आयुर्वेद में सर्वाइकल दर्द को मन्या शूल कहा जाता है। इसमें गर्दन और पीठ के सर्वाइकल वाले हिस्से में दर्द और अकड़न रहती है। आंक्यलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस, सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस और स्लिप डिस्क की वजह से सर्वाइकल दर्द हो सकता है।
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सर्वाइकल दर्द को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में अनेक उपचारों का उल्लेख किया गया है। इसमें अभ्यंग (तेल मालिश), रुक्ष स्वेदन (शुष्क प्रस्वेदन या पसीना निकालने की विधि), मान्य बस्ती (गर्दन पर औषधीय तेल लगाना), नास्य (नाक से औषधि डालने की विधि) और लेप (प्रभावित हिस्से पर औषधि लगाना) शामिल हैं।
सर्वाइकल दर्द को नियंत्रित करने के लिए रसोनम (लहसुन) और गोक्षुरा (गोखरू) जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। सर्वाइकल दर्द के इलाज में दशमूल क्वाथ, प्रसारिणि तेल, योगराज गुग्गुल और लाक्षादि गुग्गुल जैसी कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है।
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