जब एनस में किसी तरह की दरार या कट बन जाता है, तो उसे फिशर या एनल फिशर कहा जाता है. बाउल मूवमेंट के दौरान जब व्यक्ति कड़ा मल त्याग करता है, तो एनल फिशर होने की आशंका होती है. एनेल फिशर में अमूमन बाउल मूवमेंट के साथ दर्द और ब्लीडिंग हो सकती है. इसके साथ ही एनस की मांसपेशियों में ऐंठन भी महसूस हो सकती है. ऐसे में फिशर के इलाज में सप्तविंशति गुग्गुल व अर्शकल्प वटी जैसी आयुर्वेदिक दवाइयां मदद कर सकती हैं. इसके अलावा, इलाज के तौर पर आयुर्वेदिक डॉक्टर क्षार एप्लिकेशन की सलाह दे सकते हैं. आज इस लेख में हम फिशर की आयुर्वेदिक दवा व इलाज के बारे में जानेंगे -
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फिशर का आयुर्वेदिक इलाज
फिशर के आयुर्वेदिक इलाज के तौर पर आयुर्वेदिक डॉक्टर क्षार पेस्ट लगाने की सलाह दे सकते हैं. इसके तहत एनस पर एक एल्केलाइन पेस्ट लगाया जाता है. इस एल्केलाइन पेस्ट को हर्बल मिश्रण से तैयार किया जाता है. यह पेस्ट फिशर से होने वाली समस्या काे कुछ कम करता है. हीलिंग प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए आयुर्वेदिक डॉक्टर इलाज के साथ-साथ डाइट व लाइफस्टाइल में बदलाव लाने की सलाह भी दे सकते हैं.
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फिशर की आयुर्वेदिक दवा
फिशर को ठीक करने में आयुर्वेदिक दवा की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. आयुर्वेदिक दवा बिना किसी नुकसान के फिशर को ठीक करके इससे होने वाले दर्द, जलन व डिस्कम्फर्ट से छुटकारा दिलाती है. त्रिफला गुग्गुल, कायाकल्प वटी व ईसबगोल भूसी जैसी आयुर्वेदिक दवाएं फिशर के इलाज में मददगार हैं. आइए विस्तार से फिशर की आयुर्वेदिक दवा के बारे में जानते हैं -
फिशर के लिए कायाकल्प वटी के फायदे
यह आयुर्वेदिक दवा किसी भी तरह के एनोरेक्टल डिजीज को ठीक करने में मददगार है, जिसमें फिशर भी शामिल है. इस दवा में एंटी-टॉक्सिफिकेशन, एंटी-एक्ने, एंटी-फंगल, एंटी-इंफ्लेमेटरी व एंटी-बैक्टीरियल गुण हैं. इसमें दारुहरिद्रा, नीम, मंजिष्ठा, आंवला, गिलोय, बकुची, बहेड़ा व हरड़ जैसी जड़ी-बूटियां हैं. फिशर की वजह से एनस के पास होने वाली दरार और कटी स्किन को ठीक करने में यह दवा कारगर है.
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फिशर के लिए अर्शकल्प वटी के फायदे
एनल फिशर को दूर करने में अर्शकल्प वटी के योगदान को दरकिनार नहीं किया जा सकता है. यह आयुर्वेदिक दवा ब्लड सर्कुलेशन को दुरुस्त करके खून को साफ करती है. इसके सेवन से शुरुआती स्टेज के फिशर को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, जिससे सर्जरी की आशंका खत्म हो सकती है.
यह एक एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा है, जो पाचन तंत्र में भी सुधार लाने का काम करती है. फिशर से एनल पर जो डिस्कम्फर्ट महसूस होता है, ये उसे भी ठीक करती है. इसके लैक्सेटिव गुणों की वजह से यह बाउल मूवमेंट को आसान बनाती है. इसके सेवन से पेट में बनने वाली गैस से भी राहत मिलती है.
फिशर के लिए इसबगोल भूसी के फायदे
इसबगोल भूसी सिर्फ फिशर ही नहीं, बल्कि बवासीर और कोलोन कैंसर से होने वाले दर्द व डिस्कम्फर्ट से राहत दिलाती है. इसे साइलम नाम से भी जाना जाता है और इसमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है. इससे बाउल मूवमेंट ठीक रहता है और कब्ज से निपटारा मिलता है. बाउल मूवमेंट ठीक रहने से फिशर के लक्षण धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं. यह पाउडर फॉर्म में आता है, जिसे पानी या दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है.
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फिशर के लिए सप्तविंशति गुग्गुल के फायदे
फिशर के कारण एनल पर कभी-कभार पस भी बन जाती है, जिसे दूर करने में इस आयुर्वेदिक दवा की भूमिका खास है. इसमें सोंठ, बहेड़ा, नागरमोठ, गिलोय, आंवला व हरड़ जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं, जो स्किन इंफेक्शन को ठीक करती हैं.
फिशर के लिए त्रिफला गुग्गुल के फायदे
त्रिफला एक शानदार लैक्सेटिव है, जिसमें अम्लाकी, बिभीतकी और हरीतकी पौधों के सूखे फलों के मेडिसिनल गुण होते हैं. फिशर की स्थिति में कब्ज होने से एनस में होने वाला दर्द और बढ़ जाता है. ऐसे में त्रिफला लैक्सेटिव के तौर पर कब्ज से छुटकारा दिलाता है. शोध भी बताते हैं कि त्रिफला के इस्तेमाल से कब्ज के लक्षणों से मुक्ति मिलती है और यह सुधार त्रिफला के इस्तेमाल के पहले सप्ताह में ही दिख जाता है.
त्रिफला टेबलेट, एक्स्ट्रैक्ट और पाउडर तीनों तरह से उपलब्ध है. इसके साथ गुग्गुल का कॉम्बिनेशन रेक्टल एरिया में ब्लड सर्कुलेशन को भी बढ़ाता है. त्रिफला गुग्गुल में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण पाए जाते हैं, जो बाउल मूवमेंट को दुरुस्त करते हैं.
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फिशर के लिए स्वर्णपत्री के फायदे
स्वर्णपत्री भी एक लैक्सेटिव है, जो बाउल की परत को स्टिमूलेट करके कब्ज से राहत दिलाने में मददगार है. यह वयस्क और 2 साल की उम्र से अधिक के बच्चों दोनों के इस्तेमाल के लिए सुरक्षित है. इसे अमूमन रात को लेने की सलाह दी जाती है. वहीं, इसे अन्य लैक्सेटिव के साथ लेने से शरीर में पोटैशियम का स्तर गिर सकता है. खासकर तब जब शरीर में पोटैशियम पर्याप्त मात्रा में न हो.
फिशर के लिए एलोवेरा के फायदे
एनल फिशर से एनस पर दर्द और इरिटेशन महसूस होती है. ऐसे में उस जगह पर एलोवेरा जेल के इस्तेमाल से खुजली या जलन की समस्या से राहत मिलती है. इसके इस्तेमाल से बवासीर और भगन्दर के मामले में भी आराम महसूस होता है.
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फिशर के लिए निर्गुंडी ऑयल के फायदे
निर्गुंडी ऑयल को विटेक्स निगुंडो नामक पौधे से निकाला जाता है, जो स्वाद में कड़वा होता है. इसमें प्राकृतिक रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बायोटिक और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो मांसपेशियों को रिलैक्स करते हैं. इसके साथ ही यह तेल कंजेशन, सूजन और दर्द को भी कम करता है. इस तेल को एनस पर लगाने से फिशर की वजह से होने वाले दर्द व डिस्कम्फर्ट से राहत मिलती है.
सारांश
फिशर के इलाज में इसबगोल भूसी, कायाकल्प वटी, स्वर्णपत्री जैसी आयुर्वेदिक दवाइयां अहम भूमिका निभाती हैं. इसके साथ ही इलाज के तौर पर आयुर्वेदिक डॉक्टर क्षार एप्लिकेशन की सलाह भी दे सकते हैं. ध्यान रहे कि किसी भी तरह की आयुर्वेदिक दवा या इलाज से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात करना जरूरी है.
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