अश्वगंधा (Withania somnifera - अश्वगंधा का वैज्ञानिक नाम), आयुर्वेद में बहुत ही व्यापक औषधीय जड़ी बूटी है। पत्तियों, जड़ों, टहनियों के अलावा अश्वगंधा के बीज और फल आदि का इस्तेमाल टॉनिक और अनेकों घरेलू उपायों द्वारा स्वास्थ्य और आयु बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
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हाल ही के कई अध्ययनों में, अश्वगंधा में तनाव रोधी (Antistress), एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant), दर्द दूर करने वाले (Analgesic), अनुत्तेजक (Anti inflammatory), हृदय की सुरक्षा करने वाले तथा प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने वाले गुण पाए गए हैं। यह ब्रेन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, स्किन कैंसर, गुर्दे का कैंसर और ब्रैस्ट कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर के इलाज में प्रभावी साबित हुआ है।
सैम गंभीर, एक भारतीय कैंसर एक्सपर्ट हैं। उनहोंने कैंसर के ऊपर बहुत रिसर्च की हैं। लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक दिन उन्हें इतने करीब से कैंसर जैसी बीमारी का सामना करना पड़ेगा। असल में उनके 14 साल के बेटे मिलन गंभीर को ब्रेन ट्यूमर (Brain tumor) हो गया। क्योंकि वो खुद एक कैंसर एक्सपर्ट हैं इसलिए उन्हें अच्छी तरह से पता था कि ये बीमारी क्या रूप ले सकती है।
फरवरी 2015 में, सैम ने मिलन को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem cell transplant) के क्लिनिकल परीक्षण के लिए फ्लोरिडा भेजा था। साथ ही सैम ने सैकड़ों वर्षों से भारत में अपने उपचार के गुणों के लिए जाना जाने वाले अश्वगंधा पर रिसर्च करना शुरु किया।
एक साल के अध्ययन के बाद, सैम ने शोध में पाया कि अश्वगंधा में पाया जाने वाला विथाफेरिन ए (Withaferin A) नामक तत्व, मस्तिष्क के ट्यूमर का कारण बनने वाली कोशिकाओं को नष्ट करने में बहुत महत्वपूर्ण होता है।
लेकिन जब तक ये निष्कर्ष निकल पाया तब तक बहुत देर हो चुकी थी और मिलन इस खोज के कुछ ही हफ्तों बाद मर गया था। हालांकि सैम गंभीर और उनकी प्रयोगशाला में अभी भी कैंसर के ऊपर रिसर्च जारी है।
प्रयोगशाला में ऐसे उपकरणों का परीक्षण करने की भी तैयारी कर रही है जिनके द्वारा कैंसर रोगी अपनी कोशिकाओं का परीक्षण स्वयं कर सकते हैं। जैसे कि 'स्मार्ट ब्रा' जिसमें स्तन ऊतकों के चित्र दिखाई दे जाते हैं और 'स्मार्ट शौचालय' आदि की तयारी की जा रही है।