ब्लड प्रेशर दो प्रकार का होता है - लो ब्लड प्रेशर (हाइपोटेंशन) और हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी)। हाइपरटेंशन भी दो प्रकार का होता है - एसेंशियल हाइपरटेंशन और सेकंडरी हाइपरटेंशन।ड प्रेशर को नियंत्रित न रखा जाए, तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इनमें दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी खराब आदि शामिल हैं। ऐसे में डॉक्टर की मानें तो, बीपी की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों को समय-समय पर अपना चेकअप कराते रहना चाहिए।
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- ब्लड प्रेशर रेंज और ब्लड प्रेशर क्रिया क्या होती है?
- दवाइयां लेते वक्त बरतें सावधानी
- ब्लड प्रेशर नॉर्मल न होने के कारण
- ब्लड प्रेशर की जांच का उद्देश्य
- हाई बीपी को नियंत्रित करने का तरीका
- सारांश
ब्लड प्रेशर रेंज और ब्लड प्रेशर क्रिया क्या होती है?
पहले यह समझना जरूरी है कि ब्लड प्रेशर क्रिया क्या होती है। जब हृदय खून को पंप करता है तो रक्त वाहिकाओं पर एक दबाव (प्रेशर) पड़ता है। इसे ब्लड का प्रेशर कहते हैं। बीपी मशीन के जरिए इस प्रेशर की उच्चतम और न्यूनतम मात्रा को नोट कर लिया जाता है। लेकिन जब रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, तो हृदय को खून पंप करने के लिए अतिरिक्त दबाव या प्रेशर की जरूरत होती है। यह एक चिकित्सकीय स्थिति का रूप ले सकती है, जिसमें मस्तिष्क, हृदय, किडनी और आंखों को नुकसान हो सकता है। ब्लड प्रेशर को दो रेंज में बांटा गया है :
- अपर वैल्यू जो कि 90 है
- लोअर वैल्यू जो कि 120 है
(और पढ़ें - हाई बीपी की आयुर्वेदिक दवा और इलाज)
दवाइयां लेते वक्त बरतें सावधानी
एडल्ट लोगों की बात की जाए, तो 30 प्रतिशत लोग यानी लगभग हर तीसरा व्यक्ति इस बीमारी से जूझ रहा है। यह इतनी साधारण बीमारी का रूप ले चुकी है कि 50-60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में करीब आधे से ज्यादा लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। ऐसे में दवाइयां इस स्थिति को नियंत्रित करने में मददगार होती है, लेकिन इन दवाइयों का सेवन कैसे करना चाहिए, इस बारे में नीचे बताया गया है :
- बीपी की दवाइयां नियमित रूप से लेनी चाहिए
- बीपी नियंत्रित होने के बाद इन्हें स्किप (बीच-बीच में दवाई न लेना) नहीं करना चाहिए
- बीपी की समस्या होने पर लगातार 4-5 दिन सुबह शाम खाने से पहले बीपी चेक करना चाहिए, अगर बीपी बार-बार ज्यादा की तरफ आ रहा है तो हाई डोज की जरूरत हो सकती है, जबकि बीपी की वैल्यू लोअर आने पर कम डोज में दवाई लेनी चाहिए।
- अगर ब्लड प्रेशर अचानक बढ़कर 220/130 हो जाए तो तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
(और पढ़ें - हाई बीपी की होम्योपैथिक दवा और इलाज)
ब्लड प्रेशर नॉर्मल न होने के कारण
माना जाता है कि यदि ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक है तो यह हाइपरटेंशन की स्थिति है, लेकिन अगर किसी का ब्लड प्रेशर 130/80 है तो यह भी शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। फिलहाल बीपी सामान्य न होने के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं :
- अधिकतर लोगों को अपने ब्लड प्रेशर के बारे में जानकारी न होना
- बीमारी का पता लगने के बाद भी उचित ट्रीटमेंट न लेना
- दवाइयों को नियमित रूप से न लेना
(और पढ़ें - हाई ब्लड प्रेशर में परहेज)
ब्लड प्रेशर की जांच का उद्देश्य
बीपी की जांच करते समय मुख्यत: तीन उद्देश्यों को ध्यान में रखा जाता है :
- ब्लड प्रेशर किसी और बीमारी की वजह से तो नहीं है
- हाई बीपी के साथ-साथ डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल तो नहीं है
- हाई बीपी की वजह से किसी अंग को नुकसान तो नहीं हो रहा
- इसके बाद ही यह तय किया जाता है कि हाई बीपी को नियंत्रित कैसे करना चाहिए।
(और पढ़ें - हाई बीपी के लिए योग)
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हाई बीपी को नियंत्रित करने का तरीका
हाई बीपी को कंट्रोल करने के दो उपाय होते हैं - जीवनशैली में बदलाव और मेडिकेशन
- जीवनशैली में बदलाव : वजन नियंत्रित रखना, संतुलित आहार (जिसमें नमक की मात्रा कम और पोटैशियम की मात्रा ज्यादा हो), नियमित रूप से व्यायाम करना (30 मिनट तक तेज चलना शामिल है), भारी काम करने से बचें और धूम्रपान और अल्कोहल का सेवन न करें।
- मेडिकेशन : कुछ लोगों में दवाइयों के जरिए बीपी को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि किसी को इन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स से डर लगता है तो बता दें कि यह दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं।
सारांश
ब्लड प्रेशर का संतुलित रहना जरूरी है। अगर यह सामान्य स्तर से अधिक हो जाए, तो विभिन्न तरह के हृदय रोग का कारण बन सकता है। इसलिए, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए अच्छी डाइट लेनी चाहिए, संतुलित जीवन जीना चाहिए और किसी को बीपी से संबंधित कोई समस्या है, तो उसे डॉक्टर की सलाह पर दवा लेते रहना चाहिए।
हाई बीपी के बारे में ये बातें जानना आपके लिए जरूरी है के डॉक्टर

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कार्डियोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

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