खराब खान-पान, तनाव, अनहेल्दी लाइफस्टाइल और फाइबर की कमी होने पर व्यक्ति को कब्ज बन सकती है. आपको बता दें कि अपने जीवन के किसी-न-किसी पड़ाव पर प्रत्येक व्यक्ति को कब्ज का सामना करना पड़ता है. एक अनुमान के अनुसार, दुनियाभर में 15 प्रतिशत लोग क्रोनिक कब्ज के साथ जी रहे हैं. कब्ज बनने पर आपको सूजन, ऐंठन और पेट में दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है. कब्ज पेट से जुड़ी एक समस्या होती है, जिसमें व्यक्ति को मल त्याग करने में दिक्कत होती है. कब्ज बनने पर मल सख्त व कठोर बन सकता है. इसकी वजह से व्यक्ति को मल त्याग के दौरान तेज दर्द का अहसास हो सकता है. कब्ज आजकल की सामान्य समस्या बन गई है. इसलिए, कब्ज को लेकर लोगों के बीच कई तरह की अफवाहें या मिथ फैल चुके हैं.

आज इस लेख में आप कब्ज से जुड़े मिथकों की सच्चाई के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - कब्ज के घरेलू उपाय)

  1. कब्ज से संबंधित मिथक व उनकी सच्चाई
  2. सारांश
कब्ज से जुड़े मिथक के डॉक्टर

कब्ज से जुड़े ऐसे कई मिथक हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. यहां हम उन्हीं प्रमुख मिथकों के बारे में बता रहे हैं -

हर दिन मल त्याग करना जरूरी होता है

हर व्यक्ति का शरीर अलग-अलग होता है. कुछ लोग दिन में 2-3 बार मल त्याग करते हैं, तो कुछ सप्ताह में 3 बार. दिन में एक बार मल त्याग करना आम है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति सप्ताह में 3 से कम बार मल त्याग करता है, तो यह कब्ज की स्थिति हो सकती है. अगर कोई सप्ताह में 3 से कम बार मल त्याग करता है, तो इस स्थिति को नजरअंदाज बिल्कुल न करें. अगर कोई रोज मल त्याग नहीं करता है, लेकिन सप्ताह में 3 से अधिक बार मल त्याग करता है, तो उसे कब्ज नहीं माना जाता है.

(और पढ़ें - कब्ज का आयुर्वेदिक इलाज)

Digestive Tablets
₹312  ₹349  10% छूट
खरीदें

कब्ज से टॉक्सिंस बनता है

कुछ लोगों का मानना है कि कब्ज से शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं. इसकी वजह से गठियाअस्थमा और पेट के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कब्ज बनने पर टॉक्सिंस बनता है. आपको बता दें कि कब्ज कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह कई बीमारियों का कारण बन सकता है.

(और पढ़ें - कब्ज से छुटकारा पाने के लिए क्या करें)

कब्ज ठीक करने के लिए सिर्फ अधिक फाइबर लेना चाहिए

शरीर में फाइबर की कमी होने पर कब्ज बन सकती है. इसलिए, कब्ज से छुटकारा पाने के लिए आपको फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे - फलसब्जियों व साबुत अनाज आदि का सेवन करना चाहिए. इसलिए, सिर्फ फाइबर खाने से ही कब्ज ठीक नहीं हो सकती है. इसके साथ ही आपको अनहेल्दी फूड्स से बचना चाहिए. रेगुलर एक्सरसाइज और तनाव मुक्त भी रहना चाहिए. इसके साथ ही खान-पान में अन्य बदलाव भी करने चाहिए. खूब पानी पीना चाहिए और खाने के बाद वॉक जरूर करनी चाहिए.

(और पढ़ें - कब्ज की पतंजलि की दवा)

तनाव कब्ज का मुख्य कारण बन सकता है

अगर आप तनाव में रहते हैं, तो इससे कब्ज के लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं यानी तनाव कब्ज को खराब कर सकता है, लेकिन तनाव कब्ज का मुख्य कारण नहीं होता है. इसका मतलब यह है कि सिर्फ तनाव की वजह से कब्ज नहीं बनती है. तनाव को कम करने के लिए आप मेडिटेशनप्राणायाम और योग का सहारा ले सकते हैं.

