हृदय हमारे शरीर का अहम अंग होता है. जब हृदय स्वस्थ रहता है, तो व्यक्ति अच्छा महसूस करता है. वहीं, जब हृदय से जुड़ी कोई समस्या होती है, तो कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हृदय रोग कई तरह के होते हैं. जब हृदय रोग होता है, तो सिर्फ हृदय ही नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य प्रभावित हो जाता है. हृदय रोग महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकते हैं. किसी भी व्यक्ति को हृदय से जुड़े रोग जैसे- कोरोनरी रोग, हार्ट फेलियर व हार्ट इंफेक्शन आदि हो सकते हैं. हृदय रोग से पूरा शरीर प्रभावित हो सकता है.
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आज इस लेख में आप जानेंगे कि हृदय रोग का शरीर पर क्या असर पड़ता है -
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हार्ट कैसे काम करता है?
हार्ट में 4 चैंबर होते हैं. ऊपरी दो चैंबर को अटरिया कहते हैं, वहीं नीचे के दो चैंबर को वेंट्रिकल कहते हैं. सबसे पहले फेफड़ों से ऑक्सीजन रिच ब्लड बाएं अटरिया में जाता है, फिर बाएं वेंट्रिकल में जाता है, जो रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है. इसके बाद रक्त दाएं अटरिया में लौटता है, फिर दाएं वेंट्रिकल में जाता है, जो ऑक्सीजन के लिए फेफड़ों में वापस जाता है. फिर वहां से ऑक्सीजन लेकर बाएं अटरिया में जाता है. यह प्रक्रिया चलती रहती है, लेकिन जैसे ही इस प्रक्रिया में कोई भी रुकावट आती है, तो हृदय रोग पैदा होने लगते हैं. इस स्थिति में संपूर्ण शरीर प्रभावित होने लगता है.
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हृदय रोगों का शरीर पर असर
यह तो आप जान ही चुके हैं कि हृदय शरीर में रक्त को पंप करने का काम करता है, लेकिन हृदय के कार्य में रुकावट आने पर कई तरह के रोग जन्म लेने लगते हैं. ये रोग प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं. हृदय रोग होने पर सिर्फ हृदय पर असर नहीं पड़ता, बल्कि संपूर्ण शरीर प्रभावित होता है. निम्न हृदय रोगों के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं -
कोरोनरी हार्ट डिजीज
कोरोनरी हार्ट डिजीज से शरीर बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है. दरअसल, जब दिल की धमनियों में प्लाक नामक मोम पदार्थ जमा हो जाता है, तो धमनियां संकुचित होने लगती हैं. इस स्थिति में हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह सीमित हो जाता है. इसे ही कोरोनरी हृदय रोग कहा जाता है. इसका शरीर पर पड़ने वाला असर -
- पुरुषों को सीने में तेज दर्द हो सकता है. वहीं, महिलाओं को सीने में जकड़न या दबाव महसूस हो सकता है.
- सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. खासकर, जब कोई व्यक्ति एक्सरसाइज करता है, तो उसे सीने में तेज दर्द महसूस हो सकता है.
- हृदय रक्त को सही तरीके से पंप नहीं कर पाता है. इसकी वजह से शरीर के बाकि हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है.
- व्यक्ति को सामान्य से अधिक थकान महसूस हो सकती है.
- इतना ही नहीं अगर कोरोनरी हार्ट डिजीज की वजह से पट्टिका टूट जाती है और धमनी पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाती है, तो हार्ट अटैक आ सकता है.
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हार्ट फेलियर
हार्ट फेलियर का भी शरीर पर असर पड़ सकता है. हार्ट फेलियर तब होता है, जब हृदय पूरे शरीर में पर्याप्त रूप से रक्त पंप नहीं कर पाता है. इस स्थिति में हृदय की मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं. ऐसे में हृदय की मांसपेशियों को अपना काम करने में परेशानी होती है और शरीर इस प्रकार प्रभावित हो सकता है -
- हार्ट फेलियर होने पर दिल की धड़कन तेज हो सकती है.
- हार्ट फेलियर में व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
- चक्कर आना, भ्रमित होने और शरीर में तरल पदार्थों का निर्माण होने जैसे लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है. इस स्थिति में शरीर में सूजन भी आ सकती है.
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एरिथमिया
एरिथमिया यानी अनियमित दिल की धड़कन भी हृदय रोग होता है, जो शरीर को प्रभावित कर सकता है. हृदय नियमित रूप से धड़कता है, लेकिन जब हृदय लय में बदलाव होता है, तो इसे एरिथमिया कहा जाता है. यह आमतौर पर गंभीर नहीं होता है. लेकिन गंभीर एरिथमिया हृदय के कार्यों में रुकावट पैदा कर सकता है. इस अवस्था का शरीर पर इस प्रकार असर नजर आता है -
- शरीर के सभी अंगों और मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है.
- सीने में दर्द हो सकता है. कुछ मामलों में लोग बेहोश भी हो सकते हैं.
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कार्डियोमायोपैथी
कार्डियोमायोपैथी बीमारियों का एक समूह है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां मोटी या सामान्य से बड़ी हो सकती हैं. इस स्थिति में हृदय कमजोर पड़ने लगता है. इसकी वजह से हृदय के लिए रक्त पंप करना मुश्किल हो जाता है. जैसे-जैसे कार्डियोमायोपैथी के लक्षण गंभीर होते जाते हैं, हृदय में खून जमा होने लगता है -
- हृदय की मांसपेशियां मोटी होने पर रक्त का प्रवाह सीमित हो जाता है. ऐसे में शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. ऐसे में व्यक्ति को चक्कर आना, बेहोशी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
- हृदय लय खराब हो सकती है. इस स्थिति में दिल की धड़कन तेज हो सकती है.
- किडनी में सामान्य से अधिक पानी जमा हो सकता है, इसकी वजह से पैरों, टखनों, पैरों और अंगों में सूजन हो सकती है.
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हार्ट इंफेक्शन
बैक्टीरिया या वायरस हार्ट इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं. इसे भी एक प्रकार का हृदय रोग माना जाता है. हार्ट इंफेक्शन होने पर भी शरीर बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है -
- अगर इंफेक्शन दिल के आसपास की थैली में है, तो सूजन हो सकती है. इसकी वजह से सीने में दर्द हो सकता है.
- हार्ट इंफेक्शन होने पर हृदय की लय में भी बदलाव हो सकता है.
- व्यक्ति को बुखार, सांस लेने में कठिनाई और थकान जैसे लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है.
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हार्ट स्ट्रोक
जब हृदय सही ढंग से काम नहीं कर पाता है, तो रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के बनने की संभावना बढ़ जाती है. स्ट्रोक तब होता है, जब मस्तिष्क की रक्त वाहिका में थक्का जमा हो जाता है. फिर इसकी वजह से रक्त का प्रवाह रुक जाता है. इसे इस्केमिक स्ट्रोक कहा जाता है -
- शरीर के एक तरफ सुन्नता महसूस हो सकती है.
- व्यक्ति को बोलने में परेशानी हो सकती है.
- व्यक्ति को अपने शरीर का संतुलन बनाने में भी दिक्कत हो सकती है.
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जन्मजात हृदय दोष
कई लोगों को जन्मजात हृदय दोष होता है. जन्मजात हृदय दोष व्यक्ति के संपूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकते हैं. जन्मजात हृदय दोष वह होता है, जब हृदय की दीवारें, वाल्व व रक्त वाहिकाएं जन्म से पहले सही तरीके से विकसित नहीं होती हैं. इस स्थिति में व्यक्ति को जल्दी इलाज की जरूरत होती है.
- जन्मजात हृदय दोष होने पर व्यक्ति को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है.
- इस स्थिति में त्वचा नीली पड़ सकती है. साथ ही व्यक्ति को थकान भी महसूस हो सकती है.
- व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.
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सारांश
आजकल हृदय रोगों के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है. महिलाओं और पुरुषों दोनों को हृदय रोग परेशान कर सकते हैं. हृदय रोग होने पर व्यक्ति का हृदय सही तरीके से काम नहीं कर पाता है या फिर यह कहें कि जब हृदय के कार्यों में रुकावट आती है, तो हृदय रोग जन्म लेते हैं. हृदय रोग होने पर हृदय प्रभावित हो जाता है. आपको बता दें कि हृदय रोग, हृदय के साथ ही शरीर को भी प्रभावित कर सकता है. हृदय रोग होने पर व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति को थकान, कमजोरी व सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है.
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हृदय रोगों का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है? के डॉक्टर

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कार्डियोलॉजी
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Dr. Farhan Shikoh
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