जब आप मल त्याग करते हैं तो कई बार गुदा के आसपास की त्वचा छिल जाती है या फट जाती है, जिसकी वजह से आपको उस क्षेत्र पर बेहद दर्द और जलन महसूस होने लगती है। इस समस्या को एनल या रेक्टल फिशर (Rectal fissure) कहते हैं।

जो लोग कब्ज से पीड़ित होते हैं, उनके लिए इस समस्या का जोखिम और अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि ठोस या बड़ा मल त्याग गुदा के आसपास की त्वचा को छील सकता है।

हालांकि, ये समस्या कुछ और कारणों से भी हो सकती है, जैसे लगातार डायरिया, इन्फ्लामेट्री बोवेल डिसीज (Inflammatory bowel disease), क्रोहन डिसीज (Crohn’s disease), अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis), टाइट एनल स्फिन्स्टर मसल (Tight anal sphincter muscles) और कभी-कभी यौन संचारित संक्रमण, जैसे उपदंश (Syphilis) या दाद (Herpes) आदि।

इसका सबसे आम लक्षण है खुजली। ये खुजली की परेशानी धीरे-धीरे दर्द में बदल जाती है। दूसरा लक्षण है, मल त्याग करते समय खून आना। अधिकतर लोगों को मल त्याग में या टॉयलेट पेपर में एकदम लाल खून नज़र आता है।

ये असहज समस्या डरावनी हो सकती है, लेकिन कुछ घरेलू उपायों की मदद से आप इस दर्द को दूर कर सकते हैं और कुछ ही दिनों या हफ्ते में फिशर का इलाज कर सकते हैं। अगर ये समस्या कुछ ही हफ्तों में ठीक नहीं होती तो आप जल्द-जल्द से अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें।

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तो आइये आपको बताते हैं एनल फिशर के घरेलू उपाय

  1. फिशर के लिए जैतून के तेल के फायदे - Olive oil for fissure in Hindi
  2. फिशर के लिए एलोवेरा के फायदे - Aloe vera good for anal fissure in Hindi
  3. फिशर ठीक करने के लिए गर्म पानी से नहाने के फायदे - Hot water bath helps to get rid of anal fissure in Hindi
  4. फिशर के लिए कमफ्रे का उपयोग - Comfrey benefits for fissure in Hindi
  5. फिशर के लिए नारियल तेल के फायदे - Coconut oil heal fissures in Hindi
  6. एनल फिशर के लिए एल-आर्जिनाइन जेल के फायदे - L-arginine gel good for fissure in Hindi
  7. एनल फिशर के लिए सेब के सिरके के फायदे - Apple cider vinegar helps in fissure in Hindi
  8. एनल फिशर के लिए अलसी के फायदे - Flaxseed reduces anal fissure in Hindi
  9. फिशर के लिए फाइबर के फायदे - Eat fiber for anal fissure in Hindi
  10. एनल फिशर के लिए टिप्स - Tips for fissure in Hindi
  11. सारांश

जैतून का तेल स्वस्थ वसा से समृद्ध होता है, जो आपके मल त्याग की प्रणाली को चिकनाई देता है, जिससे मल आसानी से निकल जाता है। इसके साथ ही इसके सूजनरोधी गुण एनल फिशर से होने वाले दर्द को दूर करने में मदद करते हैं।

2006 में की गयी 'साइंटिफिक वर्ल्ड जर्नल' रिसर्च के अनुसार, जो लोग फिशर से पीड़ित थे, उन्होंने जैतून के तेल, शहद और बीसवैक्स का इस्तेमाल किया और इनके इस्तेमाल से उनके गुदा के आसपास जलन, दर्द, खुजली और खून कम हो गया।

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इसका इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले जैतून के तेल, शहद और बीसवैक्स को एक साथ एक कटोरे में मिला लें।
  2. अब इसे गैस या माइक्रोवेव पर गर्म होने के लिए रख दें। तब तक जब तक मिश्रण अच्छी तरह से पिघल न जाए।
  3. अब मिश्रण को ठंडा होने के लिए रख दें और फिर इसे प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
  4. इस प्रक्रिया को पूरे दिन में कई बार रोजाना दोहराएँ।

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एलोवेरा में प्राकृतिक तरीके से इलाज करने की क्षमता होती है। इसमें दर्द निवारक गुण भी मौजूद होते हैं, जो एनल फिशर के लक्षणों को कम करते हैं और त्वचा के उत्तकों को ठीक करते हैं। 2014 में 'यूरोपियन रिव्यु फॉर मेडिकल एंड फार्माकोलॉजिकल साइंस' में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, एलोवेरा जेल से बना जूस पुरानी फिशर की बीमारी का इलाज प्रभावी तरीके से करने में मदद करता है।

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इसका इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले एलोवेरा के पौधे से एक पत्ती काट लें। अब उसमें से जेल को चम्मच से निकाल लें।
  2. अब इस जेल को प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं।
  3. इस प्रक्रिया को पूरे दिन में कई बार दोहराएं।

(और पढ़ें - एलोवेरा के फायदे)

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गुदा के आसपास की त्वचा की असहजता को कम करने के लिए और इलाज को बढ़ावा देने के लिए, गर्म पानी से नहाने की कोशिश करें। इससे गुदा के आसपास के क्षेत्र पर रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मदद मिलती है, जिससे छिले और फटे हुए उत्तकों का अच्छे से इलाज होता है। गर्म पानी से नहाने से दर्द, सूजन और खुजली की समस्या दूर हो जाती है।

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गर्म पानी का इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले एक बड़े टब या बाल्टी को गर्म पानी से भर लें।
  2. अब उसमें कुछ मात्रा में लैवेंडर का तेल डालें और फिर पानी को अच्छे से मिला लें।
  3. अब या तो आप इस टब में बैठ सकते हैं या बाल्टी से पानी को शरीर पर डाल सकते हैं। खासकर गुदा के आसपास के क्षेत्र पर अधिक पानी का इस्तेमाल करें।
  4. इसी तरह 15 से 20 मिनट तक नहाएं।
  5. गर्म पानी से पूरे दिन में दो से तीन बार नहाएं।

(और पढ़ें - गर्म पानी से नहाने के फायदे)

नोट - आप या तो गर्म पानी से नहा सकते हैं या फिर मल त्याग करने के बाद उस जगह पर गर्म पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कमफ्रे एक लोकप्रिय जड़ी-बूटी है, जो फिशर से परेशान लोगों को राहत दिलाने में मदद करती है। इसकी पत्तियों में चिकित्सीय गुण मौजूद होते हैं, जो त्वचा के उत्तकों को ठीक करने में मदद करते हैं और कोशिकाओं को बढ़ाते हैं। इससे इलाज की प्रक्रिया बहुत तेजी से चलती है।

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इसका इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले एक चम्मच सूखे कमफ्रे को एक कप गर्म पानी में मिला लें। फिर बर्तन को ढ़क दें और 10 से 15 मिनट के लिए उबलते रहने दें। अब मिश्रण को छान लें और उसे ठंडा होने के लिए रख दें। अब इस मिश्रण का इस्तेमाल प्रभावित क्षेत्र को साफ करने के लिए करें।
  2. इस प्रक्रिया को पूरे दिन में दो से तीन बार दोहराएं।
  3. इसके साथ ही, आप प्रभावित क्षेत्र को सेकने के लिए कमफ्रे चाय का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  4. इसके अलावा, आप दूकान से भी कमफ्रे मरहम लेकर प्रभावित क्षेत्र पर पूरे दिन में दो से तीन बार लगा सकते हैं।

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नारियल तेल एनल फिशर के लिए एक अन्य फायदेमंद घरेलू उपाय है। ये मीडियम-चेन ट्रिगलिसराइड्स (Medium-chain triglycerides) से समृद्ध होता है। ये तेल आसानी से त्वचा में अवशोषित हो जाता है और प्रभावित क्षेत्र को चिकनाई देता है एवं इलाज की प्रक्रिया को शुरू करता है।

(और पढ़ें - नारियल तेल के फायदे)

इसका इस्तेमाल कैसे करें -

  1. नारियल के तेल को एनल स्फिन्स्टर (Sphincter) में पूरे दिन में दो से तीन बार लगाएं। अगर ये बीमारी बेहद पुरानी है तो आप नारियल के तेल का इस्तेमाल पूरे दिन में कई बार करें।
  2. अगर आप कब्ज या फिर किसी भी पाचन क्रिया से जुडी परेशानी से पीड़ित हैं, तो नारियल के तेल को अपनी डाइट में भी शामिल करें।

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आर्जिनाइन को एल-आर्जिनाइन भी कहा जाता है। ये एक प्रकार का एमिनो एसिड है जो प्रभावित क्षेत्र पर नाइट्रिक एसिड का प्रवाह करता है। जिससे एनल फिशर का इलाज करने में मदद मिलती है। 2005 में, 'डीसीस ऑफ़ द कोलन एंड रेक्टम' में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, एल-आर्जिनाइन जेल बिना कोई नुकसान किये फिशर का इलाज करने में मदद करता है। 

आप इस जेल को दूकान से खरीदकर पूरे दिन में कई बार रोजाना लगाएं।

(और पढ़ें - कब्ज के लिए योग)

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कब्ज और मल त्याग के दौरान दर्द महसूस होने से फिशर की समस्या और खराब हो सकती है। सेब का सिरका कब्ज के लिए बेहद ही प्रभावी तरीका है। सेब के सिरके में पेक्टिन होता है जो पाचन क्रिया को सुधारता है और मल त्याग को ठीक करता है।

(और पढ़ें - सेब के सिरके के फायदे)

इसका इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले एक या दो चम्मच सेब के सिरके को एक ग्लास पानी में डाल लें।
  2. वैकल्पिक रूप से, आप इस मिश्रण में शहद भी मिला सकते हैं।
  3. इस मिश्रण को पूरे दिन में दो बार पीयें।

