जोड़ों में सूजन और जकड़न की समस्या को मेडिकल भाषा में गठिया कहा जाता है. गठिया की बीमारी में उम्र के साथ दर्द, सूजन और अकड़न की परेशानी बढ़ती जाती है. आमतौर पर यह समस्या 65 से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलती है लेकिन आजकल बच्चे और युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि युवाओं में सबसे आम रूमेटोइड आर्थराइटिस की बीमारी है. बता दें कि एक से तीन प्रतिशत युवा रूमेटोइड आर्थराइटिस से ग्रस्त पाए जाते हैं. एक अध्ययन में पाया गया कि 18 से 34 साल के एक लाख युवाओं में से करीब 8 युवा रूमेटोइड आर्थराइटिस की बीमारी से ग्रस्त थे.

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युवाओं में गठिया क्यों होता है

युवाओं में गठिया के कई कारण हो सकते हैं -

अनुवांशिकता

अगर परिवार में पहले से ही आर्थराइटिस की बीमारी चली आ रही है, यानी अगर आपके माता-पिता में यह विकार है तो आपको आर्थराइटिस होने की संभावना अधिक हो सकती है. पर्यावरणीय ट्रिगर के कारण आप गठिया के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं.

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कार्टिलेज का कम होना

हिलने-डुलने या फिर चलने के कारण जोड़ों पर दबाव पड़ता है और उनमें मौजूद कार्टिलेज (एक तरह के कनेक्टिव टिशू) उस प्रेशर को सोखकर, हड्डियों को सुरक्षित करते हैं. हालांकि जोड़ों में जब कार्टिलेज की मात्रा कम हो जाती है तो यह गठिया का कारण बन सकती है.

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मोबाइल का अधिक इस्तेमाल

आज के समय में मोबाइल पर गेम खेलने और टेक्स्टिंग के कारण भी युवाओं में गठिया की बीमारी बढ़ रही है. कैंसर फैमिली फाउंडेशन की एक रिसर्च में पाया गया कि मिडिल-स्कूल और हाई-स्कूल के छात्र हर दिन औसतन 95 मिनट टेक्स्टिंग करते हैं, जोकि आर्थराइटिस का कारण बन रहा है.

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मोटापा

मोटापे के कारण जोड़ों, विशेष रूप से घुटनों, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी पर अधिक तनाव पड़ता है. मोटापे से ग्रस्त युवाओं में गठिया विकसित होने का खतरा अधिक होता है.

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स्मोकिंग

धूम्रपान के कारण शरीर भी रूमेटोइड गठिया का विकास हो सकता है. जो लोग अधिक धूम्रपान करते हैं, उनमें रूमेटोइड गठिया की संभावना बढ़ जाती है. बता दें रूमेटोइड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो तब होती है जब शरीर का इम्यून सिस्टम टिशू पर हमला करता है. इसके कारण जोड़ों में मौजूद सिनोवियम (तरल पदार्थ जो कार्टिलेज को पोषण देता है) प्रभावित होता है.

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मेटाबॉलिज्म में असामान्यता

शरीर का मेटाबॉलिज्म बिगड़ने के कारण भी युवाओं को गठिया की बीमारी हो सकती है. जैसे यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से गाउट की परेशानी.

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गठिया के लक्षण

युवाओं में गठिया के लक्षण गंभीर साबित हो सकते हैं. उन्हें हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन की अधिक समस्या हो सकती है. इसके साथ ही युवाओं में रूमेटोइड नोड्यूल होने का खतरा भी बढ़ जाता है. बता दें कि रूमेटोइड नोड्यूल एक तरह की सख्त गांठ होती हैं, जो त्वचा के नीचे, आमतौर पर उंगलियों पर हो सकती हैं. इस स्थिति के बाद आखिर में युवाओं को सोरोपिसिटिव आर्थराइटिस हो सकता है.

इसके अलावा हर उम्र के मरीजों में चाहे वह युवा हों या फिर बुजुर्ग, गठिया के समान लक्षण देखने को मिलते हैं. इस बीमारी में लोगों को जोड़ों में जकड़न, सूजन, लालिमा, दर्द, जलन, हाथों-पैरों की उंगलियों और गांठों में दर्द, दैनिक कार्य करने में परेशानी, चलने-फिरने और उठने-बैठने में तकलीफ जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. इसके अलावा आर्थराइटिस के गंभीर मामलों में बुखार, वजन घटना, लिम्फ नोड्स में सूजन और थकान के अलावा फेफड़े, हार्ट और किडनी से संबंधित बीमारी जैसे लक्षण भी देखने को मिलते हैं.

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युवाओं में गठिया के लक्षण और कारण के डॉक्टर
Dr. Pritish Singh

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