ट्राइग्लिसराइड्स खून में पाया जाने वाला एक तरह का फैट (लिपिड) होता है. दरअसल, खाद्य पदार्थ में पाए जाने वाली कैलोरी शरीर में पहुंचने के बाद ट्राइग्लिसराइड्स में परिवर्तित हो जाती है, जो फैट बनकर कोशिकाओं में जमा होने लगता है. जब शरीर को एनर्जी की जरूरत होती है, तब हार्मोंस ट्राइग्लिसराइड्स को रिलीज करते है, जो एनर्जी का काम करते हैं.

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वहीं, ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ने पर हृदय रोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम बढ़ सकता है. ऐसे में ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को नियंत्रित रखने के लिए होम्योपैथिक दवाई और इलाज लेना फायदेमंद हो सकता है. दवा के अलावा ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव भी जरूरी है.

आज आप इस लेख में ट्राइग्लिसराइड की होम्योपैथिक दवा और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. ट्राइग्लिसराइड की होम्योपैथिक दवाएं
  2. ट्राइग्लिसराइड को नियंत्रित करने के टिप्स
  3. सारांश
ट्राइग्लिसराइड का होम्योपैथिक इलाज व दवा के डॉक्टर

ट्राइग्लिसराइड के निम्न प्रकार की होम्योपैथिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है -

फुकस वेसिकुलोसस

इस दवा का इस्तेमाल ट्राइग्लिसराइड के लिए किया जा सकता है. इस संबंध में प्रकाशित एक शोध की मानें, तो फुकस वेसिकुलोसस में मौजूद औषधीय गुण ट्राइग्लिसराइड के स्तर को सामान्य कर सकते हैं, जिससे हृदय रोग के जोखिम को उत्पन्न होने से रोका जा सकता है.

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सिजिजियम जंबोलाना

इस होम्‍योपैथिक दवाई को भी हाई ट्राइग्‍लिसराइड के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. एक रिसर्च में बताया गया है कि सिजिजियम जंबोलाना फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज के स्तर को कम करने और कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिक में सुधार कर सकती है. इससे ट्राइग्‍लिसराइड का स्तर संतुलन में आ सकता है.

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कोलेस्टेरिनम

बाजार में उपलब्ध ट्राइग्लिसराइड की होम्‍योपैथी दवाओं में कोलेस्टेरिनम का नाम भी शामिल है. दरअसल, यह दवाई उच्च कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को कम करती है, जिसका सकारात्मक असर ट्राइग्लिसराइड पर भी दिखाई दे सकता है. इससे उच्च रक्तचाप के जोखिम से भी बचाव होता है.

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कैल्‍केरिया कार्बोनिका

हाई ट्राइग्लिसराइड को कम करने के लिए कैल्‍केरिया कार्बोनिका होम्‍योपैथी दवाई का उपयोग कर सकते हैं. यह दवाई रक्त संचार को बेहतर कर ट्राइग्लिसराइड के स्तर में सुधार कर सकती है. इससे ट्राइग्लिसराइड नियंत्रण में रह सकता है, जिससे हार्ट अटैक की समस्या से बचा जा सकता है.

गौटेरिया गुमेरी

रक्त में ट्राइग्‍लिसराइड की मात्रा को कम करने के लिए गौटेरिया गुमेरी दवाई का उपयोग कर सकते हैं. यह एक होम्‍योपैथिक दवा है, जो ट्राइग्‍लिसराइड और नुकसानदायक कोलेस्‍ट्रॉल के स्तर को कम कर सकती है. साथ ही यह अच्छे कोलेस्‍ट्रॉल के स्तर को बढ़ावा देती है, जिसे सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है.

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बैराइटा कार्बोनिका

ट्राइग्‍लिसराइड को कम करने के लिए बैराइटा कार्बोनिका होम्‍योपैथिक दवाई का उपयोग कर सकते हैं. यह दवाई रक्त संचार को बेहतर कर सकती है, जिससे ट्राइग्‍लिसराइड का जमना कम हो सकता है. साथ ही यह हाई कोलेस्‍ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है. इससे ट्राइग्‍लिसराइड का स्तर संतुलन में आ सकता है.

(और पढ़ें - कोलेस्ट्रॉल टेस्ट)

लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव लाकर भी ट्राइग्लिसराइड के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है. यहां हम इससे जुड़ी कुछ काम की बातें बता रहे हैं -

एक्सरसाइज

फिजिकल एक्टिविटी करने पर हाई ट्राइग्लिसराइड लेवल कम हो सकता है. इसके लिए हफ्ते में कम से कम पांच बार 30 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए. अगर वजन ज्यादा है, तो एक्सरसाइज को धीरे-धीरे शुरू करें. इसके लिए हफ्ते में 3 बार वॉक कर सकते हैं.

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वजन कम करें

ट्राइग्लिसराइड लेवल को संतुलित रखने के लिए वजन को संतुलन में रखना जरूरी है. इसके लिए कम कैलोरी वाले आहार लें. चाहे उन खाद्य पदार्थ में फैट, कार्ब्स या प्रोटीन ही क्यों न हो. साथ ही फलों, सब्जियों, लीन प्रोटीन और कम फैट वाले डेयरी उत्पादों को भी आहार में शामिल करें. इसके अलावा, शुगर युक्त खाद्य पदार्थों को लेने से बचें.

सही फैट का चयन

जो लोग ज्यादा फैट युक्त आहार का सेवन करते हैं, उन्हें अनहेल्दी फैट्स का सेवन करने से बचना चाहिए. अनहेल्दी फैट्स में मीट, मक्खन और पनीर आदि शामिल होते हैं. साथ ही उन्हें हेल्दी फैट्स जैसे ​मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड के सेवन को बढ़ाना चाहिए. ये फैट जैतून के तेल, नट्स और कुछ मछलियों में पाए जाते हैं.

अल्कोहल से परहेज

शराब व धूम्रपान को सेहत के लिए हानिकारक माना गया है. इनकी थोड़ी-सी मात्रा भी ट्राइग्लिसराइड का लेवल बढ़ा सकती है.

शरीर में ट्राइग्लिसराइड के स्तर को बैलेंस करना जरूरी है. ट्राइग्लिसराइड को नियंत्रित करने के लिए होम्योपैथिक दवा और इलाज फायदेमंद हो सकते हैं. होम्योपैथिक दवाओं में कोलेस्टेरिनम, गौटेरिया गुमेरी और सिजिजियम जंबोलाना और लाइफस्टाइल चेंजेस जैसे नियमित एक्सरसाइज और डाइट चेंज आदि मदद कर सकते हैं.

Dr. Anmol Sharma

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