अवसाद एक मूड सम्बन्धित विकार है जिसमें व्यक्ति को लगातार निराशा या दुख महसूस होता है। इससे एनर्जी के स्तर में कमी आती है और व्यक्ति अपनी सेहत पर भी ध्यान नहीं दे पाता है। अवसाद की वजह से रोजमर्रा के कार्यों को करने में भी दिक्कत आती है।
वर्तमान समय में लगभग 80 प्रतिशत अवसाद से ग्रस्त लोग इलाज नहीं करवाते हैं और कुछ जगहों पर तो अवसाद को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है। आयुर्वेद में दिमाग से संबंधित विकारों को प्रमुख महत्व दिया गया है। आयुर्वेद में अवसाद या अवसाद की स्थिति को मानसिक व्याधि (दिमाग का विकार) और मानसिक भाव (भावनात्मक) बताया गया है।
(और पढ़ें - एनर्जी कैसे बढ़ाएं)
मानसिक तनाव के इलाज के लिए आयुर्वेदिक उपचार जैसे कि शिरोधारा (सिर से तरल या तेल डालने की विधि), वमन (औषधियों से उल्टी करवाने की विधि) और रसायन (ऊर्जादायक) का प्रयोग किया जाता है। ये विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और दिमाग को आराम पहुंचाते हैं।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे कि अश्वगंधा, वच, यष्टिमधु (मुलेठी), ब्राह्मी और शतावरी के साथ आयुवेर्दिक औषधियां जैसे कि सारस्वतारिष्ट और चंदनासव से अवसाद का इलाज किया जाता है। इसके साथ ही अवसाद की समस्या को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने के लिए योग की मदद भी ली जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार खानपान में कुछ बदलाव जैसे कि आहार में साबुत खाद्य पदार्थों, ताजी सब्जियों को शामिल कर अवसाद को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा मांसाहारी भोजन और डिब्बाबंद खाना खाने से बचें। इस तरह अवसाद को बेहतर तरीके से नियंत्रित करके संपूर्ण सेहत में सुधार लाया जा सकता है।
(और पढ़ें - मांसाहारी या शाकाहारी)