जिससे उसका एसिड ऊपर की ओर चला जाता है. इसके बजाए छोटे-छोटे मील लें.
- अधिक टाइट कपड़े न पहनें. अगर कपड़े इतने टाइट हों, जिनसे पेट पर अधिक प्रेशर पड़ रहा हो, तो उन्हें पहनना अवॉइड करें. इससे आपकी एसोफेगस भी प्रभावित होती है.
- खाना खाते ही लेट न जाएं. खाना खाते ही बेड पर लेट जाना भी एसिडिटी का मुख्य कारण होता है. कम से कम खाने के बाद 3 घंटे तक बेड पर न लेटें.
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सारांश
एसिडिटी के लक्षणों के बारे में अच्छे से जानें. यह पता करें कि किन-किन खाने की चीजों से एसिडिटी हो रही है. एसिडिटी होने पर दवाइयां ले सकते हैं, लेकिन कोई भी दवा लेने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछें. साथ में उसके साइड इफेक्ट के बारे में भी डॉक्टर से जरूर जान लें. ओवर द काउंटर पर उपलब्ध होने वाली दवाइयां अधिक लंबे समय तक प्रयोग करना सेहत के लिए सही नहीं.
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