(और पढ़ें - कब्ज का होम्योपैथिक इलाज)

कब्ज सिर्फ एक सामान्य स्थिति है

कई लोग कब्ज को सामान्य समझ लेते हैं, क्योंकि कब्ज कोई बीमारी नहीं होती है. आपको बता दें कि कब्ज खुद में कोई बीमारी नहीं होती है, लेकिन कब्ज की वजह से व्यक्ति को कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है. कब्ज होने पर व्यक्ति को पेट से जुड़ी दिक्कतों से परेशान होना पड़ सकता है, तो कब्ज एक स्थिति नहीं होती है, बल्कि यह कई स्थितियों का कारण बन सकती है.

(और पढ़ें - कब्ज की समस्या में उपयोगी जूस)

सभी दवाइयां कब्ज का कारण बन सकती हैं

सभी दवाइयां कब्ज का कारण नहीं बनती हैं, बल्कि दर्दडिप्रेशनहाई ब्लड प्रेशर और पार्किंसंस रोग की कुछ दवाइयां कब्ज बना सकती हैं. इसके अलावा, कैल्शियम और आयरन सप्लीमेंट लेने से भी कब्ज बन सकती हैं, लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि सभी दवाइयां खाने से कब्ज बनती है.

(और पढ़ें - कब्ज के लिए एक्यूप्रेशर पॉइंट)

सभी फाइबर एक जैसे होते हैं

फाइबर मल को नरम बनाता है और मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है. कई लोगों को लगता है कि सभी फाइबर एक समान होते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. फाइबर अलग-अलग प्रकार के होते हैं. अघुलनशील फाइबर मल को आंतों से तेजी से निकालने में मदद करता है. वहीं, घुलनशील फाइबर पानी में घुल जाता है. बीन्स व मटर में घुलनशील फाइबर पाया जाता है. 

(और पढ़ें - कब्ज के लिए योग)

दवाइयां लेने से इसकी आदत पड़ जाती है

अक्सर आपने सुना होगा की कब्ज बनने पर दवाई नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि फिर इसकी आदत पड़ जाती है. एक बार कब्ज की दवाइयां ले ली जाती हैं, तो फिर इन्हीं पर निर्भर रहना पड़ता है, जबकि यह सच नहीं है. अगर गंभीर कब्ज बनने पर दवाई ले ली जाती है, तो इसकी निर्भरता नहीं बनती है. दवाइयों की निर्भरता के बिना भी कब्ज का इलाज किया जा सकता है, लेकिन कब्ज की दवाई डॉक्टर की सलाह पर ही लें.

(और पढ़ें - कब्ज में परहेज)

कब्ज जैसी समस्या को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक तरीका सबसे बेहतर होता है और इस काम में आप Myupchar Ayurveda Yakritas का सेवन किया जाना चाहिए. इस आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के साइड इफेक्ट्स न के बराबर हैं -

कब्ज एक सामान्य समस्या है, जिसका सामना आजकल अधिकतर लोगों को करना पड़ रहा है. फाइबर की कमी, खराब खान-पान और अन्य कई स्थितियां कब्ज का कारण बन सकती हैं. प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में कब्ज से परेशान जरूर होना पड़ता है. कब्ज इतनी आम समस्या बन गई है कि लोगों के बीच इससे संबंधित कई मिथ फैल चुके हैं, लेकिन ऊपर लेख में आप कब्ज से जुड़े मिथकों की सच्चाई जान ही चुके हैं. अगर किसी को कब्ज की समस्या है, तो उसे एक बार डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करना चाहिए.

(और पढ़ें - मल त्याग में दर्द के घरेलू उपाय)

Dr. kratika

Dr. kratika

सामान्य चिकित्सा
3 वर्षों का अनुभव

Dr.Vasanth

Dr.Vasanth

सामान्य चिकित्सा
2 वर्षों का अनुभव

Dr. Khushboo Mishra.

Dr. Khushboo Mishra.

सामान्य चिकित्सा
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Gowtham

Dr. Gowtham

सामान्य चिकित्सा
1 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें