हैजा एक संक्रामक रोग है। इसमें तेजी से शरीर का पानी कम होता है जिससे डायरिया हो जाता है। शरीर के भीतर का फ्लूड उल्टी या फिर मल के माध्यम से बाहर निकल जाता है। जल्द ही शरीर में पानी व ग्लूकोज जैसे ढेरों तत्वों, विटामिनमिनरल्स की कमी हो जाती है। हम अपने खाने-पीने की आदतों में बदलाव, संयम और नियमितता लाकर हैजा से बच सकते हैं।

(और पढ़ें - हैजा के लक्षण)

  1. हैजा के घरेलू नुस्खे हैं खीरे की पत्ती और नारियल का पानी - Haija ka gharelu upay hai khire ki patti aur nariyal ka pani
  2. हैजा का घरेलू उपाय है अदरक - Haija ka gharelu upay hai adarak
  3. हैजा का घरेलू तरीका है नींबू - Haija ka gharelu upay hai nimbu
  4. हैजा का घरेलू नुस्खा है छाछ - Haija ka gharelu upay hai chach
  5. हैजा का घरेलू उपाय है प्याज - Haija ka gharelu upay hai pyaj
  6. हैजा का घरेलू उपाय है लौंग - Haija ka gharelu upay hai laung
  7. हैजा का घरेलू तरीका है पुदीने का जूस - Haija ka gharelu upay hai pudine ka Juice
  8. हैजा का घरेलू नुस्खा है मेथी के बीज - Haija ka gharelu upay hai methi
  9. हैजा का घरेलू उपाय है हल्दी - Haija ka gharelu upay hai haldi
  10. हैजा के कुछ घरेलू टिप्स - Haija ke kuch gharelu tips
  11. सारांश

आवश्यक सामग्री:

कैसे इस्तेमाल करें:

  • खीरे की पत्तियां लें। 
  • इन पत्तियों का जूस तैयार करें। 
  • इस जूस को नारियल के पानी के साथ मिला लें। 
  • मिलाते समय दोनों को बराबर मात्रा में मिलाएं। 

कब-कब सेवन करें:
इस तरह से इस जूस को तैयार करके हर रोज दो बार सेवन करें। हैजा के मामले में यह एक बेहतरीन घरेलू उपचार है।

(और पढ़ें - दस्त का इलाज)

अदरक डायरिया, पेट दर्द और पेट में ऐंठन जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है। 

आवश्यक सामग्री:

  • अदरक
  • शहद

कैसे इस्तेमाल करें:

  • इसके लिए अदरक का एक छोटा सा टुकड़ा लें। 
  • उसे पीस लें। अब इस अदरक को एक चम्मच शहद में मिला लें। 
  • अब इस मिश्रण का सेवन करें। 
  • यह आपकी पाचन क्रिया को सुधारने का काम करेंगा।  

इसके अलावा अगर आप चाहें तो अदरक का सेवन अदरक वाली चाय के साथ भी कर सकते हैं। इसका तरीका निम्नलिखित है:

आवश्यक सामग्री:

  • पानी
  • अदरक के कुछ टुकड़े
  • काली मिर्ट
  • तुलसी व पुदीने के पत्ते
  • शहद

इस्तेमाल करने का तरीका:

  • इसके लिए एक कप पानी लें।
  • अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े लें।
  • इसमें कुछ काली मिर्च मिला लें।
  • तुलसी और पुदीने के पत्ते भी मिला लें।
  • पानी को कुछ मिनट तक उबालकर उसमें थोड़ा सा शहद मिला दें।

कब-कब सेवन करें:
अब इस चाय को आप रोज सेवन करें।

कैसे काम करता है:
अदरक एंटीबायोटिक होने के कारण संक्रमण से लड़ने और कॉलरा को ठीक करने के काम आता है।

नोट: अगर आप खून को पतला करने की दवा का सेवन कर रहे हैं तो अदरक का सेवन करने से बचें।

हैजा के मामले में नींबू एक अचूक घरेलू समाधान माना जाता है।

आवश्यक सामग्री:

कैसे इस्तेमाल करें:

  • एक गिलास पानी में आधा नींबू निचोड़ लें। 
  • इसमें थोड़ा सा शहद और नमक मिला लें।
  • इस मिश्रण को अच्छे से मिला लें। 
  • इस तरह से इस मिश्रण का नियमित सेवन करें। 

