कैंसर के उपचार से पहले, उपचार के दौरान एवं उपचार के उपरान्त भी, पोषण को ठीक बनाए रखना बहुत आवश्यक होता है। कैंसर के उपचार के दौरान रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी, इम्मुनोथेरेपी एवं सर्जरी आदि से उपचार किया जाता है। इन सभी प्रक्रियाओं एवं इस दौरान ली जाने वाली दवाओं से व्यक्ति के शरीर में बहुत सारी अन्य समस्याएं भी देखने को मिलती हैं, जैसे कि भूख न लगना, कमजोरी महसूस होना, मांसपेशियां कम होना आदि। ये सभी कुपोषण का कारण बनते हैं। यदि इस दौरान डाइट का अच्छे से ध्यान ना दिया जाए तो रिकवरी एवं अन्य लक्षणों को नियंत्रित करने में समस्याएं आने लगती हैं। इस लेख में हमने इसी विषय में विस्तृत चर्चा की है। आइये जानते हैं -

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  1. कैंसर मरीज के लिए विटामिन, प्रोटीन और मिनरल युक्त आहार - Nutrients for cancer patients in Hindi
  2. कैंसर में इंफेक्शन से बचने के लिए आहार कैसे खाएं - Diet to prevent infection in cancer patients in Hindi
  3. कैंसर में क्या खाना चाहिए - Diet for cancer patients in Hindi
  4. कैंसर डाइट प्लान - Diet chart for cancer patients in Hindi
  5. क्या आहार से कैंसर खत्म हो सकता है - Can diet cure cancer in Hindi
कैंसर में क्या खाएं, क्या नहीं खाएं और परहेज के डॉक्टर

1. अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का ध्यान रखें - यदि आपकी रिपोर्ट्स में पोषण का स्तर सामान्य है तो ऐसे में भी कैंसर के उपचार के दौरान आपके ऊर्जा / कैलोरी की आवश्यकता 110 - 130 फीसद तक बढ़ी रहती है और कुपोषण की स्थिति में यह आवश्यकता 130 - 150 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अपनी रोजाना की ऊर्जा आवश्यकता को जानने एवं सही डाइट के लिए आहार विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें।

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2. मांसपेशियों के टूट-फूट की मरम्मत के लिए अधिक प्रोटीन वाले आहार लें - शरीर की वृद्धि ,उत्तकों के फिर से निर्माण और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए प्रोटीन हमारे लिए आवश्यक है। कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को प्रोटीन की आवश्यकता सामान्य मात्रा से अधिक होती है। सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी के बाद उत्तकों की मरम्मत, चोट को भरने और इन्फेक्शन से लड़ने के लिए सामान्यतः अधिक प्रोटीन की आवश्यकता होती है। कैंसर से पीड़ित व्यक्ति की यदि पोषण की स्थिति सामान्य है, तो 1.25 ग्राम प्रति किलो शारीरिक वजन के अनुसार प्रोटीन की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर व्यक्ति कुपोषण की स्थिति में है तो 1.5-2 ग्राम प्रति किलो वजन के अनुसार प्रोटीन की आवश्यकता होती है। प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत के रूप में आप मछली, अंडे, लीन मीट, कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट, नट बटर, सूखे बीज और मेवे, मटर और मसूर की दाल, सोयाबीन के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। आप अपने टेस्ट और लक्षण के अनुसार भी इनका चयन कर सकते हैं।

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3. कैंसर के उपचार के दौरान विटामिन और मिनरल्स - शरीर की अवस्था, बीमारी की तीव्रता, लक्षण जैसे - मतली और उल्टी, कुपोषण, अवशोषण का ना होना आदि, हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। थेरेपी के अनुसार ही विटामिन और मिनरल्स की आवश्यकता होती है। पोषक तत्वों में कमी के शुरुआती लक्षणों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। सामान्यतः कैंसर के मरीज को मल्टीविटामिन टैबलेट, मल्टी मिनरल्स लेने को कहा जाता है, परन्तु किसी के भी अधिक प्रयोग से बचना चाहिए, क्योंकि ये शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। अतः डॉक्टर को अपनी रिपोर्ट्स दिखाकर, अपनी शारीरिक अवस्था के अनुसार विटामिन एवं मिनरल का चयन करें।