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अलसी में फाइबर और ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो कब्ज का इलाज करने में मदद करता है। कब्ज की वजह से एनल फिशर की समस्या और भी ज़्यादा खराब हो सकती है। अलसी में लेक्साटिव गुण होते हैं, जो मल त्याग करते समय होने वाले दर्द को कम करते हैं।

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद कब्ज का कारण)

इसका इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले एक चम्मच अलसी का पाउडर लें और फिर उसे एक ग्लास गर्म पानी में रख दें। इस मिश्रण को पूरे दिन में एक बार रात को सोने से पहले ज़रूर पीयें। इससे आपको मल त्याग करने में कोई परेशानी नहीं आएगी।
  2. इसके आलावा आप अलसी के कैप्सूल्स भी ले सकते हैं। अपने डॉक्टर से इसके सही डोज के बारे में पूछ लें।

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रोजाना मल त्याग सही आने के लिए फाइबर से समृद्ध डाइट का सेवन करें। रोजाना फाइबर लेने से मल त्याग एकदम सही आएगा और आपको अधिक जोर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस तरह गुदा के आसपास की त्वचा को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

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क्या खाएं -

  1. अपनी डाइट में उच्च मात्रा में फाइबर से समृद्ध आहार शामिल करें, जैसे क्विनो, ओटमील, आलूबुखारा, बक्व्हीट (Buckwheat), फलियां, पालक, कद्दू के बीज और सूरजमुखी के बीज। सीलियम (Psyllium) को इसबगोल की भूसी भी कहा जाता है, जिसमे फाइबर का अच्छा स्रोत शामिल होता है।
  2. इसके अलावा आप डॉक्टर से पूछने के बाद फाइबर के सप्लीमेंट्स भी खा सकते हैं।

(और पढ़ें - फाइबर के फायदे)

नोट - जब आप फाइबर लेने लगें, खासकर तब जब आप इसबगोल की भूसी का सेवन करेंगे तो गैस्ट्रोइंटेस्टिनल से बचने के लिए पूरे दिन में ज्यादा से ज्यादा पानी पीयें।

(और पढ़ें - बवासीर के घरेलू उपाय)

  1. कभी भी मल त्याग करते समय ज़्यादा जोर या दबाव न डालें, इससे इलाज से ठीक हुए उत्तक फिर से खुल जाएंगे। 
  2. शिशुओं को एनल फिशर से बचाने के लिए उनके डायपर्स जल्दी-जल्दी बदलें। (और पढ़ें - डायपर रैश ट्रीटमेंट)
  3. अगर कोई डायरिया से पीड़ित है, तो जल्द से जल्द उसका इलाज करें। (और पढ़ें - दस्त रोकने के घरेलू उपाय)
  4. कब्ज बनाने वाले खाद्य पदार्थ न खाएं, जैसी सफ़ेद चावल, चीज़ और अन्य डेयरी उत्पाद, लाल मीट, चिप्स और तले हुए आहार। 
  5. पूरे दिन में ज़्यादा से ज़्यादा पेय पदार्थ पीने की कोशिश करें, इससे आपको मल त्यागने में आसानी होगी। (और पढ़ें - रोज कितना पानी पीना चाहिए)
  6. रोजाना आधे घंटे के लिए शारीरिक गतिविधियों में जरूर शामिल हो, जिससे मल त्याग करने में कोई दिक्कते न आए और रक्त का प्रवाह भी बढ़े। आप रोजाना चलना, योग, स्ट्रेचिंग या अन्य कार्य कर सकते हैं। (और पढ़ें - स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज के फायदे)
  7. बाइकिंग, वेट लिफ्टिंग और अन्य उस क्षेत्र पर दबाब बनाने वाले व्यायाम न करें। (और पढ़ें - वेट लिफ्टिंग के फायदे)
  8. कठोर जगह पर बैठना अगर मुश्किल लगता है तो आप तकिये का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे उस क्षेत्र पर दबाव न पड़े।
  9. उस क्षेत्र पर खुजली न करें, इससे स्थिति और भी ज़्यादा खराब हो सकती है। (और पढ़ें - खुजली के घरेलू उपाय)

(और पढ़ें - गर्भावस्था में कब्ज का इलाज)

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एनल फिशर एक आम समस्या है जिसमें गुदा के पास की त्वचा में छोटे-छोटे कट या फटे होते हैं। यह स्थिति आमतौर पर दर्दनाक होती है और मलत्याग के दौरान और बाद में दर्द और रक्तस्राव का कारण बन सकती है। इसके प्रमुख कारणों में कठोर या बड़े मल का पास होना, कब्ज, दस्त, और गुदा क्षेत्र में तनाव शामिल हैं।

इलाज में आमतौर पर फाइबर युक्त आहार, भरपूर पानी पीना, और मल को नरम रखने के लिए दवाएं शामिल हैं। गर्म पानी के स्नान (सिट्ज़ बाथ) से आराम मिल सकता है। गंभीर मामलों में, विशेष क्रीम या शल्य चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है। इस स्थिति से बचने के लिए स्वस्थ आहार और नियमित मल त्याग की आदतें महत्वपूर्ण हैं।

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