कैसे काम करता है:
नींबू में एंटीबॉयोटिक गुण होने के कारण यह कॉलरा के उपचार में काम करता है। यह आंत और पाचन तंत्र के नुकसानदेह बैक्टीरिया को नष्ट करने के काम आता है। ये बैक्टीरिया कॉलरा की वजह बनते हैं। इसके अलावा नींबू में पाया जाने वाला विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और स्वास्थ्य में तेजी से सुधार करने में मददगार साबित होता है। इस बात का ध्यान रखें कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद न दें।

(और पढ़ें - हैजा का टीका क्या है)

कॉलरा के मरीज के लिए छाछ फायदेमंद होती है। यह आसानी से घरों में उपलब्ध होने वाला पेय पदार्थ है।

आवश्यक सामग्री:
छाछ

इस्तेमाल करने का तरीका:

  • एक गिलास छाछ लें।
  • इसमें एक चम्मच जीरा का पाउडर मिला लें।
  • इसमें थोड़ा सा सेंधा नमक भी मिला लें।
  • इस मिश्रण को अच्छे से मिलाकर सेवन करने पर कॉलरा से जल्द राहत मिलती है।

कैसे काम करताा है:
छाछ पेट की गर्मी को शांत करती है, पाचनतंत्र को मजबूत बनाती है और खाने को पचाने में मदद करती है। छाछ उल्टी या दस्त जैसी स्थितियों में बहुत कारगर साबित होती है।

आयुर्वेद के अनुसार प्याज कॉलरा के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

आवश्यक सामग्री:

कैसे इस्तेमाल करें:

  • इस मिश्रण का पेस्ट बना लें।
  • अब इसे 3 हिस्सों में बांट लें। 
  • अब इन हिस्सों को दिन में तीन बार सेवन करें। इस प्रक्रिया को एक सप्ताह तक करें। 

इसके अलावा इसे निम्नलिखित तरीके से भी इस्तेमाल कर सकते हैं:

आवश्यक सामग्री:

कैसे इस्तेमाल करें:

  • दो चम्मच सफेद प्याज लें
  • इसमें दो चम्मच करेले का रस डालें। 
  • इसमें एक चम्मच नींबू का रस मिला लें। 

कब-कब सेवन करें:
इस मिश्रण को दिन में दो बार सेवन करें।

कैसे काम करता है:
प्याज एंटीबैक्टेरियल के साथ-साथ एंटीबायोटिक व एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है। इसके अलावा प्याज मुंह सूखने, बेचैनी महसूस होने और प्यास लगने जैसी समस्याओं में भी तेजी से काम करता है। 

(और पढ़ें - उल्टी रोकने के घरेलू उपाय)

कॉलरा होने की स्थिति में लौंग फायदेमंद साबित होती है। यह पेट संबंधी समस्याओं के लिए भी फायदेमंद साबित होती है। 

आवश्यक सामग्री:

  • 10-15 लौंग
  • पानी

कैसे इस्तेमाल करें:

  • 5-6 कप पानी में 10-15 लौंग डालकर उबालें।
  • इस पानी को तब तक उबालें, जब तक कि पानी उबलकर आधा न हो जाए।
  • थोड़ी देर बाद मिश्रण को ठंडा हो जाने दें। 
  • इस तरह से इस मिश्रण का पीने में लगातार तब तक सेवन करें, जब तक कि आपको आराम न लग जाए। 

कैसे काम करता है: 
लौंग में पाया जाने वाला यूगोनल कंपाउंड आंत के बैक्टीरिया और पैरासाइट्स को खत्म करने का काम करता है। ये बैक्टीरिया और पैरााइट्स डायरिया के कारण बनते हैं और डायरिया को और भी गंभीर करने का काम करते हैं।

(और पढ़ें - सफर में उल्टी आने का इलाज)

रोज पुदीने का जूस पीने से उल्टी होने और चक्कर आने जैसे कॉलरा के लक्षणों से राहत मिलती है। 

आवश्यक सामग्री:

  • पुदीने की पत्तियां
  • पानी

कैसे इस्तेमाल करें:

  • पुदीने की पत्तियों को अच्छे से पीस लें। 
  • इसमें थोड़ा सा पानी मिला लें। 

कैसे काम करता है:
पुदीना पाचनक्रिया को मजबूत करने और एसिडिटी जैसे मामलों में कारगर माना जाता है। इसके सेवन से कॉलरा से राहत मिलती है।

कॉलरा की वजह से हुए डायरिया के मामले में घर में उपलब्ध मेथी के बीज बहुत अच्छे घरेलू उपचार का काम करते हैं।

आवश्यक सामग्री:

  • मेथी के बीज
  • दही
  • भुना हुआ जीरा

कैसे इस्तेमाल करें:

  • एक चम्मच मेथी के बीज लें।
  • इसमें 2 चम्मच दही और थोड़ा सा भुना हुआ जीरा डालें।
  • इस तरह के मिश्रण को दिनभर में 2-3 बार सेवन करें।
  • इससे जल्द राहत मिलती है। 

कैसे काम करता है:
मेथी में म्यूसिलेज की पर्याप्त मात्रा होने के कारण इसके सेवन से डायरिया में होने वाले बार-बार की दस्त से राहत मिलती है। इसके अलावा एक विकल्प यह भी है कि एक चम्मच मेथी के बीज को एक गिलास गर्म पानी में मिला लें। इस तरह के मिश्रण को दिन में दो बार सेवन करें। 

नोट: इस बात का ध्यान रखें कि इसका इस्तेमाल छोटे बच्चों के लिए न करें।

(और पढ़ें - दस्त बंद करने के लिए क्या करना चाहिए)

आयुर्वेद के अनुसार हल्दी का इस्तेमाल अक्सर कॉलरा के लक्षण यानी डायरिया के उपचार में किया जाता है। 

आवश्यक सामग्री:

  • हल्दी की गांठ
  • एक एयरटाइट कंटेनर
  • शहद
  • एक कप पानी

कैसे इस्तेमाल करें:

  • हल्दी की एक चम्मच भर गांठ को पानी में 2 घंटे तक भिगो दें।
  • इसके बाद हल्दी को पानी से बाहर निकाल लें और उसे धूप में सुखाएं।
  • अब उस सूखी हुई हल्दी की गांठ को पीस कर पाउडर बना लें।
  • इसके बाद उसे  किसी एयर टाइट कंटेनर में रख दें।
  • अब एक चौथाई चम्मच भर हल्दी और थोड़े से शहद को एक कप गर्म पानी में मिला लें।

इसका कब-कब इस्तेमाल करें:
रोज दो बार पियें, जबतक कि आप पूरी तरह से स्वस्थ न हो जाएं। 

(और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए)

इसके अलावा निम्नलिखित कुछ घरेलू टिप्स व ध्यान देने वाली बातें भी हैं:

  • नियमित फिल्टर्ड या फिर उबला हुआ पानी पियें।
  • खाने-पीने की चीजों को ढककर रखें ताकि वो धूल-मिट्टी से बचे रहें। 
  • खाना पकाने से पहले अच्छे से हाथ धुल लें।
  • 1-2 सप्ताह तक हल्का भाजन लें।
  • मसालेदार, चिकना और जंक फूड से परहेज करें। 
  • दूध व अन्य डेयरी प्रॉडक्ट्स से परहेज करें। 
  • शरीर को गर्म रखने के लिए प्रतिदिन एक-दो बार गर्म पानी से स्नान करें।
  • उल्टी से बचने के लिए बर्फ या अदरक से बनी कोई टॉफी मुंह में रखें। 
  • पेट दर्द व पेट में ऐंठन जैसी समस्याओं से बचने के लिए पेट पर बर्फ से सिकाई करें।
  • जैसा कहा गया है कि इलाज से बेहतर है कि बीमारी से पहले ही रोकथाम किया जाए, इसलिए समय पर कॉलरा के टीके लगवाएं।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में उल्टी होने की दवा)

हैजा के घरेलू उपचार के लिए कुछ पारंपरिक नुस्खे सहायक हो सकते हैं, लेकिन इसे चिकित्सा उपचार के विकल्प के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए घर पर बने ओआरएस (नमक-चीनी का घोल) का सेवन अत्यंत महत्वपूर्ण है। अदरक, पुदीना, और तुलसी का रस पाचन तंत्र को शांत करता है और उल्टी-दस्त को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। दही और केला भी पेट को आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। नींबू पानी और नारियल पानी शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखने में मदद करते हैं। इन उपायों के साथ, स्वच्छता और शुद्ध पेयजल का उपयोग बेहद जरूरी है ताकि बीमारी और न बढ़े।

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