4. एंटीऑक्सीडेंट अवश्य शामिल करें - विटामिन ए, सी, ई, सेलेनियम और जिंक तथा कुछ एंजाइम जो ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को रोकते हैं, इस दौरान इनका सेवन काफी लाभकारी साबित होता है। ये सामान्य सेल को क्षतिग्रस्त होने से बचाने का भी कार्य करते हैं। आप इन्हें फलों और सब्जियों का सेवन करके बढ़ा सकते हैं। कीमो और रेडिएशन थेरेपी के बाद सामान्यतः एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहार (तरल) लेने की सलाह दी जाती है। इन्हें आप अपने आहार में गाजर, कद्दू, पपीता, हरी पत्तेदार सब्जियां, ब्रोकली, फैटी फिश, कॉर्ड लिवर ऑयल, नट्स और बीज के रूप में ले सकते हैं।

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कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) वाले लोगों के लिए न्यूट्रोपेनिक डाइट को अच्छा माना गया है। कैंसर से पीड़ित लोगों में रोग के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली होने की आशंका होती है। कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और स्टेम सेल प्रत्यारोपण भी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का कारण बन सकता है।

इस आहार के मूल सिद्धांतों में उचित खाद्य सुरक्षा का अभ्यास करना और ऐसे खाद्य पदार्थों से बचना है, जिनकी वजह से आप बैक्टीरियल संक्रमण और वायरल संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। इस आहार के माध्यम से संक्रमण से बचने के लिए कुछ तकनीकें दी गई हैं, जो इस प्रकार है -

  • खाद्य सुरक्षा में उचित हैंडवाशिंग, पहला महत्वपूर्ण कदम है। 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को साबुन एवं गर्म पानी से धोएं।
  • गुनगुने पानी में ताजे फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धोएं, अतिरिक्त गंदगी को हटाने के लिए स्क्रब या ब्रश का प्रयोग करें। तरबूज, संतरे और अन्य मोटे छिलके वाले फलों को खाने से पहले छील लें। फलों को काटने से पहले बैक्टीरिया मुक्त करने के लिए अच्छी तरह धोएं।
  • मांस के लिए अलग कटिंग बोर्ड का उपयोग करें और लकड़ी के बोर्ड पर काटने से बचें।
  • कच्चे और अधपके मांस, कच्ची मछली, शेल फिश और कच्चे अंडे से बचें। यहां तक ​​कि कच्चे फल और सब्जियों का भी प्रयोग करने से परहेज करें।
  • सलाद बार, बुफे और पॉटलक से बचें।
  • अनपाश्चराइड उत्पादों से बचें, जैसे कि अनपाश्चराइड डेयरी आइटम (जैसे दूध, पनीर और दही), साथ ही अनपाश्चराइड शहद और जूस का भी प्रयोग न करें।
  • कच्चे स्प्राउट्स के सेवन से बचें।
  • बचे हुए खाद्य पदार्थों को खाने से बचें। यदि आप समय से पहले भोजन तैयार करने या बचे हुए को खाने की योजना बना रहे हैं, तो उचित खाद्य भंडारण और खाने को गर्म करने के दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक होगा।

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आमतौर पर कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं कैंसर के दौरान देखी जाती हैं। इनमें से कई लक्षणों की गंभीरता को कम करने के लिए सही आहार उपयोगी हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि कैंसर पेशेंट के लिए डाइट कैसी होनी चाहिए -

1. भूख का कम लगना

  • तीन बार भोजन करने की बजाय, 5-6 से अधिक बार छोटे-छोटे भोजन करें
  • भोजन में पोषक तत्व उपस्थिति हों, देखने में आकर्षक और स्वादिष्ट होना चाहिए, जिससे व्यक्ति का खाने का मन करें। कम ऊर्जा वाले भोजन लेने से बचें और पोषक तत्व से भरपूर खाद्य पदार्थ और पेय लेने की कोशिश करें।

2. मितली और उल्टी

  • कमरे के तापमान और शांत वातावरण में भोजन ग्रहण करें।
  • सूखा खाना, नमकीन, बिस्कुट और कुकीज, चावल, तले हुए अंडे, टोस्ट, नूडल्स, केले, मैश किए हुए आलू, कस्टर्ड, ठंडे गैर-अम्लीय तरल पदार्थ तथा हल्के और कम वसा वाले खाद्य पदार्थ लें।
  • दिन के दौरान पर्याप्त तरल पदार्थ लेने की कोशिश करें।
  • दुग्ध उत्पाद, क्रीम वाले सूप, वसायुक्त/तले हुए खाद्य पदार्थ, मिठाई खाने से बचें। खाने के तुरंत बाद न लेटें।

3. गले में खराश

  • ठंडा या कमरे के तापमान पर नरम, नम भोजन खाएं (मसले हुए आलू, सेब स्टू, मसला हुआ चावल), इत्यादि का प्रयोग करें।
  • मसालेदार, नमकीन, कार्बोनेटेड पेय, जूस, विशेष रूप से खट्टे, बहुत गर्म या ठंडे खाद्य पदार्थ लेने से बचें।

4. मुंह सूखने से कैसे बचाएं

  • खाने को हमेशा ग्रेवी, गीले रूप में लेने की कोशिश करें।
  • भोजन के साथ, कुछ तरल पदार्थ अवश्य लें।
  • मुंह की सफाई पर विशेष ध्यान दें।
  • गाढ़े तरल पदार्थ, अत्यधिक गर्म भोजन, सूखे खाद्य पदार्थ, ब्रेड उत्पाद लेने से बचें।

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5. मुंह में स्वाद न आना

  • अच्छे स्वाद वाली चीजों को अपने भोजन में शामिल करें।
  • अपने खाद्य पदार्थों में सुगंधित मसालों का प्रयोग करें तथा भोजन में सुगंध और खाने को सजा कर सर्व करें।
  • ब्लैंड फूड, प्लेन मीट, अनसाल्टेड फूड के प्रयोग से बचें।

6. जल्दी पेट भर जाना

  • मांस, मछली, मुर्गी, अंडे, दूध, पनीर, क्रीम सूप, आइसक्रीम, चीज, दही, क्रीमी सूप, आइसक्रीम, मलाई वाली सब्जियां, मीठी चीजों के साथ उच्च कैलोरी युक्त आहार लें।
  • इनके प्रयोग से बचें - कम वसा वाले या बिना वसा वाले दूध तथा उत्पाद, सलाद, उबली हुई या सादी सब्जियां, कम कैलोरी वाले पेय जैसे नींबू पानी इत्यादि।

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7. डायरिया

8. कब्ज

  • अतिरिक्त फाइबर के साथ नियमित आहार लें, आहार में साबुत अनाज, सूखे फल जैसे, चोकर आदि का प्रयोग करें।
  • ईसबगोल की भूसी जैसे फाइबर का प्रयोग करें।
  • ऐसी स्थिति में अतिरिक्त तरल पदार्थ और व्यायाम करना फायदेमंद हो सकते हैं।
  • गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ जैसे फलियां, हरी मटर, गोभी, आदि का सेवन न करें।

9. निगलने में दिक्कत होना

  • छोटे-छोटे आहार लें और लम्बा गैप ना करें।
  • पोषक तत्वों वाले सप्लीमेंट का उपयोग करें, सॉफ्ट डाइट लें।
  • प्रत्येक दिन 6-8 गिलास तरल पदार्थ पिएं और उस तरल पदार्थ को प्रयोग करें जो आसानी से पिया जा सके।

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यहां भारतीय सामग्री का प्रयोग करके हमने कैंसर के मरीज के लिए एकदिन का डाइट प्लान बनाया है, जिसका उपयोग करके आप आसानी से अपने कैंसर डाइट प्लान को फॉलो कर पाएंगे

  • सुबह खाली पेट - दूध (1 कप) + बादाम (8-10) + अखरोट (4-6)
  • नाश्ता - मूंग दाल डोसा (1-2) + सांबर (1-2 कटोरी)
  • मध्य आहार - सेब का स्टू (1 बड़ा आकार)
  • लंच - पालक वाली रोटी (2) + चावल (1 कटोरी) + कढ़ी (1-2 कटोरी) + लौकी की करी (1-2 कटोरी)
  • शाम की चाय - हॉट चॉकलेट (1 कप) + भुना मखाना (1 कटोरी) / उबले अंडे (2)
  • रात का खाना - वेजिटेबल सूप (1 बड़ा कटोरा) + मिक्स वेज पराठा (2) + पनीर करी (6-7 पीस) / फिश करी (1-2 टुकड़े)
  • सोते समय - हल्दी दूध (1 गिलास)

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हालांकि, सिर्फ डाइट से कैंसर का इलाज नहीं हो सकता है। यह कई बार इस रोग की स्थिति सुधारने में सहायक होता है एवं कैंसर चिकित्सा में आवश्यक भूमिका निभाता है। आपकी अच्छी डाइट, पोषण की स्थिति और इस बीमारी से जुड़ी जटिलताओं को रोकने या कम करने में मदद कर सकती है। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि कैंसर से पीड़ित व्यक्ति के वजन में कमी और पोषण में कमी से कैंसर के उपचार में बाधा उत्पन्न हो सकती है। अतः कैंसर का पता लगते ही अपनी डाइट का विशेष ध्यान रखना शुरू कर दें।

(और पढ़ें - कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज)

Dr. Dhanamjaya D

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Dt. Surbhi Upadhyay

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